अनिल मिश्र / पटना. बिहार प्रदेश के गया ज़िले के डोभी प्रखंड अंतर्गत धर्मपुर गाँव में त्रिकुटा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित एक अवैध बिटुमिन मिक्सिंग यूनिट ने पूरे जनजीवन को गंभीर स्वास्थ्य संकट में डाल दिया है। कृषि भूमि पर बिना किसी पर्यावरणीय स्वीकृति के चल रहा यह प्लांट न केवल भूमि उपयोग और प्रदूषण नियंत्रण के नियमों का खुला उल्लंघन कर रहा है, बल्कि पिछले एक वर्ष से अपने तीव्र और जहरीले धुएँ से सैकड़ों परिवारों, विशेषकर बच्चों के जीवन को खतरे में डाल रहा है। यह मामला अब स्थानीय प्रशासनिक लापरवाही और पर्यावरण नियमों की अनदेखी का एक ज्वलंत उदाहरण बन चुका है।
इस प्लांट की स्थिति इसे अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र बनाती है। सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि अवैध फैक्ट्री से मात्र 40 से 50 मीटर की दूरी पर एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालय है, जहाँ लगभग 300 गरीब और अनाथ बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। इसी परिसर में एक कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र और एक सिलाई प्रशिक्षण केंद्र भी वर्षों से सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है। इसके अलावा, प्लांट से लगभग 100 मीटर की दूरी पर आवासीय घर और एक मंदिर भी स्थित हैं, जिससे यह पूरा इलाका घनी आबादी और संवेदनशील संस्थानों के बीच जहरीले प्रदूषण का शिकार हो रहा है।
पिछले एक वर्ष से ग्रामीण इस अवैध प्लांट के विरुद्ध लगातार विरोध और शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। बिटुमिन मिक्सिंग के दौरान निकलने वाला तेज़, बदबूदार और जहरीला धुआँ पूरे वातावरण को असहनीय बना चुका है। ग्रामीण आंख और गले में तेज जलन , लगातार खांसी और सीने में जलन, तेज सिरदर्द, चक्कर, उल्टी और मितली जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। प्लांट से निकलने वाला धुआँ और कण हवा के रुख बदलने पर घरों के अंदर तक प्रवेश कर जाता है, जिससे कोलतार की दुर्गंध आती है, और सैकड़ों वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे निवासी आज अपने ही घरों में सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे इलाके में आधा किलोमीटर तक स्मॉग जैसा वातावरण फैला रहता है, जिसके कारण बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई होती है । अभिभावक डर के मारे अपने बच्चों को स्कूल भेजने से भी घबराते हैं।
इस मामले में पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनी और भी अधिक चिंताजनक है। उनके अनुसार, बिटुमिन मिक्सिंग से निकलने वाले धुएँ में पीएएच (पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन) जैसे खतरनाक रसायन मौजूद होते हैं, साथ ही पीएम2.5 (PM2.5), पीएम10 (PM10), पीएएच (PAH) और वीओसी (VOC) जैसे विषैली गैस शामिल हैं, जो लंबे समय में फेफड़ों की गंभीर बीमारियाँ, हृदय संबंधी समस्याएँ, त्वचा रोग, और यहाँ तक कि कैंसर का कारण भी बन सकते हैं। यह प्रदूषण 100 मीटर की दूरी पर स्थित सर्वोदय प्रशिक्षण केंद्र एवं विद्यालय पर भी बुरा प्रभाव डाल रहा है । एक शिकायत पत्र के अनुसार, फैक्ट्री के प्रदूषण से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के संक्रमण जैसी श्वसन बीमारियों में वृद्धि , आंखों और त्वचा में जलन, लालिमा, खुजली और वृद्ध लोगों व हृदय रोग से ग्रस्त व्यक्तियों में हृदय संबंधी समस्याओं का बढ़ना देखा गया है ।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ग्रामीणों की बार-बार की शिकायतों और विरोध के बावजूद, प्लांट का कोई भी मालिक या ज़िम्मेदार व्यक्ति साइट पर मौजूद नहीं रहता है, जिससे शिकायत या बातचीत करना असंभव हो जाता है। स्थानीय प्रशासन को कई शिकायतें दी गई हैं, और अनुमंडल दण्डाधिकारी, शेरघाटी के न्यायालय में रवि रंजन पाठक और अन्य ग्रामीण जनता द्वारा त्रिकुटा इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (संतोष कुमार पाण्डेय) के खिलाफ लोक बाधा (Public Nuisance) की धारा 152 के तहत एक मामला भी दर्ज कराया गया है । न्यायालय ने 24 अप्रैल 2025 को एक प्रारंभिक आदेश जारी करते हुए विपक्षी को 24 घंटे के अंदर अनाधिकृत टार फैक्ट्री की गतिविधियाँ रोकने का आदेश दिया है । साथ ही, अंचलाधिकारी, डोभी को आदेश दिया गया है कि वे पत्र प्राप्ति के 24 घंटे के अंदर फैक्ट्री की गतिविधियाँ रोकना सुनिश्चित करें, अन्यथा की स्थिति में फैक्ट्री को सील कर दिया जाएगा जो अगले आदेश तक यथावत रहेगी ।
ग्रामीण तत्काल माँग कर रहे हैं कि अवैध बिटुमिन मिक्सिंग प्लांट को तुरंत बंद किया जाए, प्रदूषण नियंत्रण मंडल और जिला प्रशासन द्वारा स्थल का तत्काल निरीक्षण किया जाए, और प्रभावित ग्रामीणों, विशेषकर बच्चों की स्वास्थ्य जाँच कराई जाए। ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन समय रहते हस्तक्षेप करेगा, इससे पहले कि यह गंभीर समस्या एक बड़ी स्वास्थ्य और पर्यावरणीय आपदा में बदल जाए।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

