नई दिल्ली.देश में एयरपोर्ट प्राइवेटाइजेशन एक बार फिर जोर पकड़ चुका है और इस बार सरकार जिन 11 एयरपोर्ट्स को निजी कंपनियों के हवाले करने जा रही है, उनमें मध्यप्रदेश का सबसे व्यस्त और तेजी से बढ़ता इंदौर एयरपोर्ट भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रेजल कमेटी (PPPAC) इस पूरे पैकेज पर जल्द अंतिम फैसला ले सकती है, जिससे देशभर में हवाई यात्रा के नक्शे पर बड़ा बदलाव आने वाला है।
दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में निजी मॉडल की सफलता के बाद सरकार अब पहली बार बड़ा प्रयोग कर रही है—छोटे और बड़े एयरपोर्ट्स को एक साथ बंडल कर निजी कंपनियों को लंबी अवधि की लीज पर देने का। इसके लिए ट्रांजैक्शन एडवाइज़र की विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है और पूरा लक्ष्य है कि वित्त वर्ष 2026 के अंत तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाए।
सूत्र बताते हैं कि जिन 11 एयरपोर्ट्स को निजी हाथों में सौंपने का खाका तैयार हो चुका है, उनमें इंदौर, अमृतसर, वाराणसी, भुवनेश्वर, रायपुर, त्रिची, कुशीनगर, गया, औरंगाबाद, हुबली और कांगड़ा शामिल हैं। इनमें इंदौर सबसे चर्चित इसलिए है क्योंकि यह मध्यभारत का सबसे तेज़ी से उभरता हवाई हब बन चुका है और शहर से देश–विदेश की हवाई मांग हर साल रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रही है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय का मानना है कि भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एविएशन बाजार है और हवाई यात्रियों की संख्या 7–10% सालाना की रफ्तार से बढ़ रही है। ऐसे में विस्तार, आधुनिक सुविधाएँ और तेज संचालन के लिए निजी निवेश जरूरी माना जा रहा है। खास तौर पर इंदौर जैसे शहर, जो तेजी से कॉर्पोरेट, मेडिकल और स्टार्टअप हब बने हैं, वहां एयरपोर्ट सुविधाओं को नई ऊंचाई देने के लिए निजी मॉडल फिट बैठता है।
सरकार के इस कदम का एक बड़ा उद्देश्य कम उपयोग वाले एयरपोर्ट्स को भी आगे बढ़ाना है। छोटे एयरपोर्ट्स को बड़े एयरपोर्ट्स के साथ पैकेज करने का मतलब है कि निजी कंपनियाँ उन्हें भी विकसित करने के लिए बाध्य होंगी, जिससे इन शहरों की कनेक्टिविटी और आर्थिक संभावनाएँ तेज होंगी।
इंदौर एयरपोर्ट को लेकर जानकार कहते हैं कि निजी निवेश आने से यहां टर्मिनल विस्तार, रनवे अपग्रेड, नाइट लैंडिंग की बेहतर क्षमता, अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी और नई एयरलाइनों की एंट्री जैसे बड़े सुधार तेज़ी से हो सकते हैं। हालांकि शुल्क बढ़ने को लेकर यात्रियों और एयरलाइंस की चिंता भी सामने आ सकती है, लेकिन सरकार का तर्क है कि विश्वस्तरीय सुविधाओं और दीर्घकालिक गुणवत्ता उन्नयन के लिए यह कदम अनिवार्य है।
PPPAC की बैठक अब निर्णायक मोड़ पर है और उसके बाद निविदा प्रक्रिया शुरू होते ही एयरपोर्ट्स का नया नक्शा तैयार होने लगेगा। इंदौर समेत इन 11 शहरों में यह बदलाव आने वाले समय में हवाई यात्रा और क्षेत्रीय विकास की दिशा में गेम–चेंजर साबित हो सकता है—और सबसे ज्यादा नजरें इंदौर पर टिक गई हैं, क्योंकि शहर की उभरती पहचान को देखते हुए निजी कंपनियाँ इसमें सबसे अधिक दिलचस्पी दिखा सकती हैं।
इंदौर अब सिर्फ व्यापार और शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि देश के तेज़ी से बदलते हवाई मानचित्र का भी नया फोकस बनने जा रहा है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

