लापता ढाई लाख वोटरों पर गरमाई राजनीति, जबलपुर की मतदाता सूची पर गहराया संदेह

लापता ढाई लाख वोटरों पर गरमाई राजनीति, जबलपुर की मतदाता सूची पर गहराया संदेह

प्रेषित समय :19:28:25 PM / Thu, Dec 11th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर.संस्कारधानी जबलपुर की राजनीति में इन दिनों एक बड़ा रहस्य गहराता जा रहा है, जिसने आमजन से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में खलबली मचा दी है। यह रहस्य है जिले की मतदाता सूची से ढाई लाख से अधिक मतदाताओं का अचानक 'गायब' हो जाना। चुनाव आयोग द्वारा चलाए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के दौरान हुए इस खुलासे ने शहर के हर नागरिक को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर वोटरों का डेटा बेस से गायब होना क्या सिर्फ प्रशासनिक चूक है या फिर इसके पीछे कोई गहरी साजिश छिपी है?

प्राप्त जानकारी और सत्यापन के आँकड़ों ने जो तस्वीर पेश की है, वह बेहद चौंकाने वाली है। जबलपुर जिले की आठों विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में 2 लाख 64 हज़ार से अधिक मतदाता 'एएसडीआर' (Absent, Shifted, Dead और Repeated - अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत और दोहराए गए) श्रेणी में दर्ज किए गए हैं। जब इन आँकड़ों की पड़ताल की गई, तो पता चला कि इनमें से लगभग 50 हज़ार मतदाता तो वास्तव में मृत हो चुके हैं, जिन्हें सूची से हटाना आवश्यक था। लेकिन जो संख्या प्रशासन की चिंता और जनता की जिज्ञासा को बढ़ा रही है, वह है 2 लाख 13 हज़ार से भी अधिक ऐसे मतदाता, जो या तो अपने पते से अनुपस्थित पाए गए हैं, या शहर से कहीं और स्थानांतरित हो चुके हैं। सवाल यह उठता है कि क्या सचमुच इतनी बड़ी आबादी एक साथ पलायन कर गई है, या यह सूची में बरती गई किसी बड़ी लापरवाही का परिणाम है?

सोशल मीडिया पर यह खबर अब तेज़ी से ट्रेंड कर रही है। लोग अपनी आशंकाएं व्यक्त कर रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह सब आगामी चुनावों को प्रभावित करने की कोई गुप्त रणनीति है? स्थानीय राजनीति इस मुद्दे पर पूरी तरह से गरमा चुकी है। विपक्ष इस पर आक्रामक हो गया है और चुनाव आयोग तथा स्थानीय प्रशासन पर पारदर्शिता न बरतने का सीधा आरोप लगा रहा है। उनका कहना है कि इतने महत्वपूर्ण दस्तावेज़ में इतनी बड़ी संख्या में विसंगतियाँ होना केवल तकनीकी त्रुटि नहीं हो सकती, बल्कि यह सीधे-सीधे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।

दूसरी ओर, निर्वाचन कार्यालय के अधिकारी इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए तर्क दे रहे हैं कि यह एक सतत प्रक्रिया है। उनका कहना है कि एसआइआर अभियान का उद्देश्य ही सूची को त्रुटिरहित बनाना है और वर्षों से दर्ज हो चुके मृत या स्थानांतरित हो चुके नामों को हटाना ही इस प्रक्रिया का हिस्सा है। उन्होंने आश्वस्त किया है कि हर नाम को हटाने से पहले उसका विधिवत भौतिक सत्यापन किया जा रहा है, ताकि किसी भी जीवित और योग्य मतदाता का नाम गलती से न कट जाए। लेकिन जनता और राजनीतिक दल इस सफाई से संतुष्ट नज़र नहीं आ रहे हैं। उनका तर्क है कि अगर सत्यापन ठीक से होता, तो इतनी बड़ी संख्या में 'लापता' वोटरों का खुलासा ही नहीं होता।

यह पूरा घटनाक्रम जबलपुर में चुनावी माहौल को एक नई दिशा दे रहा है। ढाई लाख से अधिक 'गायब' वोटरों का रहस्य न केवल प्रशासनिक तंत्र पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक की उस उत्सुकता को भी बढ़ा रहा है कि आखिर उनकी अपनी विधानसभा की सूची में क्या स्थिति है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आयोग इस चुनौती का सामना कैसे करता है और क्या सूची से हटने जा रहे इन लाखों नामों पर कोई राजनीतिक भूचाल आना अभी बाकी है। चुनाव से पहले मतदाता सूची की शुद्धता पर उठ रहे ये सवाल जबलपुर के लोकतांत्रिक भविष्य के लिए एक बड़ा इम्तिहान साबित होने वाले हैं।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-