क्रिप्टो पर बड़ी कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय ने 4,190 करोड़ की संपत्ति जब्त की, एक आरोपी घोषित फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर

क्रिप्टो पर बड़ी कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय ने 4,190 करोड़ की संपत्ति जब्त की, एक आरोपी घोषित फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर

प्रेषित समय :23:07:58 PM / Mon, Dec 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

देश में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स यानी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े वित्तीय अनियमितताओं पर सरकार की निगरानी लगातार तेज होती जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए 4,189.89 करोड़ रुपये की संदिग्ध संपत्तियों को जब्त कर लिया है। एजेंसी ने इन मामलों में शामिल एक आरोपी को फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर घोषित भी कर दिया है, जिसकी जानकारी सोमवार को संसद में दी गई। सरकार की इस सख्ती ने देश में चल रहे क्रिप्टो-आधारित निवेश, ट्रेडिंग और उससे जुड़ी पारदर्शिता को लेकर नई बहस छेड़ दी है, क्योंकि अब यह साफ होता जा रहा है कि वर्चुअल संपत्तियों का इस्तेमाल आर्थिक अपराधों की नई और अधिक जटिल परतें बनाने के लिए भी किया जा रहा है।

लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि ED ने बीते कुछ वर्षों में लगातार कई क्रिप्टो-आधारित प्लेटफॉर्म और अकाउंट्स की जांच की है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध विदेशी लेनदेन जैसे मामलों का पता चला। जांच के दौरान यह सामने आया कि डिजिटल वॉलेट्स और क्रिप्टो टोकन की आड़ में अपराध की कमाई को छुपाया जा रहा था। कई संदिग्ध खातों के माध्यम से धन को अलग-अलग देशों में भेजने और फिर उसकी परतें बनाकर साफ दिखाने के प्रयास किए जा रहे थे, जिसके बाद कई मामलों में संपत्ति संलग्न करने की कार्रवाई की गई।

इसके साथ ही सरकार ने आयकर अनुपालन की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने उन करदाताओं को 44,057 नोटिस भेजे हैं, जिन्होंने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में निवेश या ट्रेडिंग तो की, लेकिन अपनी आयकर रिटर्न में उसका जिक्र नहीं किया। यह संख्या अपने आप में दर्शाती है कि क्रिप्टो क्षेत्र में असंगठित और गैर-पारदर्शी लेनदेन किस स्तर तक बढ़ चुके हैं। CBDT ने बताया कि सर्च और सीजर ऑपरेशनों के दौरान वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से जुड़े कुल 888.82 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है। इस आय की प्रकृति, स्रोत और संबंधित व्यक्तियों की पहचान की जांच अभी जारी है।

क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में भारतीय निवेशकों की दिलचस्पी पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। कई प्लेटफॉर्म ने छोटे निवेशकों से लेकर बड़े कारोबारियों तक को डिजिटल टोकन, NFT और अन्य आभासी परिसंपत्तियों में निवेश के अवसर दिए। हालांकि इस तेजी के साथ जोखिम भी बढ़े हैं। इन डिजिटल लेनदेन की निगरानी कठिन होती है, क्योंकि इनमें पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली की तरह स्पष्ट रिकॉर्ड और नियामक चेक-पॉइंट्स नहीं होते। यही वजह है कि मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और फर्जी निवेश योजनाओं में क्रिप्टो प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अपराधियों के लिए आसान विकल्प बन गया है।

ED की कार्रवाई से यह भी स्पष्ट हुआ है कि कुछ कंपनियों और व्यक्तियों ने डिजिटल एसेट्स का इस्तेमाल केवल लाभ अर्जित करने के लिए नहीं, बल्कि अवैध गतिविधियों को छिपाने के लिए किया। कई मामलों में विदेशी एक्सचेंजों, अनजान वॉलेट्स और ब्लॉकचेन की अनाम विशेषताओं का फायदा उठाकर अपराध की कमाई को सुरक्षित रखने की कोशिश की गई। वहीं, टैक्स विभाग की कार्रवाई बताती है कि आम निवेशकों में भी कई ऐसे हैं जो क्रिप्टो लाभ या हानि को अपनी आयकर रिटर्न में शामिल नहीं करते, जिससे न केवल राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि एक बड़े क्षेत्र में पारदर्शिता की कमी बनी रहती है।

इस घटनाक्रम ने क्रिप्टो बाजार में हलचल भी बढ़ा दी है। जानकारों के अनुसार, भारत में डिजिटल एसेट्स का नियमन अभी विकसित हो रहा है और ऐसे में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की गई हर बड़ी कार्रवाई पूरे बाजार को प्रभावित करती है। निवेशकों, प्लेटफॉर्म ऑपरेटरों और नियामकों—सभी की नजर इस बात पर रहती है कि आने वाले महीनों में सरकार क्रिप्टो को लेकर नियम-कायदे को कितना कड़ा या लचीला बनाती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी क्रिप्टो अपराधों पर नियंत्रण की रणनीति मजबूत करने की मांग उठ रही है, जिससे भारत के हालिया कदम वैश्विक मंच पर भी गंभीरता से देखे जा रहे हैं।

वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का सुरक्षित उपयोग तभी संभव है जब निवेशक खुद भी पारदर्शिता और जिम्मेदारी बरतें। कर विभाग की ओर से भेजे गए 44 हजार से अधिक नोटिस यह संकेत हैं कि जागरूकता अभी भी सीमित है और कई लोग यह समझ ही नहीं पाते कि क्रिप्टो से कमाए गए लाभ पर भी टैक्स लागू होता है। सरकार ने पिछले बजटों में VDA से संबंधित कर व्यवस्था को स्पष्ट किया है, जिसमें TDS और पूंजीगत लाभ कर के नियम शामिल हैं, लेकिन इन नियमों का पालन सुनिश्चित करना अभी भी चुनौती बना हुआ है।

इस बीच ED की 4,189.89 करोड़ की संपत्ति संलग्न करने की कार्रवाई भारत में अब तक की सबसे बड़ी क्रिप्टो-आधारित मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में से एक मानी जा रही है। एक आरोपी को फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर घोषित करना यह संकेत देता है कि संस्थाएं अब आर्थिक अपराधों में शामिल व्यक्तियों को कठोर परिणामों का सामना कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं, चाहे अपराधी देश से भागकर विदेश में ही क्यों न बैठा हो। FEO घोषित होने का मतलब है कि संबंधित व्यक्ति की भारत स्थित सभी संपत्तियाँ जब्त की जा सकती हैं और वह कानूनी रूप से कई अधिकारों से वंचित हो जाता है।

कुल मिलाकर घटनाओं की यह श्रृंखला भारत में क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल संपत्तियों के भविष्य को लेकर एक निर्णायक मोड़ पर ले आती है। एक ओर तकनीक और निवेश का आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर अवैध उपयोग को रोकने के लिए सरकार की सख्ती भी बढ़ती जा रही है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि नियामक ढांचा किस दिशा में आगे बढ़ता है और क्या यह क्षेत्र निवेशकों के लिए सुरक्षित और पारदर्शी बन पाता है या नहीं। अभी के लिए इतना स्पष्ट है कि सरकार यह संदेश देने में सफल रही है कि डिजिटल स्पेस में भी कानून से ऊपर कोई नहीं—चाहे लेनदेन जमीन पर हो या ब्लॉकचेन पर, जवाबदेही से बच पाना अब कठिन होगा।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-