ब्रह्मांडीय उथल-पुथल की चेतावनी, देव गुरु बृहस्पति का मिथुन में प्रवेश मचाएगा बड़ी खलबली

ब्रह्मांडीय उथल-पुथल की चेतावनी, देव गुरु बृहस्पति का मिथुन में प्रवेश मचाएगा बड़ी खलबली

प्रेषित समय :22:03:25 PM / Wed, Dec 10th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

आकाशीय पिंडों की बदलती चाल और उनके मानवीय जीवन तथा पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर सदियों से चली आ रही भारतीय ज्योतिष की गणनाएं आज एक बड़ा और व्यापक संकेत दे रही हैं। यह संकेत किसी युद्ध या महामारी का नहीं, बल्कि असंतुलन और अस्थिरता का है, जिसकी जड़ में देव गुरु बृहस्पति का अपनी शत्रु राशि मिथुन में गोचर है। पंडित चंद्रशेखर नेमा हिमांशु, जो मां कामख्या साधक और वास्तु शास्त्री हैं, के गहन ज्योतिषीय विश्लेषण के अनुसार, गुरु के इस राशि परिवर्तन ने आकाश तत्व को अशांत कर दिया है, जिसका सीधा असर अब वायु तत्व से जुड़े हर क्षेत्र पर पड़ना शुरू हो गया है। यह अवधि, विशेषकर 11 मार्च तक जब गुरु मार्गी रहेंगे, देश और दुनिया के लिए प्राकृतिक, आर्थिक और सुरक्षा के मोर्चे पर अत्यधिक सक्रिय और संवेदनशील रहने वाली है, जिसने आमजन की जिज्ञासा को बढ़ा दिया है कि आखिर यह खगोलीय घटना उनके जीवन के किन-किन पहलुओं को प्रभावित करेगी।

ज्योतिष शास्त्र में गुरु को आकाश तत्व का कारक माना जाता है, जो विस्तार, ज्ञान और संतुलन का प्रतीक है। वहीं, मिथुन राशि वायु तत्व की द्विस्वभाव राशि होने के साथ-साथ गुरु की शत्रु राशि भी मानी जाती है। जब आकाश तत्व का नियामक ग्रह वायु तत्व की शत्रु राशि में प्रवेश करता है, तो इसका परिणाम वायु से जुड़े क्षेत्रों में अराजकता और अनिश्चितता के रूप में सामने आता है। यह अस्थिरता केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि बड़े पैमाने पर प्राकृतिक और वैश्विक व्यवस्थाओं को प्रभावित करेगी।

सबसे पहला और सीधा प्रभाव प्राकृतिक उत्पात और मौसम पर पड़ेगा। इस गोचर के कारण मौसम का मिजाज अत्यधिक परिवर्तनशील हो जाएगा। जहां एक ओर तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव दिखेगा, वहीं वायु तत्व का यह असंतुलन तेज हवाओं, अचानक आने वाले आंधी-तूफ़ान और आकाशीय घटनाओं जैसे बिजली कड़कने में असामान्य वृद्धि लाएगा। देश के विभिन्न हिस्सों में प्राकृतिक घटनाओं में यह असंतुलन देखना अब सामान्य रहने वाला है।

इस आकाशीय अशांति का एक और अत्यंत महत्वपूर्ण और चिंताजनक परिणाम हवाई यात्रा और विमानन क्षेत्र पर दिखाई देगा। हवाई जहाज वायु में उड़ते हैं और वायु तत्व की अस्थिरता से सीधे प्रभावित होते हैं। ज्योतिषीय चेतावनी है कि उड़ानों में विलंब (देरी), तकनीकी खराबी, एयर-ट्रैफ़िक में गंभीर अव्यवस्था और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों में बढ़ोतरी हो सकती है। यह समय सामान्य यात्रियों के साथ-साथ सभी एयरलाइंस और देश की वायु सेना (एयरफोर्स) के लिए विशेष रूप से सतर्कता बरतने का है। उड़ानों से जुड़े कर्मचारियों, पायलटों, तकनीकी टीम और रक्षा क्षेत्र में काम करने वाले कर्मियों को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते समय छोटी से छोटी गलती से भी बचना होगा, क्योंकि इस अवधि में मानवीय गलतियाँ या अप्रत्याशित दुर्घटनाएँ बढ़ सकती हैं।

गुरु के अधीन मानी जाने वाली उत्तरी दिशा इस गोचर से विशेष रूप से खतरे में रहेगी। इस क्षेत्र से जुड़े हिमालयी क्षेत्र, ऊँचाई वाले प्रसिद्ध धार्मिक स्थल, और बर्फ़ीले या पहाड़ी देश प्राकृतिक बाधाओं के केंद्र बन सकते हैं। यहां भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना और अन्य विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप बढ़ सकता है। पंडित हिमांशु की स्पष्ट चेतावनी है कि 11 मार्च तक गुरु के मार्गी रहने के कारण यह अवधि सबसे अधिक संवेदनशील है, अतः ऊँचे पहाड़ों की कठिन धार्मिक यात्राओं को इस समय टाल देना ही सुरक्षित रहेगा। यह सलाह करोड़ों श्रद्धालुओं और पर्वतारोहियों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकती है।

प्राकृतिक और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के साथ-साथ, यह गोचर आर्थिक अस्थिरता का भी मजबूत संकेत दे रहा है। गुरु को धन, अर्थ और धातुओं (सोना-चांदी) का कारक माना जाता है। इस गोचर के प्रभाव से सोना और चांदी की कीमतों में इस समय भले ही बढ़ोतरी दिख रही हो, लेकिन मार्च 2026 के पूर्व अचानक बड़ी और तेज गिरावट का प्रबल योग बन रहा है।

इस अस्थिरता का सबसे बड़ा अखाड़ा शेयर बाज़ार बनने वाला है। वायु तत्व की सक्रियता शेयर मार्केट को कल्पनात्मक (Speculative) और अत्यधिक अस्थिर बना देगी। यह वह समय है जब बाज़ार केवल अफवाहों और हवाबाजी पर चलेगा, न कि ठोस आर्थिक बुनियाद पर। इस दौरान शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स को भारी नुकसान की संभावना है, जबकि बड़े निवेशकों को सलाह दी गई है कि वे अपनी वर्तमान पोज़िशन को सुरक्षित रखें और नए जोखिम लेने से बचें।

व्यापारियों के लिए सीधा संदेश है कि सोना–चांदी और शेयर बाज़ार दोनों ही क्षेत्रों में इस अवधि में “लालच की जगह सतर्कता” को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। यह समय मुनाफा कमाने की जल्दबाजी दिखाने के बजाय अपनी पूंजी को सुरक्षित रखने का है। धीमे, सोचे-समझे निर्णय और भावनाओं पर नियंत्रण ही इस गोचर काल में सफलता की कुंजी होंगे।

कुल मिलाकर, यह ज्योतिषीय सार स्पष्ट करता है कि गुरु के मिथुन में आने से लेकर मार्च 2026 तक का समय प्राकृतिक आपदाओं, आर्थिक उठापटक और हवाई यात्रा में चुनौतियों से भरा रहेगा। ऐसे में आम जनता और बड़े संस्थानों को अत्यधिक सावधानी, धीमे निर्णय और यात्राओं में पूर्ण संयम बरतने को ही सबसे बड़ा उपाय मानना चाहिए। यह एक ऐसी खगोलीय चेतावनी है, जिसे केवल अंधविश्वास मानकर नहीं टाला जा सकता, बल्कि इसके संभावित प्रभावों को समझकर ही क्षति को कम किया जा सकता है।

पंडित चंद्रशेखर नेमा हिमांशु 9893280184

मां कामाख्या साधक जन्म कुंडली विशेषज्ञ वास्तु शास्त्री 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-