AajKaDin: 12 दिसम्बर 2025, दिशाशूल : आवश्यक होने पर दिशाशूल परिहार करके जाना चाहिए!

AajKaDin: 12 दिसम्बर 2025, दिशाशूल : आवश्यक होने पर दिशाशूल परिहार करके जाना चाहिए!

प्रेषित समय :22:24:04 PM / Thu, Dec 11th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8875863494)
आमतौर पर यात्रा में चन्द्रवास के साथ-साथ दिशाशूल भी देखा जाता है. जिस दिशा में दिशाशूल हो उस दिशा में यात्रा से बचना चाहिए तथा आवश्यक होने पर दिशाशूल परिहार करके जाना चाहिए.
सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा की तरफ यात्रा से बचें. रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा की तरफ यात्रा से बचें. मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा की तरफ यात्रा से बचें. गुरुवार को दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करने से बचें.
रविवार, गुरुवार और शुक्रवार को दोष रात में प्रभावी नहीं होते हैं. सोमवार, मंगलवार और शनिवार को दोष दिन में प्रभावी नहीं होते हैं. बुधवार को दिशाशूल में यात्रा से बचें.
दिशाशूल की दिशा में यात्रा करना आवश्यक हो तो... रविवार को यदि पश्चिम दिशा में जाना जरूरी है तो पान या घी खाकर जाएं.सोमवार को दर्पण देख कर या दूध पीकर घर से यात्रा पर निकलें. मंगलवार को गुड़ खा कर यात्रा करें. बुधवार को धनिया या तिल खाकर यात्रा करें. गुरुवार को दही या जीरा खा कर यात्रा करें. शुक्रवार को जौ खाकर या दही पीकर यात्रा करें. शनिवार को अदरक या उड़द खा कर यात्रा करें.
दैनिक चौघड़िया - 12 दिसम्बर 2025
* दिन का चौघड़िया
चर - 07:10 से 08:30
लाभ - 08:30 से 09:49
अमृत - 09:49 से 11:09
काल - 11:09 से 12:29
शुभ - 12:29 से 01:49
रोग - 01:49 से 03:09
उद्वेग - 03:09 से 04:28
चर - 04:28 से 05:48
* रात्रि का चौघड़िया
रोग - 05:48 से 07:28
काल - 07:28 से 09:09
लाभ - 09:09 से 10:49
उद्वेग - 10:49 से 12:29
शुभ - 12:29 से 02:10
अमृत - 02:10 से 03:50
चर - 03:50 से 05:30
रोग - 05:30 से 07:10
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-