इंडिगो संकट से हवाई किराए में बेकाबू उछाल, कोलकाता से मुंबई टिकट 90 हजार पार, सरकार से हस्तक्षेप की मांग तेज

इंडिगो संकट से हवाई किराए में बेकाबू उछाल, कोलकाता से मुंबई टिकट 90 हजार पार, सरकार से हस्तक्षेप की मांग तेज

प्रेषित समय :20:46:17 PM / Fri, Dec 5th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

कोलकाता.देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के अभूतपूर्व परिचालन संकट ने भारतीय एविएशन सेक्टर को झकझोर दिया है। हजारों फ्लाइट्स रद्द होने के बाद हवाई किराए में जो उछाल आया, उसने यात्रियों को परेशान और विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है। कोलकाता से मुंबई जैसी व्यस्त रूट पर टिकट कीमतें 90 हजार रुपये के पार चली गईं। यह दर सामान्य किराए से 15 गुना ज्यादा है और ऐसे समय में दर्ज हुई है, जब छुट्टियों का सीजन शुरू हो चुका है और ट्रैवल की मांग अपने चरम पर है।

इंडिगो द्वारा दिल्ली से 5 दिसंबर की सभी उड़ानें रद्द करने के बाद स्थिति और बदतर होती गई। एयरलाइन की कुल 1000 से अधिक फ्लाइट्स कैंसिल हो चुकी हैं। असर केवल इंडिगो तक सीमित नहीं रहा—अन्य कंपनियों ने भी अचानक बढ़ी मांग के चलते किराए बढ़ा दिए। स्पाइसजेट का कोलकाता–मुंबई टिकट 90,282 रुपये पर पहुंच गया और एयर इंडिया का किराया 43,000 रुपये तक जा पहुंचा। ये दोनों अपने सामान्य मूल्य की तुलना में कई गुना अधिक हैं। यात्रियों का कहना है कि इतनी महंगी टिकटें खरीद पाना संभव नहीं, लेकिन जरूरी यात्रा की बाध्यता उन्हें विवश कर रही है।

कोलकाता एयरपोर्ट पर बुधवार शाम से यात्रियों की भीड़ स्पष्ट रूप से बढ़ गई। लोग टिकट काउंटरों पर जानकारी लेने के लिए लाइन लगाए खड़े थे, जबकि ऑनलाइन टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म्स पर “सर्ज प्राइसिंग” की स्थिति बनी रही। कई यात्री दावे कर रहे हैं कि उन्होंने शाम को जिस टिकट की कीमत देखी, वह केवल दो घंटे में दोगुनी हो गई। यात्रियों में यह सवाल भी उभर रहा है कि अचानक इतनी उथल-पुथल क्यों मची और समाधान कब तक मिल सकेगा।

इंडिगो संकट की सबसे बड़ी वजह एफडीटीएल नियमों को लेकर उपजे विवाद को बताया जा रहा है। नई ड्यूटी टाइम लिमिट के लागू होने में देरी और इससे जुड़े स्टाफ संकट के कारण पायलटों और क्रू की उपलब्धता अचानक प्रभावित हुई। एयरलाइन के बेड़े में बड़े पैमाने पर उड़ानें ठप हो गईं। अधिकारियों के अनुसार 6 दिसंबर को भी 1000 से कम फ्लाइट्स कैंसिल नहीं होंगी।

इस बीच, नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने भरोसा दिलाया है कि अगले तीन दिनों में सेवाएं सामान्य होने लगेंगी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और यात्रियों को राहत देने के लिए हर जरूरी कदम उठाया जाएगा। यह बयान जरूर आया, लेकिन यात्रियों की व्यावहारिक समस्याएं बुधवार रात से निरंतर बढ़ रही हैं।

कोलकाता से मुंबई रूट पर उड़ानें आम तौर पर सस्ती और लगातार उपलब्ध रहती हैं, लेकिन इस बार हालात असाधारण रहे। 21,000 रुपये में मिलने वाला गोवा–मुंबई टिकट भी चार गुना कीमत पर बिक रहा था। मुंबई से दिल्ली के लिए एयर इंडिया के डायरेक्ट टिकट 26,000 रुपये तक पहुंच गए। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह स्थिति बताती है कि भारतीय एविएशन सेक्टर अभी भी एक कंपनी में आई गड़बड़ी से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है।

इस संकट के बीच यह सवाल भी तेजी से उठ रहा है कि क्या सरकार किराया नियंत्रण के विकल्प पर फिर विचार करेगी। यात्रियों को याद है कि इसी साल अप्रैल में सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने पहलगाम आतंकी हमले की स्थिति को देखते हुए श्रीनगर–दिल्ली रूट पर किराए की सीमा तय की थी। निर्णय का परिणाम यह हुआ कि तत्काल 65,000 रुपये तक पहुंचा टिकट भाव 14,000 रुपये तक लौट आया था। उन दिनों पर्यटक असुरक्षा की वजह से बड़ी संख्या में लौट रहे थे, इसलिए सरकार ने हस्तक्षेप किया था। अब ठीक वैसा ही दबाव यात्रियों और सोशल मीडिया के माध्यम से दोबारा बनता दिख रहा है।

सरकार ने 5 दिसंबर की रात इंडिगो के लिए राहत उपाय जारी किए। इसमें निर्देश दिया गया कि जिन यात्रियों की फ्लाइट रद्द हुई है, उन्हें पूरा किराया लौटाया जाए। यदि कोई यात्री एयरपोर्ट पर फंसा हुआ है, तो उसके रहने और खाने की जिम्मेदारी एयरलाइन को निभानी होगी। केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि नियामक संस्था डीजीसीए मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर रही है, जो संकट की वास्तविक वजह और समाधान पर रिपोर्ट देगी।

कोलकाता एयरपोर्ट पर यात्रियों का कहना है कि टिकट रिफंड की प्रक्रिया काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि उड़ानें जल्द बहाल होंगी। कई लोग बताते हैं कि उन्होंने तीन-तीन बार टिकट कैंसिल करवाई हैं और अब ट्रेनें भी वेटिंग लिस्ट से बाहर निकलने की स्थिति में नहीं हैं। कारोबार, परीक्षाओं और पारिवारिक कारणों से यात्रा करने वालों के लिए यह मुश्किल और बढ़ गई है।

एविएशन एक्सपर्ट मानते हैं कि इस संकट ने देश के हवाई नेटवर्क की नाजुकता को उजागर कर दिया है। भारत में 60% से अधिक घरेलू उड़ानों का संचालन इंडिगो करती है। ऐसे में कंपनी में आई गड़बड़ी पूरे सिस्टम को प्रभावित कर देती है। एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि सरकार को पहले से ही एक “कंटिजेंसी फ्लाइट प्लान” बनाना चाहिए ताकि किसी एक एयरलाइन की समस्या का बोझ बाकी यात्रियों पर न पड़े।

कोलकाता, मुंबई और दिल्ली के बीच उड़ानें देश की आर्थिक धुरी मानी जाती हैं। जब इन रूट्स पर 15 गुना तक किराया बढ़ जाता है, तो यह केवल यात्रियों की जेब पर नहीं, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों पर भी असर डालता है। कंपनियों को अचानक बढ़े हुए किराए की वजह से यात्रा योजनाएँ रद्द करनी पड़ रही हैं। स्टार्टअप्स और छोटे व्यापारियों के लिए यह संकट और गंभीर है।

इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने वीडियो संदेश में माफी मांगते हुए आश्वासन दिया कि 10 से 15 दिसंबर तक सेवाएं सामान्य होने लगेंगी। लेकिन यात्रियों की नजर अब सरकार की कार्रवाई पर भी बनी हुई है—क्या किराया सीमा तय होगी? क्या अतिरिक्त फ्लाइट्स जोड़ी जाएंगी? और क्या भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए कोई स्थायी नीति बनेगी?

फिलहाल, हजारों यात्रियों की यात्रा योजनाएँ अधर में हैं और कोलकाता से मुंबई जैसे प्रमुख रूट्स पर 90 हजार रुपये का टिकट भाव आम लोगों को यह समझा रहा है कि एक एयरलाइन का संकट किस तरह राष्ट्रीय समस्या बन सकता है। यात्रियों को राहत मिलेगी या नहीं, इसका जवाब आने वाले दिनों में सरकार के कदम तय करेंगे।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-