कोलकाता. दुनिया के सबसे महान फुटबॉलरों में शुमार लियोनेल मेसी की भारत यात्रा से फैंस को जो उम्मीदें थीं, वे कोलकाता के साल्ट लेक स्टेडियम में जाकर मायूसी में बदलती नजर आईं। तीन दिन के भारत दौरे पर आए अर्जेंटीना के दिग्गज खिलाड़ी की पहली झलक पाने के लिए हजारों लोग स्टेडियम पहुंचे थे। हाथों में टिकट, आंखों में सपने और दिल में उत्साह लिए फैंस घंटों इंतजार करते रहे, लेकिन जब कार्यक्रम खत्म होने के बाद भी मेसी की एक झलक तक नसीब नहीं हुई, तो निराशा गुस्से में तब्दील हो गई। जिस आयोजन को फुटबॉल प्रेमियों के लिए यादगार बनना था, वही अव्यवस्था और अधूरी उम्मीदों की वजह से विवादों में घिर गया।
साल्ट लेक स्टेडियम के बाहर और भीतर का नजारा सुबह से ही अलग था। मेसी के नाम पर खरीदे गए महंगे टिकटों के साथ लोग दूर-दूर से आए थे। पश्चिम बंगाल के अलग-अलग जिलों के अलावा दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी और यहां तक कि पड़ोसी राज्यों से भी फैंस पहुंचे थे। कई लोगों ने बताया कि उन्होंने इस एक दिन के लिए महीनों पहले से योजना बनाई थी। किसी ने छुट्टी ली, किसी ने लंबा सफर तय किया और किसी ने अपनी बचत से टिकट खरीदा, सिर्फ इसलिए कि अपने पसंदीदा खिलाड़ी को सामने से देख सकें।
कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही स्टेडियम में भारी भीड़ जमा हो चुकी थी। आयोजकों की ओर से लगातार बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। फैंस को यह उम्मीद दिलाई गई थी कि मेसी न सिर्फ मैदान में आएंगे, बल्कि कुछ फुटबॉल मूव्स भी दिखाएंगे। यहां तक कि शाहरुख खान जैसे बड़े सितारे के शामिल होने की बातें भी सोशल मीडिया और प्रचार में सामने आई थीं। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, साफ होता गया कि जमीनी तैयारी उन वादों से मेल नहीं खा रही थी।
जब मेसी स्टेडियम पहुंचे तो वह बेहद सीमित समय के लिए नजर आए। चश्मदीदों के मुताबिक, वह कुछ ही मिनटों के लिए मंच या मैदान के एक हिस्से में दिखे, जहां नेताओं, मंत्रियों और खास मेहमानों की घेराबंदी थी। आम दर्शकों के लिए न तो सही व्यू की व्यवस्था थी और न ही स्क्रीन या अनाउंसमेंट के जरिए यह स्पष्ट किया गया कि मेसी कहां हैं। नतीजा यह हुआ कि स्टेडियम में बैठे हजारों लोग अपने सीट से खड़े होकर इधर-उधर झांकते रहे, लेकिन उन्हें वह पल नहीं मिला, जिसके लिए वे आए थे।
निराशा का आलम तब और गहराया, जब कार्यक्रम लगभग समाप्ति की ओर बढ़ने लगा और मेसी की कोई गतिविधि मैदान पर नहीं दिखी। न तो कोई किक, न पेनल्टी और न ही फैंस से कोई सीधा संवाद। इस दौरान भीड़ में बेचैनी बढ़ने लगी। कुछ लोग नारे लगाने लगे, तो कुछ ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की। देखते ही देखते माहौल तनावपूर्ण हो गया और कुछ जगहों पर हंगामे की स्थिति बन गई।
गुस्से में आए कुछ फैंस ने स्टेडियम में कुर्सियां और पानी की बोतलें फेंक दीं। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में टेंट और गोल पोस्ट को नुकसान पहुंचाते दृश्य भी दिखे। हालात बिगड़ते देख पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और भीड़ को काबू में करने के लिए सख्ती बरतनी पड़ी। पुलिस की मौजूदगी ने स्थिति को संभाला, लेकिन तब तक आयोजन की छवि को बड़ा नुकसान हो चुका था।
फैंस की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण टिकट की कीमत और उम्मीदों का टूटना रहा। दार्जिलिंग से आई एक महिला फैन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उसने 12 हजार रुपये का टिकट खरीदा था, लेकिन इसके बावजूद वह मेसी का चेहरा तक नहीं देख सकी। उसका कहना था कि मेसी के आसपास सिर्फ नेता और वीआईपी लोग थे, जबकि आम दर्शक दूर बैठे रहे। उसने सवाल उठाया कि अगर फैंस को कुछ दिखाना ही नहीं था, तो इतने महंगे टिकट बेचने का क्या मतलब था।
अन्य फैंस ने भी इसी तरह की पीड़ा जाहिर की। एक युवक ने कहा कि यह बेहद खराब इवेंट था। मेसी सिर्फ कुछ मिनटों के लिए आए और उन्हें चारों तरफ से घेर लिया गया। उसने कहा कि पहले वादा किया गया था कि मेसी कुछ फुटबॉल एक्शन दिखाएंगे और शाहरुख खान भी आएंगे, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। उसने यह भी कहा कि इतने पैसे, समय और भावनाएं खर्च करने के बाद खाली हाथ लौटना बहुत दुखद है।
इस पूरे घटनाक्रम ने आयोजन की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खेल आयोजनों में स्टार खिलाड़ियों की मौजूदगी दर्शकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण होती है, लेकिन जब वही आकर्षण अव्यवस्था की भेंट चढ़ जाए, तो नाराजगी स्वाभाविक है। विशेषज्ञों का कहना है कि इतने बड़े नाम से जुड़े कार्यक्रम में सुरक्षा और प्रोटोकॉल जरूरी होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आम दर्शक पूरी तरह उपेक्षित महसूस करें।
मेसी जैसे खिलाड़ी की भारत यात्रा अपने आप में ऐतिहासिक मानी जा रही थी। भारत में फुटबॉल का एक बड़ा और जुनूनी फैन बेस है, खासकर पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में। ऐसे में यह मौका भारतीय फैंस के लिए एक उत्सव बन सकता था। लेकिन अव्यवस्था, गलत संचार और अधूरी योजनाओं ने उस उत्सव को विवाद में बदल दिया।
अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या आयोजकों की ओर से फैंस को कोई जवाब या मुआवजा मिलेगा। सोशल मीडिया पर लोग आयोजकों की आलोचना कर रहे हैं और टिकट रिफंड की मांग भी उठ रही है। कई यूजर्स ने लिखा कि इस तरह के आयोजनों से भविष्य में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के भारत आने की छवि भी प्रभावित हो सकती है।
कुल मिलाकर, कोलकाता में मेसी की मौजूदगी ने जहां उम्मीदें जगाई थीं, वहीं उनका अधूरा अनुभव फैंस के लिए एक कड़वी याद बन गया। एक ऐसा खिलाड़ी, जिसे देखने के लिए लोग सालों इंतजार करते हैं, उसकी एक झलक तक न मिल पाना निराशाजनक है। यह घटना एक सबक भी है कि बड़े नाम और बड़े वादों से ज्यादा जरूरी है ईमानदार तैयारी और दर्शकों के प्रति सम्मान। वरना खेल का जश्न कब नाराजगी में बदल जाए, इसका अंदाजा भी आयोजकों को नहीं होता।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

