बंगाल में सियासी भूचाल TMC विधायक हुमायूं कबीर सस्पेंड विवादित बयान से उड़ी हलचल, चुनावी मौसम में बढ़ी गर्मी

बंगाल में सियासी भूचाल TMC विधायक हुमायूं कबीर सस्पेंड विवादित बयान से उड़ी हलचल, चुनावी मौसम में बढ़ी गर्मी

प्रेषित समय :21:41:37 PM / Thu, Dec 4th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मुर्शिदाबाद.

पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी तापमान अचानक तेज हो गया है। तृणमूल कांग्रेस ने अपने विधायक हुमायूं कबीर को उस बयान के बाद पार्टी से निलंबित कर दिया है, जिसमें उन्होंने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की तर्ज पर मस्जिद निर्माण की बात कही थी। जैसे ही यह टिप्पणी सार्वजनिक हुई, राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मच गई और पार्टी नेतृत्व, खासकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, reportedly, इस बयान से नाराज बताई गईं। TMC ने इसे “अनुशासनहीनता” और “अस्वीकार्य आचरण” बताते हुए कबीर के खिलाफ तत्काल कार्रवाई कर दी।

निलंबन की जानकारी सामने आने के बाद कबीर ने कहा कि वह 22 दिसंबर को अपनी राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे। उनका बयान और भी तीखा था—उन्होंने साफ कहा कि वह ममता बनर्जी के कहने पर ही पार्टी में रहे थे, और यदि उन्हें छोड़ने को कहा गया है तो वह निस्संदेह चले जाएंगे। मीडिया से निलंबन के बारे में पता चलने की बात कहते हुए कबीर ने घोषणा कर दी कि वह TMC छोड़ देंगे। साथ ही उन्होंने दावा किया कि “मुर्शिदाबाद की जनता इसका जवाब देगी” और वह आगामी समय में भाजपा और TMC दोनों के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे।

इस विवाद का केंद्र 6 दिसंबर है—वही तारीख जिस दिन अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराया गया था। कबीर ने दावा किया था कि 6 दिसंबर को NH-34 “मुस्लिम नियंत्रण” में होगा और वह बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की तरह एक संरचना की आधारशिला रखेंगे। इस बयान ने न केवल TMC, बल्कि पूरे राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी। कोलकाता के मेयर और वरिष्ठ TMC नेता फिरहाद हकीम ने कहा कि कबीर का बयान “विभाजनकारी राजनीति” की तरफ संकेत करता है और यह भाजपा की रणनीति को बढ़ावा देने जैसा कदम प्रतीत होता है। हकीम ने तीखे अंदाज में सवाल किया—“6 दिसंबर ही क्यों? वह कोई और नाम क्यों नहीं चुनते? वह मस्जिद की जगह स्कूल, कॉलेज या अस्पताल की बात कर सकते थे।”

हकीम ने आरोप लगाया कि बंगाल में धार्मिक ध्रुवीकरण फैलाने की योजनाओं के पीछे भाजपा की राजनीति काम करती है और कबीर अनजाने या जानबूझकर उसी चाल में फंस गए हैं। इस बयानबाजी ने बंगाल की राजनीति में और अधिक गर्मी ला दी है, जहां TMC पहले से ही BJP के साथ कड़ी राजनीतिक टक्कर में है।

दूसरी ओर, भाजपा इस विवाद को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साध रही है। राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने सीधे राज्य सरकार से सवाल किया कि यदि कबीर के बयान से “कानून-व्यवस्था का संकट” उत्पन्न हो सकता है, तो उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? राज्यपाल ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर “मुर्शिदाबाद को बदनामी का अड्डा” बनाने की कोशिश कर रहे हैं और यदि सांप्रदायिक तनाव भड़कता है, तो सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे। उन्होंने माना कि खुफिया रिपोर्टों और स्थानीय स्तर से मिली जानकारी इस बात की ओर इशारा करती है कि माहौल को अस्थिर करने का प्रयास हो रहा है।

सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी का मस्जिद निर्माण जैसे किसी भी कदम से कोई संबंध नहीं है और कबीर की टिप्पणी पूरी तरह व्यक्तिगत है। TMC नेतृत्व ने इसे ऐसी हरकत बताया जो पार्टी की विचारधारा के विपरीत है और चुनावी समय में इस प्रकार का बयान भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

कबीर का दावा है कि उन्हें राजनीतिक रूप से निशाना बनाया जा रहा है और वह जनता के बीच जाकर अपना पक्ष रखेंगे। उनका कहना है कि वह “साम्प्रदायिक नहीं, बल्कि विकास की राजनीति” करना चाहते हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी टिप्पणी के बाद से वह खुद भी विवाद में फंस गए हैं और पार्टी ने यह संदेश दिया है कि “किसी भी तरह की सांप्रदायिकता पर आधारित टिप्पणी” को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

वहीं, प्रशासन मुर्शिदाबाद में हाई अलर्ट पर है। 6 दिसंबर को कबीर को कार्यक्रम करने की अनुमति तो है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि भीड़ को लेकर तनातनी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पुलिस और जिला प्रशासन ने स्थिति पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। जिले में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है और संवेदनशील क्षेत्रों में पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है।

राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि बंगाल में ध्रुवीकरण की राजनीति पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रही है—चाहे वह BJP की हिंदुत्व आधारित रणनीति हो या TMC द्वारा अल्पसंख्यक वोटों के समर्थन को मजबूत करने की कवायद। ऐसे में कबीर का बयान चुनावी माहौल में एक बड़ा मोड़ बन सकता है। TMC प्रयास कर रही है कि यह मुद्दा बड़े विवाद का रूप न ले और पार्टी की छवि पर प्रभाव न पड़े। हालांकि विपक्ष इसे छोड़ने के मूड में नहीं है, और भाजपा इस बयान का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश में है।

इस पूरे घटनाक्रम ने यह भी दिखाया है कि बंगाल में राजनीति कितनी संवेदनशील हो चुकी है—जहां एक बयान चुनावी समीकरणों को बदल सकता है। निलंबन के बाद कबीर का पार्टी बनाने का ऐलान भी बंगाल की राजनीति में नई चुनौतियां खड़ा कर सकता है। यदि वह वास्तव में भाजपा और TMC दोनों के खिलाफ मैदान में उतरते हैं, तो मुर्शिदाबाद सहित आसपास के इलाकों में वोट बैंक पर प्रभाव पड़ सकता है।

राज्य में पहले ही कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावनाओं की चर्चा है और अब यह नया समीकरण विपक्षी खेमे को भी नई रणनीति बनाने पर मजबूर कर सकता है। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि कबीर की नई पार्टी को कितना जनसमर्थन मिलता है और क्या वह TMC और BJP जैसी बड़ी पार्टियों के लिए चुनौती बन सकते हैं।

फिलहाल, TMC ने कड़ा संदेश दे दिया है कि विवादित बयानबाजी और धार्मिक राजनीति से पार्टी का कोई नाता नहीं। दूसरी तरफ, कबीर इसे अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने का अवसर बता रहे हैं। दोनों पक्षों की बयानबाजी और बढ़ते तनाव के बीच, बंगाल की राजनीति एक नए मोड़ पर पहुंच गई है, जहां हर कदम चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

यह विवाद केवल एक विधायक के बयान का मामला नहीं, बल्कि बंगाल की मौजूदा राजनीति के उस दौर का प्रतीक है जहां भावनाएं, धर्म, चुनाव और सत्ता—सभी एक संवेदनशील धागे में बंधे हुए हैं।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-