भारतीय रेल ने यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एलएचबी डिब्बों के उत्पादन में ऐतिहासिक अठारह प्रतिशत वृद्धि दर्ज की

भारतीय रेल ने यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एलएचबी डिब्बों के उत्पादन में ऐतिहासिक अठारह प्रतिशत वृद्धि दर्ज की

प्रेषित समय :20:09:25 PM / Sun, Dec 14th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. भारतीय रेल अपने यात्रियों को विश्व स्तरीय सुरक्षा और बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, चालू वित्तीय वर्ष (वित्तीय वर्ष 2025-26) में एलएचबी (लिंके हॉफमैन बुश) डिब्बों के उत्पादन में अठारह प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज करने की ओर अग्रसर है। यह खबर रेलवे के तकनीकी हलकों और रेल प्रेमियों के समर्पित समूहों में एक मुख्य चर्चा का विषय बन गई है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि देश की सबसे बड़ी परिवहन प्रणाली अब आधुनिकीकरण और सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता करने के मूड में नहीं है।

पारंपरिक इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) डिजाइन के डिब्बों से एलएचबी डिब्बों में पूर्ण संक्रमण की यह तीव्र गति भारतीय रेल के आधुनिकीकरण के संकल्प को दर्शाती है। एलएचबी डिब्बे, जो अपनी बेहतर यात्री सुरक्षा विशेषताओं, विशेष रूप से दुर्घटना की स्थिति में 'एंटी-टेलिस्कोपिंग' क्षमता के लिए जाने जाते हैं, अब भारतीय रेल नेटवर्क का मानक बनते जा रहे हैं। इन डिब्बों के व्यापक उत्पादन में हुई यह वृद्धि न केवल संख्यात्मक उपलब्धि है, बल्कि लाखों यात्रियों के लिए सुरक्षित और आरामदायक यात्रा की गारंटी है। यह उपलब्धि उस समय दर्ज की गई है जब रेलवे देश भर में बुनियादी ढांचे के विकास और नई रेलगाड़ियों के परिचालन पर भारी निवेश कर रहा है।

रेलवे के विभिन्न उत्पादन इकाइयों—जैसे चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्ट्री (MCF), और कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्ट्री (RCF)—ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इन कारखानों में अपनाई जा रही उन्नत विनिर्माण तकनीकों और स्वचालन (ऑटोमेशन) ने उत्पादन प्रक्रिया को तेज़ और कुशल बनाया है। इस वृद्धि का सीधा अर्थ है कि आने वाले वर्षों में, पुराने और कम सुरक्षित आईसीएफ डिब्बों को तेज़ी से एलएचबी डिब्बों से बदला जा सकेगा, जिससे देश की पटरियों पर चलने वाली लगभग हर रेलगाड़ी सुरक्षित और आधुनिक हो जाएगी।

रेल प्रेमियों और तकनीकी विशेषज्ञों के बीच इस बात की विशेष उत्सुकता है कि एलएचबी डिब्बे अपने उत्कृष्ट डिजाइन के कारण न केवल यात्रियों को एक शांत और झटके रहित यात्रा प्रदान करते हैं, बल्कि वे रेलगाड़ी को उच्च गति पर चलाने की अनुमति भी देते हैं। इस वृद्धि से उम्मीद जगी है कि अब विभिन्न रूटों पर रेलगाड़ियों की औसत गति में सुधार होगा और यात्रा का समय कम हो सकेगा। इसके अतिरिक्त, इन डिब्बों में बेहतर ब्रेक प्रणाली (डिस्क ब्रेक) और उच्च-क्षमता वाले एयर-कंडीशनिंग संयंत्र लगे होते हैं, जो गर्मियों में भी यात्रियों को आरामदेह अनुभव प्रदान करते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रेल उपयोगकर्ता इस बात की सराहना कर रहे हैं कि अब उन्हें लंबी दूरी की यात्राओं पर पुरानी रेलगाड़ियों के बजाय नई एलएचबी रैक मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।

इस उपलब्धि का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत घरेलू विनिर्माण और तकनीकी आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है। भारतीय रेल इन डिब्बों का निर्माण पूरी तरह से देश के भीतर ही कर रहा है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं और देश की इंजीनियरिंग क्षमताओं का प्रदर्शन हो रहा है। यह स्थानीय उद्योगों और सहायक आपूर्तिकर्ताओं के लिए भी एक बड़ा प्रोत्साहन है।

रेलवे प्रबंधन का मानना है कि एलएचबी उत्पादन में इस वृद्धि को बनाए रखना भविष्य की यात्रा मांगों को पूरा करने के लिए आवश्यक है। जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था बढ़ती है और शहरी केंद्रों के बीच कनेक्टिविटी मजबूत होती है, सुरक्षित और त्वरित रेल यात्रा की मांग भी बढ़ती जाती है। यह उत्पादन वृद्धि रेलवे की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस खबर ने उन सभी यात्रियों के मन में एक नया विश्वास पैदा किया है जो अक्सर भारतीय रेल से यात्रा करते हैं, यह जानते हुए कि सुरक्षा अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि उत्पादन के केंद्र में एक क्रियान्वित सिद्धांत है। आने वाले समय में, यह उत्पादन वृद्धि भारतीय रेल की छवि को विश्व स्तर पर एक आधुनिक, सुरक्षित और कुशल परिवहन नेटवर्क के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगी।

भारतीय रेलवे द्वारा एलएचबी (लिंके हॉफमैन बुश) डिब्बों के उत्पादन में तेजी लाए जाने के बाद, अब देश की लगभग सभी प्रीमियम और लंबी दूरी की महत्वपूर्ण रेलगाड़ियों में इन सुरक्षित और आरामदायक डिब्बों का उपयोग किया जा रहा है। यह बदलाव यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देने की रेलवे की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

शुरुआत में, एलएचबी डिब्बे केवल राजधानी और शताब्दी जैसी उच्च गति वाली रेलगाड़ियों के लिए आरक्षित थे, लेकिन अब इनका उपयोग दूरंतो, गरीब रथ और कई अन्य एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में भी तेजी से किया जा रहा है।यहाँ उन प्रमुख श्रेणियों और कुछ प्रतिष्ठित रेलगाड़ियों की सूची दी गई है जिनमें वर्तमान में एलएचबी डिब्बों का उपयोग किया जा रहा है:

1. प्रीमियम और फ्लैगशिप रेलगाड़ियां

ये रेलगाड़ियाँ भारतीय रेलवे नेटवर्क की सबसे प्रतिष्ठित रेलगाड़ियाँ हैं, जिनमें लगभग पूरी तरह से एलएचबी रैक का उपयोग किया जाता है:

  • राजधानी एक्सप्रेस (Rajdhani Express): सभी राजधानी रेलगाड़ियाँ (जैसे दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-पटना, आदि) पूरी तरह से एलएचबी रैक पर चलती हैं।

  • शताब्दी एक्सप्रेस (Shatabdi Express): सभी शताब्दी रेलगाड़ियाँ (जो दिन के समय अंतर-शहर यात्रा कराती हैं) एलएचबी डिब्बों से सुसज्जित हैं।

  • दूरंतो एक्सप्रेस (Duronto Express): अधिकांश दूरंतो एक्सप्रेस रेलगाड़ियाँ, जो मुख्य रूप से नॉन-स्टॉप सेवाएँ प्रदान करती हैं, एलएचबी डिब्बों का उपयोग करती हैं।

  • तेजस एक्सप्रेस (Tejas Express): यह प्रीमियम सेमी-हाई-स्पीड सेवा पूरी तरह से एलएचबी प्लेटफॉर्म पर आधारित है।

2. सुपरफास्ट और एक्सप्रेस सेवाएँ

सुरक्षा बढ़ाने और यात्रियों को बेहतर अनुभव देने के लिए, धीरे-धीरे अधिकांश व्यस्त मार्ग एक्सप्रेस रेलगाड़ियों को एलएचबी रैक में बदला जा रहा है:

  • वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express): हालाँकि यह एक ट्रेनसेट है, लेकिन इसका डिज़ाइन दर्शन और सुरक्षा मानक एलएचबी तकनीक से भी आगे हैं, यह सबसे आधुनिक है।

  • गरीब रथ एक्सप्रेस (Garib Rath Express): स्लीपर और एसी 3-टियर की सस्ती सेवा प्रदान करने वाली कई गरीब रथ रेलगाड़ियाँ अब एलएचबी डिब्बों का उपयोग कर रही हैं, जिससे सुरक्षा में सुधार हुआ है।

  • एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस (AC Superfast Express): लंबी दूरी की एसी सुपरफास्ट रेलगाड़ियाँ अब बड़े पैमाने पर एलएचबी रैक का उपयोग कर रही हैं।

  • कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एक्सप्रेस रेलगाड़ियाँ:

    • संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस (दिल्ली-पटना)

    • बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस

    • काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस

    • गोमती एक्सप्रेस

    • दक्षिण भारत की कई प्रमुख रेलगाड़ियां जैसे तमिलनाडु एक्सप्रेसकेरला एक्सप्रेस, आदि।

3. अन्य महत्वपूर्ण बदलाव

  • हॉलीडे और स्पेशल रेलगाड़ियाँ: त्योहारी सीजन या भीड़-भाड़ वाले समय में चलाई जाने वाली कई विशेष रेलगाड़ियों में भी अब एलएचबी रैक का उपयोग किया जाने लगा है, ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

  • तेजी से चल रहा प्रतिस्थापन : रेलवे का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में, पुराने आईसीएफ डिब्बों का उपयोग पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। वर्तमान में लगभग 70% से 80% प्रमुख मेल/एक्सप्रेस रेलगाड़ियों को एलएचबी रैक से बदल दिया गया है, और यह प्रक्रिया लगातार जारी है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-