ऑनलाइन मीडिया में ऐतिहासिक पहल, डिजिटल पत्रकारों के लिए राष्ट्रीय प्रमाणन मॉडल शुरू

ऑनलाइन मीडिया में ऐतिहासिक पहल, डिजिटल पत्रकारों के लिए राष्ट्रीय प्रमाणन मॉडल शुरू

प्रेषित समय :17:54:54 PM / Tue, Dec 2nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली.भारत में डिजिटल पत्रकारिता के भविष्य को नया आकार देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिसने देश के ऑनलाइन मीडिया परिदृश्य में उत्सुकता और जिज्ञासा की लहर पैदा कर दी है। पहली बार डिजिटल पत्रकारों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और इंटरनेट आधारित समाचार निर्माताओं के लिए एक व्यापक, व्यवस्थित और राष्ट्रीय स्तर का प्रमाणन मॉडल तैयार किया गया है। यह पहल ऐसे समय में सामने आई है जब फेक न्यूज़, भ्रामक सूचनाओं और मनगढ़ंत कंटेंट ने न केवल मीडिया की साख को चोट पहुंचाई है, बल्कि जनता के विश्वास को भी गहरे स्तर पर प्रभावित किया है। सरकार समर्थित इस पहल को डिजिटल मीडिया में पारदर्शिता, जवाबदेही और सत्यनिष्ठा स्थापित करने का बड़ा प्रयास माना जा रहा है, और यही कारण है कि मीडिया जगत से लेकर आम पाठकों तक हर किसी की नजर इस नई प्रणाली की ओर टिक गई है।

इंटरनेट और स्मार्टफोन की तीव्र पहुंच ने पिछले एक दशक में सूचना की दुनिया को पूरी तरह बदल दिया है। आज गांव से लेकर महानगरों तक करोड़ों लोग सोशल मीडिया, वेबसाइटों, यूट्यूब चैनलों और ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल्स के माध्यम से खबरों तक पहुंचते हैं। जानकारी का यह लोकतंत्रीकरण जितना प्रेरक है, इसके खतरे उतने ही व्यापक हैं। कई बार आधे-अधूरे तथ्यों, मनगढ़ंत दावों और भड़काऊ पोस्टों ने समाज में तनाव, भ्रम और अविश्वास पैदा किया है। इस चुनौती को देखते हुए लंबे समय से यह जरूरत महसूस की जा रही थी कि डिजिटल पत्रकारिता को भी किसी औपचारिक, विश्वसनीय और स्वतंत्र प्रमाणन तंत्र की आवश्यकता है, जो यह सुनिश्चित करे कि कौन-सा कंटेंट भरोसेमंद है और कौन-सा नहीं। इसी दिशा में यह नया प्रमाणन मॉडल एक ऐतिहासिक शुरुआत के रूप में उभरकर सामने आया है।

कार्यक्रम के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी देश में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत पंजीकृत एक संगठन, इरास्मस डिजिटल मीडिया काउंसिल (Erasmus Digital Media Council – EDMC) ने संभाली है। यह संस्था डिजिटल पत्रकारिता के लिए एक पेशेवर परिसंरचना तैयार करने और ऑनलाइन न्यूज़ जगत को नैतिक मानकों से जोड़ने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। काउंसिल का कहना है कि मीडिया की विश्वसनीयता केवल कानूनों से नहीं, बल्कि पत्रकारों की ईमानदारी और संस्थानों की पारदर्शी प्रक्रियाओं से बनती है, इसलिए इस पूरी प्रणाली को स्वैच्छिक, खुले और जवाबदेह ढांचे के रूप में तैयार किया गया है। प्रमाणन के लिए आवेदन करना आसान है और प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म www.newscertification.org के माध्यम से संचालित होगी, जिसे देशभर के डिजिटल पत्रकारों के लिए एक केंद्रीकृत प्रवेश द्वार माना जा रहा है।

डिजिटल पत्रकारों की इस नई मुहिम को लेकर जनता में भी काफी उत्सुकता है कि आखिर यह प्रमाणन उन्हें कैसे लाभ पहुंचाएगा और इससे समाचार उपभोग का अनुभव कैसे बदलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, किसी पत्रकार या प्लेटफॉर्म के पास प्रमाणित पहचान होने से पाठकों का भरोसा बढ़ेगा, क्योंकि अब लोग यह जान सकेंगे कि कौन-सा स्रोत तथ्य-जांच की वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाता है और कौन-सा नहीं। हाल के वर्षों में ऐसी अनेक घटनाएँ सामने आई हैं जहाँ सोशल मीडिया से फैलने वाली झूठी खबरों ने चुनावी माहौल, सामाजिक स्थितियों और शासन के प्रति जनमानस की धारणा को प्रभावित किया है। इस पृष्ठभूमि में सरकार समर्थित यह पहल डिजिटल सूचना तंत्र को जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है।

प्रमाणन प्रक्रिया को बहुत सोच-समझकर तीन चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण में मानकों, समीक्षा ढांचे और आवेदन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा रहा है। दूसरे चरण में राष्ट्रीय स्तर पर एक ऑडिट प्रणाली विकसित की जाएगी, जो प्रमाणित पत्रकारों के कार्यों की निरंतर समीक्षा करेगी, ताकि प्रमाणन केवल एक कागज़ी प्रक्रिया न रह जाए बल्कि वास्तविक गुणवत्ता नियंत्रण का माध्यम बने। तीसरे चरण में देशभर में बड़े पैमाने पर जागरूकता और प्रशिक्षण अभियान चलाया जाएगा, ताकि डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय हर व्यक्ति आधुनिक फैक्ट-चेकिंग तकनीकों, स्रोत सत्यापन, डिजिटल सुरक्षा और मीडिया नैतिकता के मानकों को समझ सके। इन सभी चरणों का लक्ष्य एक स्थायी, मजबूत और भरोसेमंद डिजिटल मीडिया संरचना तैयार करना है।

काउंसिल ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कार्यक्रम केवल अनुभवी पत्रकारों के लिए ही नहीं, बल्कि नए डिजिटल क्रिएटर्स, यूट्यूबर्स, इंस्टाग्राम रिपोर्टर्स और स्वतंत्र न्यूज़ स्टार्टअप्स के लिए भी खुला है। आज डिजिटल मंचों पर कई युवा बिना किसी संस्थागत सहायता के महत्वपूर्ण खबरें और विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं, लेकिन उन्हें औपचारिक पहचान नहीं मिल पाती। यह प्रमाणन मॉडल उन युवाओं के लिए भी एक अवसर है कि वे विश्वसनीय और पेशेवर डिजिटल पत्रकार के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर सकें। प्रमाणित पत्रकारों को आगे चलकर प्रशिक्षण, सहयोग और अवसरों के बड़े नेटवर्क से भी जोड़ा जाएगा, जिससे डिजिटल पत्रकारिता के पेशे में दीर्घकालिक पेशेवर संस्कृति विकसित हो सके।

नए मॉडल को लेकर मीडिया जगत में यह उम्मीद भी बढ़ी है कि इससे विज्ञापनदाताओं और कॉर्पोरेट साझेदारों को भी विश्वसनीय प्लेटफॉर्म पहचानने में आसानी होगी, जिससे डिजिटल पत्रकारिता के आर्थिक ढांचे को स्थिरता मिलेगी। साथ ही, प्रमाणन मिलने के बाद मीडिया संस्थानों पर एक तरह का सार्वजनिक दबाव भी रहेगा कि वे पारदर्शी रिपोर्टिंग और जिम्मेदार पत्रकारिता बनाए रखें, क्योंकि उनके काम की नियमित समीक्षा की जाएगी। इस पारदर्शिता से न केवल पत्रकारों की विश्वसनीयता बढ़ेगी, बल्कि जनता को भी यह आश्वासन मिलेगा कि उन्हें प्राप्त होने वाला समाचार तथ्यात्मक और निष्पक्ष है।

फेक न्यूज़ और दुष्प्रचार से जूझ रहे भारत में इस पहल को कई विशेषज्ञ सामाजिक स्थिरता, लोकतांत्रिक संवाद और जन-जागरूकता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं। सूचना के इस तेज़ युग में जहां हर मिनट हजारों पोस्ट, वीडियो और रिपोर्टें सामने आती हैं, वहां जनता को सही और गलत की पहचान कराना बेहद आवश्यक हो गया है। इस तरह के प्रमाणन तंत्र से नागरिकों को यह सुविधा मिलेगी कि वे सूचना के विश्वसनीय स्रोतों का चुनाव कर सकें और गलत सूचनाओं के शिकार होने से बचें।

डिजिटल पत्रकारिता के विकास की यह यात्रा अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन इसकी घोषणा से ही यह साफ़ दिखने लगा है कि आने वाले समय में भारत का ऑनलाइन मीडिया अधिक संगठित, पेशेवर और भरोसेमंद रूप में उभरेगा। जनता की जिज्ञासा इस बात को लेकर भी है कि पहले बैच में कितने पत्रकार आवेदन करेंगे और किन मानकों पर उनकी समीक्षा होगी। यह उत्सुकता इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि इस कार्यक्रम ने डिजिटल मीडिया के विविध पक्षों जैसे स्वतंत्र कंटेंट क्रिएटर्स, सोशल मीडिया रिपोर्टर्स और छोटे न्यूज़ पोर्टल्स को भी मुख्यधारा की पहचान देने का रास्ता खोल दिया है।

भारत में डिजिटल पत्रकारों के लिए पहली बार लाया गया यह राष्ट्रीय प्रमाणन मॉडल न केवल फेक न्यूज़ पर नकेल कसने का साधन है, बल्कि यह एक व्यापक मीडिया सुधार आंदोलन का हिस्सा है। यह पहल इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है कि आने वाली पीढ़ियाँ एक जिम्मेदार, पारदर्शी और विश्वसनीय डिजिटल सूचना तंत्र प्राप्त करें। यही वजह है कि इसे ऑनलाइन मीडिया में अब तक का सबसे बड़ा और सबसे ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-