भोपाल. एमपी की राजधानी भोपाल में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने बैंक ऑफ इंडिया जोन के दो कर्मचारियों व पांच खाताधारकों द्वारा किए गए संगठित बैंक धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज की है. यह धोखाधड़ी बैंक की कैटेगराइज्ड मार्केट ब्रांच, हमीदिया रोड, एमपी नगर, भेल एरिया, प्रोफेसर्स कॉलोनी, सैफिया कॉलेज सहित कुल सात से अधिक शाखाओं में वर्षों तक संचालित की जाती रही. इनके द्वारा 227 बचत खातों से लगभग 44.11 लाख की राशि निकाली गई है.
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने बताया कि बैंक के दो कर्मचारियों ने पांच खाताधारकों की मिलीभगत से उन बचत खातों को निशाना बनाया जिनमें शासन की सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं राहत राशि जमा होती थी. आरोपी कर्मचारियों ने फिनैकल प्रणाली में अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर इन निष्क्रिय खातों को अवैध रूप से एक्टिव किया. जमा राशि को अपने परिचितों के खातों में स्थानांतरित किया तथा एटीएम कार्डों के माध्यम से नकद निकासी कर अवैध धनराशि को अपने बीच बांटते रहे.
शिकायत के अनुसार बैंक कर्मचारी दीपक जैन विशेष सहायक तथा अजय सिंह परिहार स्टाफ क्लर्क ने अपनी पदस्थापना का दुरुपयोग करते हुए सुनियोजित तरीके से इन खातों को फिनैकल सिस्टम की प्क् के दुरुपयोग कर बड़ी मात्रा में राशि का गबन किया. बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज, ट्रांजैक्शन विवरण, विजिलेंस रिपोर्ट, विभागीय कार्रवाई और प्रारंभिक जांच में यह भी पाया गया कि यह धोखाधड़ी तीन वर्षों से अधिक समय तक कई शाखाओं में लगातार चलती रही. बैंक की शिकायत पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने जांच कीए शिकायत जांच में आरोप प्रथम दृष्टया सत्य पाए जाने पर इस प्रकरण में अपराध पंजीबद्ध किया है.
आरोपियों के बीच 70-30 के अनुपात में होता था रुपए का बंटवारा-
आरोपियों के बीच अवैध रूप से प्राप्त धनराशि का बंटवारा 70.30 के अनुपात में किया जाता था. यह धोखाधड़ी लगभग तीन वर्ष जनवरी 2016 से मार्च 2019 तक विभिन्न शाखाओं में चलती रही और कुल 227 बचत खातों से लगभग 44.11 लाख की राशि अवैध रूप से डेबिट की गई.
एक एंट्री करता, दूसरा वेरीफाई करता-
जांच में पाया गया कि बैंक नियमों के विपरीत जहां एक कर्मचारी एंट्री करता था तो दूसरा वेरीफाई करता था. इन्होंने अपनी पर्सनल आईडी का उपयोग कर एक.दूसरे के लेनदेन को सत्यापित किया. खाते सक्रिय होते ही उनकी जमा राशि को चार अन्य परिचित खाता धारक खुशबू खान, कल्पना जैन, ललिता ठाकुर व अफरोज खान के खातों में स्थानांतरण किया गया. इन सभी के एटीएम कार्ड आरोपी दीपक जैन के पास थे. जिसके माध्यम से नियमित रूप से नकद निकासी की जाती रही.
डोरमेंट खातों को एक्टिव कर लेते थे-
जांच के दौरान पाया गया कि बैंक कर्मचारियों की उन खातों में वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं जिनमें शासन की सामाजिक सुरक्षा पेंशन, राहत राशि तथा अन्य सरकारी सहायता जमा होती थी.
ऐसे हुआ है गबन का खुलासा-
यह भी पाया गया कि 18 मार्च 2019 को सैफिया कॉलेज शाखा में एक महिला भगवती देवी ने अपने मृत पति के खाते से अवैध निकासी की शिकायत दर्ज कराई. शाखा प्रबंधक द्वारा आंतरिक जांच में पाया गया कि संदिग्ध लेनदेन अजय सिंह परिहार एवं दीपक जैन द्वारा किया है. इसके बाद मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया गया. जहां बैंक की विजिलेंस यूनिट एवं विभागीय जांच में बड़े पैमाने पर की गई अनियमितताएं उजागर हुईं. जांच के दौरान फिनैकल लॉग, ट्रांजैक्शन रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज, निकासी विवरण, ऑडिट ट्रेल एवं विभिन्न शाखाओं के रिकॉर्ड के विश्लेषण से आरोपियों की भूमिका उपयोग में लाई गई.
इन पर दर्ज की गई है एफआईआर-
जांच में आरोप सिद्ध होने पर 9 दिसंबर को ईओडब्ल्यू द्वारा आरोपी दीपक जैन, अजय सिंह परिहार, खुशबू खान, अफरोज खान, ललिता ठाकुर, कल्पना जैन, हेमलता जैन तथा अन्य संभावित व्यक्तियों के विरुद्ध धारा 420, 409, 120 बी सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

