रविवार 7 दिसंबर को श्रीगणेश चतुर्थी व्रत का महासंयोग सिद्धि और सौभाग्य की कामना, से भक्त करेंगे लंबोदर की आराधना

रविवार 7 दिसंबर को श्रीगणेश चतुर्थी व्रत का महासंयोग सिद्धि और सौभाग्य की कामना, से भक्त करेंगे लंबोदर की आराधना

प्रेषित समय :20:30:37 PM / Fri, Dec 5th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

धार्मिक आस्था और परंपरा के रंग में डूबे भारतवर्ष में व्रत-त्योहारों का सिलसिला वर्ष भर चलता रहता है, लेकिन जब कोई प्रमुख व्रत रविवार के दिन पड़ता है, तो उसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस बार 7 दिसंबर, रविवार को ऐसा ही एक अत्यंत शुभ और पवित्र संयोग बन रहा है—यह दिन श्रीगणेश चतुर्थी व्रत के रूप में मनाया जाएगा। भक्तों के बीच इस विशिष्ट तिथि को लेकर अपूर्व उत्साह और जिज्ञासा देखी जा रही है, क्योंकि यह पावन दिन न केवल बुद्धि, समृद्धि और विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है, बल्कि रविवार का संयोग इसे आरोग्यता और तेजस्विता प्रदान करने वाले सूर्य देव के आशीर्वाद से भी जोड़ देता है।

धार्मिक ग्रंथों और पंचांगों के अनुसार, प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा का विधान है, जो सभी प्रकार के विघ्नों का हरण करने वाली मानी जाती है। यह व्रत विशेष रूप से संकटों से मुक्ति और जीवन में स्थिरता तथा सफलता लाने के लिए किया जाता है। चूंकि यह तिथि रविवार को पड़ रही है, इसलिए ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसका महत्व और बढ़ जाता है। रविवार का दिन सूर्य देव का माना जाता है, जो तेज, ऊर्जा और उत्तम स्वास्थ्य के प्रतीक हैं। इस संयोग से व्रत करने वाले को गणेश जी की सिद्धि के साथ-साथ सूर्य देव का आरोग्य भी प्राप्त होता है, जिससे जीवन में तेजस्विता और आत्मविश्वास बढ़ता है।

भक्तों के बीच इस व्रत को लेकर सबसे बड़ी उत्सुकता पूजा विधि और शुभ मुहूर्त को लेकर है। इस दिन श्रद्धालु सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त होते हैं और लाल वस्त्र धारण करते हैं। भगवान गणेश को लाल रंग अत्यंत प्रिय है, इसलिए पूजा में लाल चंदन, लाल पुष्प, और लाल गुलाल का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। पूजा की शुरुआत संकल्प के साथ की जाती है, जिसमें पूरे दिन फलाहार या केवल जलाहार का व्रत रखने का प्रण लिया जाता है।

इस व्रत का एक अनिवार्य और सबसे महत्वपूर्ण अंग चंद्रमा को अर्घ्य देना है। शाम के समय, सूर्यास्त के पश्चात, जब चंद्रमा उदय होता है, तब दूर्वा (घास) और मोदक (या लड्डू) का भोग लगाकर गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय हैं, इसलिए इस दिन मोदक का भोग लगाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इसके बाद, छलनी से चंद्रमा के दर्शन करने और उन्हें दूध तथा जल मिलाकर अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्रत पूर्ण होता है और अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं।

इस अवसर पर, मंदिरों में विशेष धार्मिक अनुष्ठान और कीर्तन-भजन का आयोजन किया जाएगा। जबलपुर समेत पूरे मध्यप्रदेश के गणेश मंदिरों में सुंदर झाँकियाँ सजाई जाएंगी और भक्तगण "ओम गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करते हुए सुख-समृद्धि की प्रार्थना करेंगे। लोगबाग यह जानने को उत्सुक हैं कि इस विशिष्ट दिन पर कौन सी नई पूजा विधि या अचूक उपाय करके वे अपने जीवन के विघ्नों को दूर कर सकते हैं। पंडितों और आचार्यों के अनुसार, इस दिन गरीबों को वस्त्र और अन्न दान करने का भी अत्यधिक महत्व है, जिससे पुण्य फल में वृद्धि होती है।

7 दिसंबर रविवार की गणेश चतुर्थी का यह शुभ संयोग उन सभी भक्तों के लिए एक अनमोल अवसर है जो जीवन में किसी बड़ी बाधा से जूझ रहे हैं या नया कार्य शुरू करने की योजना बना रहे हैं। यह दिन बुद्धि, विवेक और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाला है, और इस विशेष व्रत को करके भक्तगण अपने लिए उत्तम भाग्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-