बोधगया में ऐतिहासिक इंटरनेशनल त्रिपिटक चैटिंग सेरेमनी शुरू 27 देशों के 20 हजार से अधिक भिक्षु हुए शामिल

बोधगया में ऐतिहासिक इंटरनेशनल त्रिपिटक चैटिंग सेरेमनी शुरू 27 देशों के 20 हजार से अधिक भिक्षु हुए शामिल

प्रेषित समय :20:59:22 PM / Tue, Dec 2nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अनिल मिश्र/बोधगया 

भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि बोधगया में आज से दस दिवसीय इंटरनेशनल त्रिपिटक चैटिंग सेरेमनी का भव्य आगाज हो गया है, जिसने इस विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक राजधानी में एक ऐतिहासिक अध्याय जोड़ दिया है। यह पहली बार है जब भारत इस भव्य चैटिंग समारोह की मेजबानी कर रहा है। मंगलवार, 2 दिसंबर से शुरू हुई यह 20वीं अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक चैटिंग 12 दिसंबर तक चलेगी, जिसमें विश्व शांति और बुद्ध के उपदेशों के पाठ के लिए लगभग 27 देशों से 20 हजार से अधिक बौद्ध भिक्षु, भिक्षुणी और श्रद्धालु शामिल हुए हैं।

इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्घाटन भारत सरकार के केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दीप प्रज्वलित कर किया। उद्घाटन समारोह से पहले केंद्रीय मंत्री ने महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में जाकर भगवान बुद्ध के दर्शन एवं पूजा-अर्चना भी की। समारोह में अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री, थाईलैंड के संघ राजा, महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति की सचिव डॉ. श्वेता महारथी सहित कई अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महाविहारों के वरिष्ठ भिक्षु उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि शेखावत ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री का संदेश भी पढ़कर सुनाया।

आज सुबह महाबोधि मंदिर परिसर स्थित बोधिवृक्ष के नीचे यह पवित्र त्रिपिटक पाठ शुरू हुआ, जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, जिसके कारण यह स्थल पूरे विश्व में विख्यात है। हजारों की संख्या में बौद्ध अनुयायी पहले ही दिन इस पवित्र पाठ में शामिल हुए। उद्घाटन समारोह की शुरुआत से पहले, बोधगया की 80 फुट बुद्ध प्रतिमा परिसर से एक विशाल धम्म पदयात्रा निकाली गई। यह पदयात्रा जापानी मॉनेस्ट्री, थाई मॉनेस्ट्री और जयप्रकाश उद्यान होते हुए महाबोधि मंदिर पहुँची। इस दौरान पंचशील ध्वज, गाजे-बाजे और पारंपरिक रथ के साथ हजारों भिक्षु "बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि" का उद्घोष कर रहे थे, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।

भिक्षु रत्न थिरु ने इस प्राचीन परंपरा के बारे में बताया कि भगवान महात्मा बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और उसके बाद उन्होंने सारनाथ में वर्षावास के दौरान अपनी वाणी का संग्रह किया, जिसे त्रिपिटक सूत कहा जाता है, और वहीं पाँच शिष्यों के बीच यह त्रिपिटक हुआ। उसके बाद से त्रिपिटक पूजा की यह प्राचीन परंपरा आज 2600 साल से चल रही है। उन्होंने बताया कि त्रिपिटक चैटिंग पूजा में बारी-बारी से चैटिंग होती है, और इस बार विनय पिटक की चैटिंग होगी, जो पूरे 10 दिनों तक चलेगी। इस बार खास बात यह है कि बौद्ध नियम के अनुसार, भारत इस अंतर्राष्ट्रीय त्रिपिटक चैटिंग सेरेमनी का आयोजन लगातार दो साल तक करेगा। इस भव्य आयोजन का स्वागत ओमेश अमेरिका ने किया। 'बुद्धम शरणम गच्छामि, धम्मं शरणम गच्छामि' के साथ भगवान बुद्ध के दिए त्रिपिटक सूत की यह गूंज विश्व भर में समस्त प्राणियों के कल्याण के लिए होगी।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-