पौष माह शुरू, तुलसी पूजन से दूर होगी पैसों की तंगी, आध्यात्मिक महत्व और शुभ फल का विस्तृत पौराणिक संकेत

पौष माह शुरू, तुलसी पूजन से दूर होगी पैसों की तंगी, आध्यात्मिक महत्व और शुभ फल का विस्तृत पौराणिक संकेत

प्रेषित समय :21:45:53 PM / Sat, Dec 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

हिंदू पंचांग का दसवां महीना—पौष—आज से शुरू हो चुका है और इसके आरंभ होते ही पूरे देश में धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा की एक नई तरंग महसूस होने लगी है। यह महीना अपनी प्रकृति, परंपराओं और विशिष्ट मान्यताओं के कारण बेहद पवित्र माना जाता है। जैसे ही मार्गशीर्ष समाप्त होता है, पौष का आगमन केवल ऋतु परिवर्तन का संकेत भर नहीं होता, बल्कि यह संकेत देता है कि अगले 30 दिनों में व्यक्ति को आत्मिक शुद्धता, तप, दान, साधना और देवपूजन में अधिक समय लगाना चाहिए। इस माह में कई कार्य निषिद्ध होते हैं, जबकि कई ऐसे आध्यात्मिक उपाय और पूजन विधान बताए गए हैं, जिनसे सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इसी पावन काल के दौरान तुलसी पूजा का विशेष महत्व भी बताया गया है, जिसे लक्ष्मी प्रसन्नता और आर्थिक उन्नति से सीधे जोड़ा गया है।

पौष माह को धार्मिक दृष्टि से छोटा पितृ पक्ष भी माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस अवधि में पितरों का स्मरण और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति का वरदान मिलता है और परिवार पर उनका आशीष बना रहता है। सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने की परंपरा भी इसी महीने शक्तिशाली मानी जाती है, जिससे ग्रहदोषों का शमन होता है। कई विद्वान कहते हैं कि पौष वह महीना है जब सूर्य उत्तरायण की ओर अग्रसर होता है और प्रकृति के भीतर भी एक ऊर्जा-पुनर्जागरण का प्रारंभ होता है। इसलिए इस समय की गई साधना, जप और पूजा का परिणाम सामान्य दिनों से कई गुना अधिक मिलता है।

पौष के मास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है। कारण है इस अवधि में लगने वाला खरमास, जिसे वैदिक परंपरा में शुभ कार्यों के लिए अनुपयुक्त माना गया है। इसी कारण नए व्यापार, बड़े निवेश या किसी नई यात्रा के शुभारंभ को भी इस माह में टालने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि इस अवधि में शुरू किए गए बड़े काम अवरोध या अनिश्चितता का सामना करवा सकते हैं। किंतु पूजा-पाठ, व्रत, दान, जप, ध्यान और गृह देवताओं के प्रति समर्पण पूरी तरह अनुमत है और इसके फल अत्यंत शुभ बताए गए हैं।

इसी कड़ी में तुलसी पूजा का महत्व पौष माह में कई गुना अधिक बढ़ जाता है। तुलसी को हिंदू धर्म में केवल एक पौधा नहीं, बल्कि श्रीहरि विष्णु की परम प्रिया और देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। तुलसी की पत्तियाँ, सुगंध, उसका स्पर्श और उसके इर्द-गिर्द बना वातावरण घर में एक सकारात्मक ऊर्जा स्थापित करता है। माना जाता है कि जिस घर में तुलसी की नियमित पूजा होती है, वहां बीमारी कम होती है, लक्ष्मी का निवास स्थिर रहता है और पैसों की तंगी धीरे-धीरे दूर होने लगती है।

बैद्यनाथ धाम के तीर्थपुरोहित प्रमोद श्रृंगारी के अनुसार, पौष मास में प्रतिदिन तुलसी माता की पूजा करना अत्यंत शुभ है। वे बताते हैं कि इस अवधि में तुलसी को जल अर्पित करते समय उसमें घी अवश्य मिलाना चाहिए, जिससे देवी लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। शाम के समय तुलसी के समीप घी का दीपक जलाना भी अत्यंत शुभ माना गया है। यह दीपक न केवल घर में शुद्ध वातावरण बनाता है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और वित्तीय बाधाओं को कम करने में सहायक होता है।

इस महीने एक अद्भुत और दुर्लभ माने जाने वाले विशेष उपाय का भी उल्लेख मिलता है। इसके अनुसार, संक्रांति से एक दिन पूर्व आने वाली पौष एकादशी को तुलसी के पत्तों पर चंदन से भगवान विष्णु के सहस्रनाम में से एक-एक नाम लिखकर उन्हें अर्पित किया जाए। यदि कोई व्यक्ति पूरे 1,000 पत्तों पर नाम लिखकर भगवान को अर्पित कर दे, तो उसकी सभी परेशानियाँ समाप्त हो जाती हैं और जीवन में केवल सुख, शांति और समृद्धि का प्रवाह बना रहता है। यह उपाय अत्यंत कठिन और साधना-प्रधान है, लेकिन कथाओं और शास्त्रीय परंपराओं के अनुसार इसका फल बेहद प्रभावशाली बताया गया है।

पौष माह का एक और अनिवार्य नियम है—दान। इस अवधि में अन्न, वस्त्र, तिल, घी, गुड़ और कंबल का दान अत्यंत शुभ माना जाता है। दान से ग्रहदोष शांत होते हैं और परिवार में आर्थिक उन्नति तथा मानसिक शांति बढ़ती है। यह महीना हर व्यक्ति को यह सीख भी देता है कि पूजा-पाठ के साथ-साथ सामाजिक करुणा और परोपकार भी जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।

इस तरह पौष का महीना आत्मशुद्धि, आध्यात्मिक उन्नति और परिवार की समृद्धि का उत्सव है। सूर्य, विष्णु और तुलसी के पूजन का यह पावन समय व्यक्ति के जीवन में नए सवेरे का आरंभ कर सकता है। तुलसी पूजा के माध्यम से आर्थिक तंगी को दूर करने की धारणा केवल धार्मिक मान्यता ही नहीं, बल्कि मन और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा जगाने का एक सुंदर माध्यम है। जब अपने घर में प्रतिदिन तुलसी के निकट एक दीपक जलता है, तो उसके साथ प्रज्ज्वलित होते हैं—आत्मविश्वास, विश्वास और वह आशा जो हर कठिन समय को हल्का कर देती है और जीवन को नई दिशा में आगे बढ़ने की शक्ति देती है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-