जबलपुर. एमपी हाई कोर्ट ने बड़ा निर्णय देते हुए कहा है कि एडहॉक अवधि में की गई सेवा भी पेंशन और रिटायरमेंट लाभों के लिए मान्य होगी.
जस्टिस दीपक खोत की बेंच ने प्रोफेसर अरुण प्रकाश बुखारिया की याचिका स्वीकार करते हुए एडहॉक सेवा में दिखाए गए दो-तीन दिन के कृत्रिम ब्रेक (ऐसा समय जिसमें कर्मचारी लगातार काम पर नहीं था) को सेवा व्यवधान मानने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि 1977 से 2009 तक उनकी पूरी सेवा अवधि को निरंतर मानकर पेंशन दी जाए. फैसले से प्रदेश के एक हजार से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिलने की उम्मीद है.
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