ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, कल रविवार, 14 दिसंबर 2025 का दिन धर्म, धन और सिद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत विशेष रहने वाला है। यह दिवस पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अद्भुत संयोग के साथ आ रहा है। यह दशमी तिथि जिसे शास्त्रों में 'धर्मायणी' और 'धनदायक' तिथि के नाम से जाना जाता है, विशेष रूप से पूजनीय मानी गई है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, यह वह समय है जब किए गए छोटे से अनुष्ठान भी बड़ा फल प्रदान करते हैं, और इसी कारण जनता की उत्सुकता और जिज्ञासा इस तिथि के महत्व को लेकर चरम पर है।
ज्योतिष शास्त्र में दशमी तिथि को 'पूर्णा' नाम से भी विख्यात माना गया है, हालांकि कृष्ण पक्ष में यह मध्यम फलदायिनी होती है, लेकिन इसका 'धनदायक' स्वरूप इसे व्यावसायिक और आर्थिक गतिविधियों के लिए बेहद खास बना देता है। कहा जाता है कि इस शुभ दशमी तिथि में यदि कोई व्यक्ति धन प्राप्ति हेतु कोई नया उद्योग या कार्य आरंभ करता है, तो उसे सफलता की उम्मीदें कई गुना बढ़ जाती हैं। जो लोग लंबे समय से आर्थिक उन्नति के लिए प्रयास कर रहे हैं, उनके लिए कल का दिन एक स्वर्णिम अवसर लेकर आ रहा है। कल के दिन निवेश की शुरुआत या किसी बड़े आर्थिक निर्णय को लेना शुभ फलदायी साबित हो सकता है।
इतना ही नहीं, यह दशमी तिथि धर्म प्रदान करने वाली भी मानी जाती है। जो जातक आध्यात्मिक उन्नति या किसी बड़े धार्मिक अनुष्ठान या यज्ञ की योजना बना रहे हैं, उनके लिए कल का दिन सिद्धिदायक सिद्ध होगा। धर्म से संबंधित कोई भी बड़ा कार्य या संकल्प लेने से ईष्ट देवों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, कल के दिन वाहन खरीदना भी उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह तिथि स्थिरता और प्रगति प्रदान करती है। सरकारी कार्यालयों से संबंधित कार्यों को आरंभ करने के लिए भी कल के दिन को अत्यंत शुभ फल देने वाला माना गया है।
इस दशमी तिथि के अधिष्ठात्री देवता यमराज जी बताए गए हैं, जो दक्षिण दिशा के स्वामी माने जाते हैं। यमराज मृत्यु के देवता नहीं, बल्कि धर्मराज हैं और वे न्याय, संतुलन तथा अनुशासन के प्रतीक हैं। सनातन धर्म के अनुसार, कल दशमी तिथि पर यमराज का पूजन करने से जीव अपने समस्त पापों से छूट जाता है। पूजन के उपरान्त क्षमा याचना (प्रार्थना) करने से व्यक्ति नरक की यातना एवं जीवन के सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाता है। विशेष रूप से, इस दशमी तिथि को यम के निमित्त घर के बाहर दीपदान करना अत्यंत आवश्यक बताया गया है। यह दीपदान न केवल अंधकार को दूर करता है, बल्कि यह भी माना जाता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु के योग भी टल जाते हैं और जीवन में सुरक्षा तथा दीर्घायु का वरदान मिलता है।
व्यक्ति के जन्म पर भी तिथि का गहरा प्रभाव पड़ता है। जिस व्यक्ति का जन्म दशमी तिथि को होता है, वह प्रायः धर्मपरायण, संतुलित और अपने कार्यों में सफल होता है। वे जीवन में न्याय और अनुशासन को महत्व देते हैं।
कल के दिन को और भी अधिक शुभ बनाने के लिए, आइए जानते हैं पंचांग के अन्य घटक: आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। ज्योतिषियों ने प्रार्थना की है कि आज की तिथि के स्वामी, आज के वार के देवता, आज के नक्षत्र के अधिष्ठाता, योग और करण, इन सभी अधिष्ठात्री देवों/देवियों की कृपा इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले समस्त जातकों पर बनी रहे। मेरी हार्दिक प्रार्थना है कि ये सभी देवी-देवता समस्त जातकों को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त करने का आशीर्वाद प्रदान करें।
यह संयोग धर्म, अर्थ और मुक्ति के मार्ग पर चलने वालों के लिए एक दुर्लभ अवसर है, जिसे किसी भी जातक को चूकना नहीं चाहिए। कल के दिन की गई पूजा, संकल्प और दीपदान जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

