अधिक मास का दुर्लभ संयोग: जानिए क्या है पुरुषोत्तम मास और कैसे करें ये 30 दिन पवित्र

अधिक मास का दुर्लभ संयोग: जानिए क्या है पुरुषोत्तम मास और कैसे करें ये 30 दिन पवित्र

प्रेषित समय :21:09:05 PM / Tue, Dec 9th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माने जाने वाला अधिक मास (Adhik Maas), जिसे पुरुषोत्तम मास या मलमास भी कहा जाता है, एक दुर्लभ संयोग है जो कई वर्षों में एक बार आता है। यह वह पावन अवधि है जिसे हिंदू वर्ष का सबसे पवित्र 30 दिनों का काल माना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के लीप ईयर की तरह ही, यह हिंदू पंचांग में संतुलन बनाए रखने के लिए हर तीन साल में एक बार जुड़ता है। इस बार यह अद्भुत संयोग नए साल 2026 में देखने को मिलेगा। जब यह महीना जुड़ता है, तो हिंदू वर्ष 12 के बजाय 13 महीनों का हो जाता है।

क्या है अधिक मास और क्यों बनता है यह दुर्लभ संयोग?

अधिक मास का संयोग तब बनता है जब चंद्र कैलेंडर और सूर्य कैलेंडर की गणना में अंतर आता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र वर्ष (जो लगभग 354 दिनों का होता है) और सूर्य वर्ष (जो 365 दिनों का होता है) के बीच समय-समय पर बढ़ता अंतर लगभग हर 32 महीने में 16 दिन और कुछ घंटे मिलकर एक पूरे महीने के बराबर हो जाते हैं। इस अतिरिक्त समय को समायोजित करने और कैलेंडर को संतुलित करने के लिए पंचांग में एक अतिरिक्त महीना जोड़ दिया जाता है, जिसे अधिक मास कहा जाता है।

साल 2026 में, विक्रम संवत 2083 के दौरान, यह अतिरिक्त चंद्र मास जुड़ेगा, जिसके कारण ज्येष्ठ महीने में अधिक मास पड़ेगा। इस दुर्लभ स्थिति के चलते ज्येष्ठ मास लगभग 60 दिनों तक चलेगा।

अधिक मास 2026 का समय

पंचांग के अनुसार, साल 2026 में यह पवित्र अवधि इस प्रकार रहेगी:

  • अधिक मास की शुरुआत: 17 मई 2026

  • अधिक मास की समाप्ति: 15 जून 2026

इसके बाद, ज्येष्ठ महीना 22 मई से शुरू होकर 29 जून 2026 तक चलेगा। जब पंचांग में एक ही महीना दो बार आता है, तो उसे धार्मिक रूप से पुरुषोत्तम मास (भगवान विष्णु को समर्पित) के रूप में पूजा जाता है।

धार्मिक महत्व और क्या करें, क्या न करें?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अधिक मास भगवान पुरुषोत्तम (भगवान विष्णु के ही एक रूप) को समर्पित है, इसलिए यह समय धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है, लेकिन कुछ विशेष कार्यों को वर्जित भी रखा जाता है:

वर्जित कार्य (शुभ कार्य जो न करें):

  • अधिक मास की अवधि में विवाह नहीं किए जाते।

  • गृह प्रवेश या मकान की नींव डालने जैसे कार्य टाल दिए जाते हैं।

  • कोई भी नया व्यवसाय या नया काम शुरू नहीं किया जाता।

  • नई चीजें (जैसे वाहन या बहुमूल्य वस्तुएं) खरीदना भी शुभ नहीं माना जाता है।

विशेष कार्य (जो पुण्यदायी माने जाते हैं):

अधिक मास में पूजा, व्रत और दान करने का बहुत अधिक महत्व है, क्योंकि इस समय किया गया कोई भी शुभ कार्य कई गुना अधिक फल देता है:

  1. घर में रोज सुबह दीपक जलाएं: अधिक मास के दौरान, तुलसी के पौधे के पास या भगवान विष्णु के सामने सरसों के तेल या घी का दीपक रोजाना जलाना चाहिए। माना जाता है कि इससे घर का वातावरण पवित्र, शांत और सकारात्मक रहता है और पूरे वर्ष खुशहाली बनी रहती है।

  2. पक्षियों को दाना और पानी: छत या बालकनी में मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर रखें और नियमित रूप से दाना डालें। अधिक मास में पक्षियों की सेवा करना बहुत पुण्यदायी माना गया है।

  3. जरूरतमंद को भोजन कराना: इस पूरे महीने गरीब, मजदूर या जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना सबसे श्रेष्ठ दान माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि भूखों को भोजन कराने से भगवान पुरुषोत्तम प्रसन्न होते हैं और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

यह पावन संयोग जीवन को खुशियों से भरने और पूरे वर्ष को मंगलमय बनाने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-