जबलपुर.साइबर अपराधियों ने एक नया और खतरनाक जाल बिछाया, लेकिन गढ़ा पुलिस की तत्परता ने एक महिला और उनके परिचितों को लाखों रुपये की ठगी का शिकार होने से बचा लिया। यह घटना बताती है कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके ठग किस तरह लोगों की छोटी सी लापरवाही का फायदा उठा रहे हैं और आम जनता को ऐसे डिजिटल खतरों के प्रति अत्यधिक जागरूक रहने की जरूरत है।
गढ़ा थाना क्षेत्र की निवासी रश्मि केवट सुबह 9 बजे घर पर थीं, जब उनके फोन की घंटी बजी। दूसरी ओर से आए कॉलर ने खुद को एक अधिकारी बताते हुए बेहद आश्वस्त लहजे में बात की। उसने रश्मि से कहा कि उनकी कोई डिलीवरी आई है, लेकिन डिलीवरी बॉय से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है। अक्सर ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले ग्राहकों को फंसाने के लिए यह सबसे आम और सफल तरीका है, क्योंकि लोग अपनी डिलीवरी को लेकर सहज रूप से चिंतित हो जाते हैं। रश्मि केवट को भी कॉलर की बातों पर यकीन हो गया। अपनी डिलीवरी की स्थिति जानने की जिज्ञासा में, उन्होंने उसकी बात मान ली। ठग ने बात पूरी करने के बजाय, यह कहते हुए एक नंबर फॉरवर्ड किया कि इस नंबर पर तुरंत कॉल करें, ताकि डिलीवरी बॉय से उनका संपर्क स्थापित हो सके। उस ठग ने यह सुनिश्चित किया कि रश्मि उस नंबर पर कॉल करें, लेकिन रश्मि जब उस नंबर पर कॉल करने गईं तो वह नंबर लगा नहीं। यहीं पर असली खेल शुरू हुआ।
दरअसल, यह एक सामान्य फोन कॉल नहीं था, बल्कि यह एक सुनियोजित सिम स्वैपिंग या स्क्रीन मिररिंग का प्रयास था, जहाँ किसी विशेष नंबर पर कॉल या मिस कॉल करने से व्यक्ति का मोबाइल डेटा या एक्सेस ठग के पास चला जाता है। नंबर न लगने के कुछ ही मिनटों बाद, रश्मि केवट का मोबाइल डिवाइस पूरी तरह से हैक हो चुका था। ठग को रश्मि के फोन का पूरा कंट्रोल मिल गया, जिसमें उनके संपर्क सूची (कॉन्टैक्ट लिस्ट) और सोशल मीडिया अकाउंट्स शामिल थे। ठग ने तुरंत एक्शन लिया और रश्मि केवट के रिश्तेदारों और करीबी परिचितों को मैसेज भेजना शुरू कर दिया। ये मैसेज रश्मि के नाम से भेजे गए थे, जिनमें किसी आपात स्थिति का बहाना बनाते हुए तुरंत पैसों की मांग की गई थी।
रिश्तेदारों को जब रश्मि के मोबाइल नंबर से "अभी तुरंत पैसे चाहिए, मैं बहुत बड़ी मुश्किल में हूँ" जैसे मैसेज मिले, तो उनमें हड़कंप मच गया। कुछ परिचितों ने तुरंत पैसे भेजने की तैयारी भी कर ली, लेकिन कुछ रिश्तेदारों को मैसेज की भाषा और अचानक पैसे मांगने के तरीके पर संदेह हुआ। उन्होंने रश्मि केवट को सीधे फोन करने की कोशिश की, लेकिन हैकिंग के कारण वह कॉल कनेक्ट नहीं हो पाया। इसी बीच, रश्मि केवट ने खुद महसूस किया कि उनके फोन में कुछ गड़बड़ी है और उन्होंने तुरंत गढ़ा पुलिस थाने में इसकी सूचना दी।
साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों के बीच, जबलपुर पुलिस अब पहले से अधिक सतर्क और प्रशिक्षित है। गढ़ा पुलिस ने बिना समय गंवाए तत्काल कार्रवाई शुरू की। उन्होंने तुरंत रश्मि केवट के फोन नंबर को ट्रैक किया और संबंधित दूरसंचार सेवा प्रदाता से संपर्क करके मोबाइल एक्सेस को सीमित करने की प्रक्रिया शुरू की। साथ ही, पुलिस ने रश्मि के परिचितों तक यह सूचना पहुंचाई कि उनके फोन से आ रहे पैसों की मांग वाले मैसेज पर ध्यान न दें और वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं। पुलिस की इस तत्परता और सूझबूझ के कारण, ठग अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सका और रश्मि के परिचितों को एक बड़ी साइबर ठगी से बचा लिया गया।
यह घटना जबलपुर की जनता के लिए एक बड़ी चेतावनी है। साइबर अपराधी हमेशा नए-नए तरीके अपनाते हैं, जैसे कि 'डिलीवरी कॉल', 'बैंक केवाईसी', या 'सरकारी सब्सिडी' के बहाने। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी अज्ञात नंबर से आए फोन पर बताए गए नंबर को डायल न करें, किसी भी ऐप को डाउनलोड न करें, और पैसे से जुड़ी कोई भी जानकारी या ओटीपी (OTP) किसी के साथ साझा न करें। छोटी सी सतर्कता हमें बड़े नुकसान से बचा सकती है। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है और हैकर तक पहुंचने के लिए तकनीकी जांच शुरू कर दी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। यह स्पष्ट है कि डिजिटल युग में, पुलिस की तत्परता जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही जरूरी आम जनता की डिजिटल साक्षरता भी है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

