मोदी–पुतिन मुलाक़ात ने बदला दिल्ली का माहौल, भारत–रूस रिश्तों में नए अध्याय की शुरुआत

मोदी–पुतिन मुलाक़ात ने बदला दिल्ली का माहौल, भारत–रूस रिश्तों में नए अध्याय की शुरुआत

प्रेषित समय :20:21:41 PM / Thu, Dec 4th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम पालम एयरपोर्ट पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का जिस गर्मजोशी से स्वागत किया, उसने न केवल भारत रूस मित्रता के लंबे इतिहास को एक बार फिर रेखांकित किया, बल्कि यह भी संकेत दिया कि इस दो-दिवसीय दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच कई नई रणनीतिक पहलें आकार ले सकती हैं। दिल्ली एयरपोर्ट पर जैसे ही राष्ट्रपति पुतिन का विमान उतरा, प्रधानमंत्री मोदी स्वयं वहां उपस्थित थे। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया, गले मिले और फिर एक ही कार में साथ रवाना हुए—यह दृश्य अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की दुनिया में एक सशक्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

यह दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। रूस–यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह पुतिन की भारत की पहली यात्रा है। ऐसे समय जब पश्चिमी देशों और यूरोपीय संघ के कई प्रतिनिधि लगातार भारत से आग्रह कर रहे हैं कि वह पुतिन को युद्ध रोकने के लिए प्रेरित करे, पुतिन का दिल्ली आना वैश्विक कूटनीतिक समीकरणों में एक अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में कई यूरोपीय देशों के दूतों और अधिकारियों ने भारत को ‘सूक्ष्म लेकिन स्पष्ट’ रूप से संदेश दिया है कि “पुतिन भारत की बात सुनते हैं, मोदी जी ने स्वयं कहा है कि समाधान युद्धभूमि पर नहीं मिलते, इसलिए कृपया उन्हें युद्ध समाप्त करने की दिशा में प्रेरित करें।” यह आग्रह इसलिए भी गंभीर है क्योंकि पूर्वी यूरोपीय देशों को इस युद्ध के विस्तार का अस्तित्वगत खतरा महसूस हो रहा है।

ऐसे माहौल में पुतिन की यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई गति देने की क्षमता रखती है, बल्कि यह वैश्विक संतुलन और मध्यस्थता में भारत की बढ़ती भूमिका को भी सामने लाती है। दिल्ली ने पुतिन के स्वागत के लिए पूरा राजकीय प्रोटोकॉल अपनाया है—निजी रात्रिभोज, औपचारिक भोज, महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें और शीर्ष भारतीय उद्योगपतियों को संबोधित करने का कार्यक्रम इस यात्रा की रूपरेखा में शामिल है। राजनयिक हलकों में यह माना जा रहा है कि इस यात्रा की ‘ऑप्टिक्स’ बहुत महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि दोनों राष्ट्र लंबे समय से रणनीतिक साझेदार रहे हैं और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में यह रिश्ता एक नई प्रासंगिकता हासिल कर रहा है।

भारत और रूस स्वास्थ्य, व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, सैन्य-तकनीकी सहयोग, अंतरिक्ष और डिजिटल सहयोग सहित कई क्षेत्रों में नए समझौते करने की तैयारी में हैं। लंबे समय से भारत के रक्षा आधुनिकीकरण का बड़ा हिस्सा रूस के साथ साझेदारी पर आधारित रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में बदलती तकनीकी और भू-रणनीतिक परिस्थितियों ने इस संबंध को नए ढंग से परिभाषित करने की आवश्यकता पैदा की है। इस दौरे को उन चर्चाओं का निर्णायक चरण माना जा रहा है जिनमें न केवल पुराने समझौतों का विस्तार होगा बल्कि उभरते क्षेत्रों—जैसे फार्मा तकनीक, मेडिकल रिसर्च, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और व्यापारिक निवेश—में भी नई संभावनाएँ बन सकती हैं।

पालम एयरपोर्ट पर हुए स्वागत समारोह में जो गर्मजोशी देखने को मिली, उसे सिर्फ प्रोटोकॉल से अधिक माना जा रहा है। दोनों नेताओं ने एक ही कार में मोदी के आवास की ओर प्रस्थान किया, जहां आज रात एक निजी रात्रिभोज की योजना है। रात्रिभोज के दौरान होने वाली बातचीत को लेकर गोपनीयता बरती जा रही है, किंतु संकेत स्पष्ट हैं—दोनों नेता उन बिंदुओं पर खुलकर चर्चा करेंगे जो सार्वजनिक मंचों पर संभव नहीं होते। यह भी माना जा रहा है कि भारत यूरोप की चिंताओं और अपने स्वयं के राष्ट्रीय हितों दोनों को ध्यान में रखते हुए रूस से युद्ध समाप्ति या कम से कम तनाव घटाने की दिशा में सार्थक कदम उठाने का आग्रह कर सकता है।

दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था को उच्चतम स्तर पर रखा गया है। राजपथ क्षेत्र से लेकर प्रधानमंत्री आवास तक सुरक्षा घेरा और यातायात प्रबंधन बेहद सख़्त है। रूसी प्रतिनिधिमंडल में कई उच्च-स्तरीय मंत्री और अधिकारी शामिल हैं, जिससे संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच व्यापक बातचीत होने वाली है। आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत–रूस व्यापार में डॉलर के विकल्प के रूप में स्थानीय मुद्रा और वैकल्पिक भुगतान प्रणालियों पर भी महत्वपूर्ण चर्चा हो सकती है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार संरचना तेज़ी से बदल रही है।

रूस–भारत संबंधों में ऊर्जा सहयोग हमेशा केंद्र में रहा है। भारत रूसी कच्चे तेल का बड़ा खरीदार बना हुआ है, और यह भी माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच लॉन्ग-टर्म एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट, नई पाइपलाइन या बंदरगाह संपर्क, और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी सहयोग पर निर्णायक प्रगति हो सकती है। रूस इस वक्त एशिया में नए आर्थिक और रणनीतिक सहयोगियों की तलाश में है, जबकि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है—इन दोनों आवश्यकताओं का संगम इस यात्रा को विशेष महत्व देता है।

वहीं, यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक राजनीति में चल रहे तनावों के बीच पुतिन का भारत आना पश्चिमी देशों की नजर में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। कई देशों के पर्यवेक्षकों ने आज की मुलाकात और स्वागत के दृश्यों को ध्यान से देखा। मोदी और पुतिन की गर्मजोशी से भरी बॉडी लैंग्वेज को भारत–रूस दोस्ती के मजबूत संदेश के रूप में देखा गया है, लेकिन यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत इस रिश्ते का उपयोग एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में युद्ध व शांति के मुद्दों पर रचनात्मक संवाद को बढ़ाने में करेगा।

आज दिन भर सोशल मीडिया पर फैली फोटो और वीडियो क्लिप्स—जिसमें मोदी और पुतिन एक-दूसरे को देखकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए गले मिलते दिखाई दिए—लोगों के बीच उत्सुकता और चर्चाओं का विषय बने रहे। जनता में यह स्वाभाविक जिज्ञासा है कि यह दौरा भारत के लिए क्या नया लेकर आएगा, दोनों देशों के रिश्तों में कौन से मोड़ आएंगे, और क्या भारत वैश्विक शांति की दिशा में कोई नया संकेत दे सकेगा।

आज रात निजी रात्रिभोज के बाद कल औपचारिक बैठकें और संयुक्त बयान की उम्मीद है। दो दिनों की इस अहम यात्रा का हर पल न केवल दिल्ली की राजनीतिक धड़कन को तेज़ कर रहा है, बल्कि यह भी तय कर रहा है कि आने वाले वर्षों में भारत–रूस संबंध किस दिशा में आगे बढ़ेंगे। तमाम कूटनीतिक संकेत यही कहते हैं कि इस दौरे का प्रभाव केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं रहेगा—यह एशिया और यूरोप दोनों में बदलते संतुलन पर भी दूरगामी असर डाल सकता है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-