AajKaDin: 13 दिसम्बर 2025, जो श्रद्धालु एकादशी व्रत रखते हैं, उन्हें दशमी को एक बार भोजन करना चाहिए!

AajKaDin: 13 दिसम्बर 2025, जो श्रद्धालु एकादशी व्रत रखते हैं, उन्हें दशमी को एक बार भोजन करना चाहिए!

प्रेषित समय :21:23:01 PM / Fri, Dec 12th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8875863494)
* सफला एकादशी - 15 दिसम्बर 2025, सोमवार
* पारण का समय - 07:12 एएम से 09:20 एएम (16 दिसम्बर 2025)
* पारण के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 11:57 पीएम
* एकादशी तिथि प्रारम्भ - 14 दिसम्बर 2025 को 06:49 पीएम बजे
* एकादशी तिथि समाप्त - 15 दिसम्बर 2025 को 09:19 पीएम बजे

अच्युतम केशवम रामनारायणम, कृष्ण दामोदरम् वासुदेवम् हरे.
श्रीधरम् माधवम् गोपिकावल्लभम, जानकी नायकम श्रीरामचन्द्रम् भजे..

* जीवन में कामयाबी के लिए नियमित रूप से विष्णुदेव की पूजा करें.
* धर्मग्रंथों में... जीवन में सुख के लिए एकादशी व्रत-पूजा को उत्तम मार्ग बताया है.
* जो श्रद्धालु यह व्रत रखना चाहते हैं, उन्हें दशमी को एक बार भोजन करना चाहिए.
* एकादशी के दिन पवित्र स्नानादि के पश्चात गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल, पंचामृत आदि से भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए.
* इस व्रत में व्रत रखने वाले श्रद्धालु को यथासंभव बिना जल के रहना चाहिए.
* अगर व्रती श्रद्धालु चाहें तो संध्याकाल में दीपदान के पश्चात फलाहार ग्रहण कर सकते हैं.
* क्योंकि सुख के लिए यह व्रत है इसलिए यथासंभव पति-पत्नी, दोनों को व्रत रखना चाहिए.  
दैनिक चौघड़िया - 13 दिसम्बर 2025
* दिन का चौघड़िया
काल - 07:10 से 08:30
शुभ - 08:30 से 09:50
रोग - 09:50 से 11:10
उद्वेग - 11:10 से 12:29
चर - 12:29 से 01:49
लाभ - 01:49 से 03:09
अमृत - 03:09 से 04:29
काल - 04:29 से 05:48
रात्रि का चौघड़िया
लाभ - 05:48 से 07:29
उद्वेग - 07:29 से 09:09
शुभ - 09:09 से 10:49
अमृत - 10:49 से 12:30
चर - 12:30 से 02:10
रोग - 02:10 से 03:50
काल - 03:50 से 05:31
लाभ - 05:31 से 07:11 
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-