नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई गुरुवार की टेलीफोनिक बातचीत ने दुनिया की दो सबसे प्रभावशाली लोकतांत्रिक शक्तियों के रिश्तों को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया। यह बातचीत ऐसे समय में हुई, जब अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली में दो दिनों की व्यापार वार्ता शुरू कर चुका है, और दोनों देशों के बीच लंबे समय से लंबित ट्रेड डील अब लगभग अंतिम चरण में पहुँच चुकी है।
राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “राष्ट्रपति ट्रंप से बहुत गर्मजोशी और सार्थक बातचीत हुई। हमने द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। भारत और अमेरिका वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।” यह वक्तव्य बताता है कि बातचीत सिर्फ औपचारिकता नहीं थी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मौजूदा परिदृश्य में एक अहम संदेश भी था।
यह फोन कॉल ऐसे समय हुआ जब दुनिया पिछले कुछ महीनों में हुए भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर बारीकी से नजर रख रही है—खासकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के बाद। विश्लेषकों के लिए यह दिलचस्प है कि पुतिन की दिल्ली यात्रा के तुरंत बाद अमेरिका और भारत के शीर्ष नेतृत्व का यह संपर्क कई संकेतों से भरा माना जा रहा है।
इसी बीच अमेरिकी अधिकारियों ने वाशिंगटन में पुष्टि की कि भारत ने ट्रेड डील के लिए अब तक का “सबसे मजबूत प्रस्ताव” अमेरिकी पक्ष के सामने रखा है। यह वही डील है जिसके लिए दोनों देश सालों से बातचीत करते रहे हैं, लेकिन बार-बार कुछ तकनीकी और व्यापारिक मतभेद सामने आते रहे। अब, भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने स्पष्ट कर दिया है कि “ज्यादातर प्रमुख मुद्दे हल हो चुके हैं” और समझौता लगभग तैयार है।
नई दिल्ली में चल रही वार्ताएँ वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता की पृष्ठभूमि में हो रही हैं। चाहे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उतार-चढ़ाव हो, आपूर्ति श्रंखला में विघटन हो या कई देशों में चुनावी वर्ष की हलचल—इन सबके बीच भारत और अमेरिका एक स्थिर, पारदर्शी और विकासोन्मुख व्यापार संबंध बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। दोनों देशों की सरकारें इस बात को समझती हैं कि ऐसा समझौता न सिर्फ अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी होगा बल्कि रणनीतिक साझेदारी को भी नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।
पिछले कुछ वर्षों में भारत–अमेरिका संबंधों की प्रकृति आर्थिक से आगे बढ़कर रणनीतिक साझेदारी का रूप ले चुकी है। रक्षा सहयोग, प्रौद्योगिकी साझेदारी, इंडो-पैसिफिक में समन्वय और वैश्विक मंचों पर बढ़ती नजदीकियाँ इस रिश्ते को नए आयाम दे चुकी हैं। ऐसे समय में दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व की टेलीफोनिक बातचीत यह संदेश देती है कि संवाद की निरंतरता इन संबंधों की मजबूती का प्रमुख कारक है।
सूत्र बताते हैं कि चल रही ट्रेड वार्ता में कृषि, उपकरण शुल्क, मेडिकल डिवाइस, डिजिटल व्यापार और मार्केट एक्सेस जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण प्रगति हो चुकी है। अमेरिका भारत के बढ़ते डिजिटल बाज़ार में प्रवेश चाहता है, जबकि भारत अमेरिकी कृषि और तकनीकी उत्पादों पर शुल्क संरचना में संतुलन चाहता है। यही कारण है कि यह डील दोनों देशों के लिए राजनीतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
इसका व्यापक असर भारतीय उद्योग और अमेरिकी कंपनियों दोनों पर पड़ सकता है। भारत के लिए यह समझौता विनिर्माण, निर्यात, डिजिटल सेक्टर और सप्लाई चेन विविधीकरण में नए अवसर खोलेगा। वहीं अमेरिका के लिए यह तेजी से उभरते भारतीय बाज़ार में मजबूत पकड़ का मौका है। ऐसे समय में जब वैश्विक आर्थिक परिदृश्य लगातार अनिश्चित हो रहा है, भारत और अमेरिका का नजदीक आना दुनिया को आर्थिक स्थिरता का संदेश देता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि मोदी–ट्रंप की यह बातचीत आगामी महीनों के लिए संकेतों से भरी है। आने वाले हफ्तों में राष्ट्रपति ट्रंप की भारत यात्रा की भी पुष्टि हो चुकी है, जिसका राजनीतिक और रणनीतिक महत्व काफी बड़ा माना जा रहा है। अमेरिकी नेतृत्व ने भी संकेत दिया है कि ट्रेड डील पर बनी सहमति भारत यात्रा के दौरान औपचारिक रूप से घोषित की जा सकती है।
ऐसा पहली बार नहीं है जब भारत–अमेरिका संबंधों में निर्णायक मोड़ आया हो, लेकिन मौजूदा परिस्थितियाँ इसे और भी अर्थपूर्ण बना देती हैं। वैश्विक शक्ति-संतुलन बदल रहा है, और ऐसे में भारत व अमेरिका का सहयोग कई मोर्चों पर निर्णायक साबित हो सकता है। रूस–चीन समीकरण, इंडो-पैसिफिक में बढ़ती जटिलताएँ, वैश्विक दक्षिण के उभार और वैश्विक व्यापार ढांचे में बदलाव—इन सभी परिस्थितियों में भारत और अमेरिका की साझेदारी स्थिरता का एक आधार बनती जा रही है।
राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच यह फोन कॉल दिखाता है कि दोनों सरकारें अपनी साझेदारी को और गहरा करने को लेकर गंभीर हैं। कूटनीतिक भाषा में कहें तो यह कॉल सिर्फ संवाद नहीं था—यह संकेत था कि दोनों राष्ट्र आगे की राह तय करने के लिए तालमेल के साथ बढ़ रहे हैं।
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि अगले कुछ हफ्तों में नई दिल्ली और वाशिंगटन से क्या औपचारिक घोषणाएँ सामने आती हैं। पर इतना तय है कि गुरुवार की यह बातचीत दुनिया को यह बताने के लिए काफी है कि भारत और अमेरिका अपने द्विपक्षीय रिश्तों को एक नई ऊँचाई तक ले जाने के लिए तैयार हैं।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

