AajKaDin: 9 दिसम्बर 2025, मधुराष्टकम् अपने नाम की तरह ही बहुत मधुर है, आनंददायक है!

AajKaDin: 9 दिसम्बर 2025, मधुराष्टकम् अपने नाम की तरह ही बहुत मधुर है, आनंददायक है!

प्रेषित समय :23:05:44 PM / Mon, Dec 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 6367472963)
* मासिक कृष्ण जन्माष्टमी - 11 दिसम्बर 2025, बृहस्पतिवार
* मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पूजा - 12:02 एएम से 12:56 एएम (12 दिसम्बर 2025)
* कृष्ण अष्टमी प्रारम्भ - 01:57 पीएम, 11 दिसम्बर 2025
* कृष्ण अष्टमी समाप्त - 02:56 पीएम, 12 दिसम्बर 2025

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मधुराष्टकम् का गायन जीवन में धनानंद की वर्षा कर देता है.
श्रीकृष्ण की भक्ति में अनेक गीत-भजन हैं, जिनमें से मधुराष्टकम् अपने नाम की तरह ही बहुत मधुर है, धनदायक है, आनंददायक है.
इसमें भगवान मधुसूदन का अत्यंत मधुरता से वर्णन किया गया है, भगवान श्रीकृष्ण के सम्पूर्ण सौन्दर्य का वर्णन तन-मन को प्रसन्न कर देता है.
॥ मधुराष्टकम् ॥
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्.
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥1॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्.
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥2॥
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरःपाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ.
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥3॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्.
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥4॥
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम्.
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥5॥
गुञ्जा मधुरा माला मधुरायमुना मधुरा वीची मधुरा.
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥6॥
गोपी मधुरा लीला मधुरायुक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्.
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥7॥
गोपा मधुरा गावो मधुरायष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा.
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥8॥
॥ इति श्रीमद्वल्लभाचार्यकृतं मधुराष्टकं सम्पूर्णम् ॥
दैनिक चौघड़िया - 9 दिसम्बर 2025
* दिन का चौघड़िया
रोग - 07:08 से 08:28
उद्वेग - 08:28 से 09:48
चर - 09:48 से 11:08
लाभ - 11:08 से 12:28
अमृत - 12:28 से 01:47
काल - 01:47 से 03:07
शुभ - 03:07 से 04:27
रोग - 04:27 से 05:47
* रात्रि का चौघड़िया
काल - 05:47 से 07:27
लाभ - 07:27 से 09:08
उद्वेग - 09:08 से 10:48
शुभ - 10:48 से 12:28
अमृत - 12:28 से 02:08
चर - 02:08 से 03:48
रोग - 03:48 से 05:28
काल - 05:28 से 07:09 
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-