पिछले पांच साल में भारत में 3,000 लोगों की अंग प्रत्यारोपण प्रतीक्षा में मौत, 82,000 अभी भी सूची में

पिछले पांच साल में भारत में 3,000 लोगों की अंग प्रत्यारोपण प्रतीक्षा में मौत, 82,000 अभी भी सूची में

प्रेषित समय :21:35:00 PM / Thu, Dec 11th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली: संसद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को प्रस्तुत आंकड़े बताते हैं कि भारत में अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे लोगों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। 2020 से 2024 के बीच कुल 2,805 लोगों ने अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा करते हुए अपनी जान गंवाई। इसमें लगभग आधी मौतें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुईं। दिल्ली में इस दौरान 1,425 मरीजों की मृत्यु हुई, जबकि महाराष्ट्र में 297 और तमिल नाडु में 233 लोगों की जान चली गई। यह आंकड़े देश में अंग प्रत्यारोपण प्रणाली की गंभीर कमी और देरी को उजागर करते हैं।

दिल्ली में सबसे अधिक अंग प्रत्यारोपण किए जाते हैं, लेकिन इनमें अधिकांश अंग मृतकों से नहीं बल्कि जीवित रिश्तेदारों द्वारा दान किए गए अंग होते हैं। यही कारण है कि महाराष्ट्र, गुजरात और तमिल नाडु जैसे राज्यों में लंबी प्रतीक्षा सूची बनी हुई है, क्योंकि यहाँ अधिकांश मरीज मृतक दाताओं से अंग प्राप्त करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि मृतक अंग दान की प्रक्रिया और जागरूकता में अभी भी व्यापक अंतर मौजूद है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा के अनुसार, वर्तमान में देशभर में 82,000 से अधिक मरीज अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में शामिल हैं। महाराष्ट्र इस सूची में सबसे ऊपर है, जहाँ 20,553 मरीज अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके बाद गुजरात और तमिल नाडु का स्थान है। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि अंग दान और प्रत्यारोपण की कमी और देरी मरीजों की जान के लिए गंभीर खतरा बन रही है।

अंग प्रत्यारोपण में देरी के कारण मरीजों की मृत्यु की दर अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि मृतक दाता से अंग प्राप्त करने की प्रक्रिया में कई प्रशासनिक और कानूनी बाधाएं हैं। इसके अलावा जागरूकता की कमी, दान करने वाले परिवारों की अनिच्छा और अस्पतालों में अंग संरक्षण की तकनीकी समस्याएं इस मुद्दे को और गंभीर बना रही हैं।

देश में अंग प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध अंगों की संख्या लगातार मरीजों की बढ़ती संख्या के मुकाबले कम है। इसके कारण मरीज लंबे समय तक प्रतीक्षा सूची में रहते हैं और उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ जाती है। दिल्ली में जीवित दाता से प्रत्यारोपण की अधिकता का कारण यह है कि यहां मरीज अपने परिवार के अंगों के माध्यम से जल्दी उपचार पाते हैं। इसके विपरीत महाराष्ट्र, गुजरात और तमिल नाडु में मृतक दाता से अंग प्राप्त करने वाले मरीजों को लंबी प्रतीक्षा का सामना करना पड़ता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में अंग दान को बढ़ावा देने के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान की आवश्यकता है। स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक मंचों पर अंग दान के महत्व को समझाने की जरूरत है। इसके साथ ही अस्पतालों में अंग संरक्षण और ट्रांसपोर्टेशन की प्रक्रिया को तेज़ और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना जरूरी है।

सरकारी आंकड़े यह भी बताते हैं कि अंग प्रत्यारोपण के लिए अधिकांश लोग अपनी मृत्यु से पहले ही परिवार के सदस्यों से अंग प्राप्त करते हैं। हालांकि, मृतक अंग दान की संख्या अभी भी नगण्य है। यह स्थिति भारत में अंग दान के प्रति सांस्कृतिक और सामाजिक बाधाओं को भी दर्शाती है। लोग अक्सर मृतक अंग दान के बारे में अनजान या संकोची रहते हैं।

भारत में अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में सुधार की दिशा में कुछ पहलें की जा रही हैं। राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण कार्यक्रम के तहत विभिन्न राज्य सरकारें अंग दान और प्रत्यारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए अभियान चला रही हैं। इसके अलावा डिजिटल प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप के माध्यम से अंग दाता रजिस्ट्रेशन और ट्रैकिंग प्रणाली को मजबूत किया जा रहा है।

सिविल सोसायटी और एनजीओ भी अंग दान की ओर लोगों को जागरूक करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। सोशल मीडिया, टीवी और रेडियो के माध्यम से लगातार संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं कि अंग दान जीवन बचाने का सबसे बड़ा योगदान है। इसके बावजूद, मृतक अंग दान की संख्या अपेक्षाकृत कम बनी हुई है, जिससे लंबी प्रतीक्षा सूची और मरीजों की मृत्यु की दर बढ़ रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े यह भी स्पष्ट करते हैं कि अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में क्षेत्रीय असमानताएं मौजूद हैं। दिल्ली में उन्नत मेडिकल सुविधाओं और विशेषज्ञों की उपलब्धता के कारण प्रत्यारोपण की संख्या अधिक है। इसके विपरीत कुछ राज्यों में अस्पतालों की कमी, प्रशिक्षित सर्जनों की कमी और कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलता के कारण मरीजों को अंग प्राप्त करने में लंबा समय लग रहा है।

महाराष्ट्र में 20,553 मरीज प्रतीक्षा सूची में शामिल हैं, जो सबसे बड़ी संख्या है। गुजरात और तमिल नाडु क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि मरीजों की संख्या बढ़ने के बावजूद अंग दान की संख्या अपेक्षाकृत कम है। इसके परिणामस्वरूप, लंबी प्रतीक्षा सूची और मृत्यु दर में लगातार वृद्धि हो रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में अंग प्रत्यारोपण प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के लिए मृतक अंग दान को बढ़ावा देना जरूरी है। इसके लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सरलता, अस्पतालों में तकनीकी सुधार, जन जागरूकता अभियान और सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

देश में अंग प्रत्यारोपण के लिए कानूनी और नैतिक मानक तय किए गए हैं, लेकिन उनकी प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और नियमित मूल्यांकन जरूरी है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े दर्शाते हैं कि यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रही तो प्रतीक्षा सूची और मृत्यु दर में और वृद्धि हो सकती है।

भारत में अंग दान और प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए न केवल सरकारी प्रयास बल्कि समाज और परिवारों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। प्रत्येक नागरिक को अंग दान के महत्व को समझना होगा और अपनी और अपने परिवार की ओर से इस दिशा में सहयोग देना होगा।

संक्षेप में, पिछले पांच वर्षों में लगभग 3,000 भारतीयों की अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा करते हुए मृत्यु हुई है, जबकि 82,000 से अधिक लोग अभी भी प्रतीक्षा सूची में हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिल नाडु में स्थिति सबसे गंभीर है। मृतक अंग दान की संख्या बढ़ाने, प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और अस्पतालों में तकनीकी सुधार करने से इस समस्या का समाधान संभव है। इस दिशा में व्यापक जागरूकता अभियान और सामाजिक सहयोग ही भविष्य में और अधिक जीवन बचा सकता है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-