फर्जी राजनीतिक चंदे के नाम पर टैक्स चोरी पर सख्त हुआ आयकर विभाग, करदाताओं को भेजे जा रहे चेतावनी संदेश

फर्जी राजनीतिक चंदे के नाम पर टैक्स चोरी पर सख्त हुआ आयकर विभाग, करदाताओं को भेजे जा रहे चेतावनी संदेश

प्रेषित समय :19:12:02 PM / Sat, Dec 13th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

 नई दिल्ली.देश में टैक्स व्यवस्था को पारदर्शी और ईमानदार बनाने की दिशा में आयकर विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। फर्जी राजनीतिक चंदे और कथित दान के जरिए टैक्स में अनुचित छूट लेने वालों पर अब सीधे कार्रवाई की तैयारी शुरू हो चुकी है। वित्त मंत्रालय ने शनिवार को जानकारी दी कि आयकर विभाग ने ऐसे करदाताओं को एसएमएस और ई-मेल के जरिए अलर्ट भेजना शुरू कर दिया है, जिन्होंने गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों या संदिग्ध चैरिटेबल संस्थाओं के नाम पर गलत तरीके से टैक्स कटौती का दावा किया है। यह पहल केवल चेतावनी भर नहीं है, बल्कि आने वाले समय में कड़े कदमों का संकेत भी मानी जा रही है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी ने अपने विश्लेषण में पाया है कि हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में करदाताओं ने रजिस्टर्ड अनरिकॉग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टीज़, जिन्हें आरयूपीपी कहा जाता है, या कुछ चैरिटेबल संस्थाओं के नाम पर दान दिखाकर अपने टैक्स दायित्व को कम किया। इनमें से कई मामलों में न तो दान वास्तविक था और न ही संबंधित संस्थाएं आयकर कानून के तहत वैध छूट के दायरे में आती थीं। इसके बावजूद इन दावों के आधार पर टैक्स कम चुकाया गया और कुछ मामलों में फर्जी रिफंड तक हासिल कर लिया गया।

आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डेटा एनालिटिक्स और डिजिटल ट्रैकिंग के जरिए यह गड़बड़ी सामने आई है। पिछले कुछ वर्षों में आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो गई है, जिससे विभाग के पास करदाताओं के पैटर्न, लेनदेन और दावों का विस्तृत डेटा उपलब्ध है। इसी डेटा के विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ कि कुछ खास तरह के राजनीतिक दलों और संस्थाओं को बड़ी संख्या में दान दिखाया जा रहा है, जबकि उनकी गतिविधियां संदिग्ध हैं या वे कर छूट के लिए पात्र ही नहीं हैं।

राजनीतिक चंदे के नाम पर टैक्स छूट का प्रावधान मूल रूप से पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए बनाया गया था, ताकि लोग खुले तौर पर वैध राजनीतिक दलों को सहयोग कर सकें। लेकिन सीबीडीटी के अनुसार, इसी प्रावधान का दुरुपयोग कर कई लोग फर्जी रसीदों और कागजी दान के जरिए टैक्स चोरी करने लगे। कुछ मामलों में तो यह भी सामने आया कि दान की रकम नकद या अन्य माध्यमों से वापस करदाता को ही लौटा दी गई, जिससे पूरी प्रक्रिया एक दिखावा बनकर रह गई।

वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार, आयकर विभाग की ओर से भेजे जा रहे एसएमएस और ई-मेल का उद्देश्य करदाताओं को स्वेच्छा से अपने रिटर्न की समीक्षा करने और यदि कोई गलत दावा किया गया है तो उसे सुधारने का मौका देना है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह एक तरह की एडवाइजरी है, ताकि लोग समय रहते अपनी गलती सुधार लें और आगे की कानूनी कार्रवाई से बच सकें। हालांकि, यह भी संकेत दिया गया है कि यदि चेतावनी के बावजूद गलत दावे वापस नहीं लिए गए, तो जांच, जुर्माना और अभियोजन जैसी सख्त कार्रवाई हो सकती है।

आयकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम टैक्स अनुपालन की संस्कृति को मजबूत करने की दिशा में अहम साबित होगा। उनका कहना है कि अब तक कई करदाता यह मानकर चलते थे कि छोटे या मध्यम स्तर के गलत दावे विभाग की नजर से बच जाएंगे, लेकिन डेटा एनालिटिक्स के दौर में ऐसा संभव नहीं है। राजनीतिक चंदे और दान से जुड़े मामलों में विशेष निगरानी यह दर्शाती है कि सरकार टैक्स चोरी के हर रास्ते को बंद करना चाहती है।

इस कार्रवाई का एक राजनीतिक और सामाजिक पहलू भी है। गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या देश में काफी अधिक है और इनमें से कई दल चुनाव के समय सक्रिय होते हैं, लेकिन उनकी वास्तविक राजनीतिक गतिविधियां सीमित होती हैं। सीबीडीटी का कहना है कि इन दलों को दान के नाम पर दिखाए गए बड़े-बड़े आंकड़े स्वाभाविक रूप से संदेह पैदा करते हैं। यही कारण है कि अब इन पर खास नजर रखी जा रही है, ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था का दुरुपयोग न हो।

आम करदाताओं के लिए यह संदेश भी साफ है कि टैक्स बचाने के लिए शॉर्टकट अपनाना अब जोखिम भरा हो चुका है। विभाग की ओर से भेजे गए संदेशों में करदाताओं से आग्रह किया गया है कि वे अपने दावों की पुष्टि करें और यह सुनिश्चित करें कि जिस संस्था या राजनीतिक दल को दान दिखाया गया है, वह आयकर कानून के तहत मान्य है। साथ ही यह भी सलाह दी गई है कि भविष्य में किसी भी तरह की टैक्स योजना अपनाने से पहले उसकी वैधता की जांच जरूर करें।

सूत्रों के मुताबिक, यह अभियान आगे और व्यापक हो सकता है। आने वाले दिनों में ऐसे मामलों की गहन जांच की जाएगी, जहां बड़ी रकम के दान दिखाकर टैक्स में भारी छूट ली गई है। इसके लिए विभाग ने विशेष टीमें भी गठित की हैं, जो संदिग्ध लेनदेन और रसीदों की जांच करेंगी। यदि किसी नेटवर्क के जरिए बड़े पैमाने पर फर्जी दान दिखाने का मामला सामने आता है, तो इसमें शामिल सभी पक्षों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

कुल मिलाकर, आयकर विभाग की यह पहल एक चेतावनी से कहीं आगे की रणनीति का हिस्सा लगती है। सरकार साफ संकेत दे रही है कि टैक्स प्रणाली में पारदर्शिता और ईमानदारी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। फर्जी राजनीतिक चंदे और दान के जरिए टैक्स चोरी करने वालों के लिए अब रास्ता कठिन होता जा रहा है, जबकि ईमानदार करदाताओं के लिए यह भरोसे की बात है कि व्यवस्था को और मजबूत किया जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि डिजिटल निगरानी के इस दौर में हर लेनदेन का हिसाब रखा जा रहा है और कानून से बच निकलना अब आसान नहीं रहा।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-