नए साल में फरवरी में मनाया जाएगा महाशिवरात्रि का महापर्व, पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त

नए साल में फरवरी में मनाया जाएगा महाशिवरात्रि का महापर्व, पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त

प्रेषित समय :19:54:48 PM / Thu, Dec 11th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

 धार्मिक आस्था और शिव-शक्ति के अटूट मिलन का प्रतीक महाशिवरात्रि का पावन पर्व नए साल 2026 में फरवरी के महीने में मनाया जाएगा, जिसकी तारीख और शुभ मुहूर्त को लेकर अभी से शिव भक्तों में उत्सुकता और जिज्ञासा चरम पर है। यह वह दिन है जब देवों के देव महादेव और आदिशक्ति माता पार्वती की कृपा एक साथ बरसती है और भक्तों के लिए यह दिन सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का सबसे सरल माध्यम माना जाता है। हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन शिवजी ने वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था।

पंचांग गणना के अनुसार, साल 2026 में महाशिवरात्रि का यह महाव्रत 15 फरवरी, रविवार के दिन मनाया जाएगा, जिस पर इस बार रविवार का संयोग इसे और भी खास बना रहा है। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 15 फरवरी 2026 को शाम 05 बजकर 04 मिनट पर हो रहा है और यह अगले दिन यानी 16 फरवरी को शाम 05 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा सदैव मध्य रात्रि में करने का विधान है, जिसे 'निशीथ काल' पूजा भी कहते हैं, और इसी कारण 15 फरवरी को ही यह पर्व मनाना शास्त्र सम्मत माना गया है।

महाशिवरात्रि की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण क्षण होता है निशीथ काल, यानी मध्य रात्रि का मुहूर्त। साल 2026 में महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर देर रात 1 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भगवान शिव का रुद्राभिषेक, जलाभिषेक और विशेष श्रृंगार करने से व्यक्ति को महाकाल का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। शिव मंदिरों में इस समय शिव लिंग पर दूध, दही, शहद, घी, गन्ना और बेलपत्र चढ़ाकर 'ओम नमः शिवाय' का जाप करने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, जो भक्त रात भर जागरण कर भगवान शिव की आराधना करना चाहते हैं, उनके लिए रात के चारों प्रहर की पूजा का विधान भी बताया गया है।

चारों प्रहर की पूजा के मुहूर्त इस प्रकार हैं: रात्रि प्रथम प्रहर की पूजा शाम 6 बजकर 11 मिनट से रात 9 बजकर 23 मिनट तक, द्वितीय प्रहर की पूजा रात 9 बजकर 23 मिनट से देर रात 12 बजकर 35 मिनट तक (16 फरवरी), तृतीय प्रहर की पूजा देर रात 12 बजकर 35 मिनट से प्रातः 3 बजकर 47 मिनट तक (16 फरवरी) और चतुर्थ प्रहर की पूजा प्रातः 3 बजकर 47 मिनट से सुबह 6 बजकर 59 मिनट तक चलेगी। व्रत का पारण अगले दिन, यानी 16 फरवरी को सुबह 6 बजकर 59 मिनट से दोपहर 3 बजकर 24 मिनट तक किया जा सकेगा।

महाशिवरात्रि का यह पर्व सिर्फ व्रत-उपवास का दिन नहीं है, बल्कि यह वह दुर्लभ अवसर है जब सृष्टि में शिव तत्व सबसे अधिक सक्रिय होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। चाहे वह करियर में सफलता हो, रोग से मुक्ति हो या फिर सुख-समृद्धि की कामना, भोलेनाथ अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते। विशेष रूप से, कुंवारी लड़कियों द्वारा पूरी आस्था से यह व्रत करने पर उन्हें मनचाहे और सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। यह महापर्व शिव और शक्ति के मिलन की वर्षगांठ है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसलिए शिव भक्त अभी से 15 फरवरी 2026 की तैयारी में जुट गए हैं ताकि वे इस दिन महादेव की कृपा का पूर्ण लाभ उठा सकें।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-