पंजाब की राजनीति सोमवार को उस समय अचानक गरमा गई, जब कांग्रेस ने सख़्त कार्रवाई करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी और पूर्व विधायक डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. यह कदम उस विवादास्पद टिप्पणी के बाद उठाया गया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि “500 करोड़ रुपये का सूटकेस देने वाला ही मुख्यमंत्री बन सकता है.” यह बयान न सिर्फ़ सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया, बल्कि कांग्रेस के अंदरूनी ढांचे और टिकट बंटवारे को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े कर गया. पार्टी की प्रदेश इकाई ने इसे नुकसानदेह और शर्मनाक बताते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणियाँ संगठन की साख को चोट पहुंचाती हैं और विरोधियों को राजनीतिक हमला करने का मौका देती हैं.
पंजाब कांग्रेस की ओर से जारी आदेश ने स्पष्ट कर दिया कि डॉ. सिद्धू के बयान ने पार्टी को असहज स्थिति में डाल दिया है, खासकर ऐसे समय में जब 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों की दिशा तय की जा रही है. उनके निशाने पर आए नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा सहित कई वरिष्ठ चेहरे शामिल थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि टिकटों की बिक्री होती है और धनबल के जरिए महत्वपूर्ण पद दिए जाते हैं. चूंकि यह टिप्पणी एक संवेदनशील राजनीतिक माहौल में आई, इसलिए इसका असर तुरंत दिखाई दिया और विपक्षी दल—AAP और BJP—ने इसे कांग्रेस के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.
विवाद की शुरुआत 6 दिसंबर को उस समय हुई, जब नवजोत कौर सिद्धू पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत कर रही थीं. उन्होंने अपने बयान में साफ कहा कि मुख्यमंत्री वही बन सकता है जो “500 करोड़ रुपये का सूटकेस” पेश करे. यह कथन किसी एक नेता पर व्यक्तिगत टिप्पणी से आगे बढ़कर पूरी पार्टी के निर्णय प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता दिखा. अगले ही कुछ घंटों में इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद विरोधियों ने कांग्रेस हाईकमान पर निशाने साधने शुरू कर दिए. AAP नेताओं ने पूछा कि यदि मुख्यमंत्री पद 500 करोड़ में मिलता है, तो क्या यह पैसा दिल्ली या पंजाब के कांग्रेस हाईकमान को दिया जाता है? इस कटाक्ष ने पार्टी के लिए स्थिति और अधिक जटिल कर दी.
इस बीच नवजोत कौर सिद्धू की सफाई भी विवाद को शांत नहीं कर सकी. उन्होंने X (ट्विटर) पर एक विस्तृत पोस्ट जारी करते हुए कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया है और उनका आशय यह नहीं था कि कांग्रेस ने उनसे या उनके पति से कभी धन की मांग की. उन्होंने लिखा कि, “हम ऐसी किसी भी पार्टी को पैसे नहीं देंगे जो मुख्यमंत्री पद के बदले धन की अपेक्षा रखती हो.” लेकिन उनकी सफाई और भावनात्मक अपील के बावजूद पार्टी नेतृत्व ने इस पूरे विवाद को अनुशासनहीनता का गंभीर मामला माना और निलंबन का निर्णय बरकरार रखा. सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान इस बात से नाखुश था कि यह बयान उस समय आया जब पार्टी नेतृत्व राज्य संगठन को एकजुट रखने और आगामी चुनावी रणनीति बनाने के प्रयास कर रहा है.
यह विवाद एक और दिशा में तब मुड़ा, जब नवजोत कौर से उनके पति, पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीतिक योजनाओं के बारे में पूछा गया. इस पर उन्होंने कहा कि सिद्धू तभी सक्रिय राजनीति में वापसी करेंगे, जब कांग्रेस उन्हें 2027 के चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करेगी. उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि उनके पास “500 करोड़ रुपये नहीं हैं कि वे यह पद खरीद सकें.” यह दूसरा बयान पहले से भड़की आग पर घी डालने जैसा साबित हुआ, क्योंकि इसे कांग्रेस के अंदर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और खरीद-फरोख्त के आरोप के रूप में लिया गया. पार्टी में कई वरिष्ठ नेताओं ने नाराज़गी जताई और स्थानीय स्तर पर भी यह संदेश गया कि कांग्रेस खुले में अपनी ही छवि को नुकसान पहुंचा रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना पंजाब कांग्रेस की आंतरिक अस्थिरता को उजागर करती है, जहां नेतृत्व को मजबूत करने और संगठन को एकजुट रखने की चुनौतियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं. राज्य में AAP सरकार पहले से कांग्रेस पर कमजोर नेतृत्व और गुटबाजी के आरोप लगाती रही है, ऐसे में इस विवाद ने उसे एक और मजबूत तर्क दे दिया है. वहीं BJP ने इसे “कांग्रेस संस्कृति” की झलक बताते हुए कहा कि यह पार्टी अंदरूनी भ्रष्टाचार से घिरी हुई है और उसका शीर्ष नेतृत्व भी इससे बच नहीं सकता.
राजनीतिक मायनों में यह घटना नवजोत सिंह सिद्धू की भूमिका पर भी सवाल उठाती है. सिद्धू लंबे समय से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी जताते रहे हैं और उनके समर्थक भी उन्हें एक मजबूत चेहरा मानते हैं. लेकिन पार्टी के भीतर उनके बयानों और रणनीति को कई बार अनुशासनहीनता माना गया है. उनकी पत्नी के निलंबन ने संकेत दिया है कि हाईकमान अब सिद्धू कैंप की खुली बयानबाज़ी को बर्दाश्त नहीं करेगा, खासकर जब चुनावी तैयारियाँ तेज हो रही हों.
कुल मिलाकर नवजोत कौर सिद्धू का “500 करोड़ वाला” बयान पंजाब की राजनीति में ऐसा तूफ़ान ले आया है, जिसके असर से कांग्रेस को उबरने में समय लगेगा. निलंबन के फैसले ने जहां पार्टी की ओर से सख्ती का संदेश दिया है, वहीं यह भी स्पष्ट किया है कि कांग्रेस अब सार्वजनिक टिप्पणियों के जरिए अपनी छवि को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी नेता पर कठोर कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगी. आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या नवजोत कौर सिद्धू पार्टी नेतृत्व के सामने सफाई और माफ़ी के साथ वापसी की कोशिश करेंगी या यह विवाद अगले विधानसभा चुनाव तक एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना रहेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

