चेन्नई. अंडर-19 एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला हमेशा से सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि इसके साथ भावनाएं, दबाव और मैदान के बाहर की चर्चाएं भी जुड़ी रहती हैं। रविवार को आईसीसी अकादमी मैदान पर खेले गए इस हाई-वोल्टेज मुकाबले में भारतीय अंडर-19 टीम ने न केवल खेल के हर विभाग में पाकिस्तान पर दबदबा बनाया, बल्कि मैदान के बाहर भी अपने पुराने फैसले पर कायम रहकर सुर्खियां बटोरीं। भारत ने पाकिस्तान को 90 रनों से करारी शिकस्त दी, लेकिन मैच खत्म होने के बाद हाथ मिलाने को लेकर अपनाई गई नीति पर चर्चा जीत से भी ज्यादा होती रही।
इस मुकाबले में भारत और पाकिस्तान दोनों ही टीमें अपने-अपने पहले मैच जीतकर आत्मविश्वास से लबरेज थीं। भारत ने अपने शुरुआती मैच में यूएई को बड़े अंतर से हराया था, जबकि पाकिस्तान ने मलेशिया के खिलाफ विशाल जीत दर्ज की थी। ऐसे में दोनों टीमें जीत की लय को बरकरार रखने के इरादे से मैदान पर उतरी थीं। हालांकि शुरुआत से ही यह साफ नजर आने लगा कि भारतीय टीम इस मैच के लिए बेहतर तैयारी और संतुलन के साथ उतरी है।
मैच से पहले टॉस के दौरान ही माहौल अलग दिखाई दिया। भारतीय कप्तान आयुष म्हात्रे और पाकिस्तानी कप्तान फरहान यूसुफ ने एक-दूसरे से हाथ नहीं मिलाया और औपचारिकता के बिना टॉस की प्रक्रिया पूरी की। यह संकेत था कि भारतीय टीम इस दौरे में पहले से चली आ रही अपनी नीति पर कायम रहने वाली है। टॉस के बाद खेल शुरू हुआ और इसके साथ ही भारत ने मैदान पर अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी।
पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम की शुरुआत संभली हुई रही। शुरुआती ओवरों में विकेट गिरने के बावजूद बल्लेबाजों ने धैर्य नहीं खोया। ऐसे समय में एरॉन जॉर्ज ने जिम्मेदारी संभाली और पारी को स्थिरता दी। एरॉन ने बेहद संयमित अंदाज में बल्लेबाजी की और गेंद को समझदारी से खेलते हुए रन बटोरे। उनकी बल्लेबाजी में परिपक्वता साफ झलक रही थी। उन्होंने जोखिम भरे शॉट्स से परहेज किया और जरूरत के मुताबिक स्ट्रोक्स लगाए। 85 रनों की उनकी पारी भारतीय पारी की रीढ़ साबित हुई, जिसने टीम को मजबूत स्कोर तक पहुंचाने की नींव रखी।
एरॉन का साथ कनिष्क चौहान ने बखूबी निभाया। कनिष्क ने यह साबित किया कि वह सिर्फ गेंद से ही नहीं, बल्कि बल्ले से भी टीम के लिए उपयोगी खिलाड़ी हैं। उन्होंने रन गति को बनाए रखते हुए रन-बॉल 46 की अहम पारी खेली। कनिष्क की बल्लेबाजी में आत्मविश्वास और आक्रामकता का संतुलन देखने को मिला। उनकी पारी ने भारत को अंतिम ओवरों में अतिरिक्त रन दिलाए, जिससे पाकिस्तान पर दबाव और बढ़ गया।
46.1 ओवर में भारत ने 240 रन बनाए, जो अंडर-19 स्तर पर एक मजबूत स्कोर माना जाता है। लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तानी टीम के सामने चुनौती आसान नहीं थी, और भारतीय गेंदबाजों ने इस चुनौती को और कठिन बना दिया। नई गेंद के साथ दीपेश देवेंद्रन ने पाकिस्तान के शीर्ष क्रम पर सीधा प्रहार किया। उन्होंने बेहतरीन लाइन और लेंथ के साथ गेंदबाजी करते हुए शुरुआती ओवरों में ही तीन अहम विकेट झटक लिए। इन शुरुआती झटकों से पाकिस्तान की बल्लेबाजी पूरी तरह लड़खड़ा गई।
दीपेश की गेंदबाजी में गति के साथ-साथ अनुशासन भी नजर आया। उन्होंने बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया और लगातार दबाव बनाए रखा। उनके इस प्रभावशाली स्पेल ने मैच का रुख लगभग तय कर दिया। बीच के ओवरों में कनिष्क चौहान ने भी गेंद से अहम योगदान दिया। उन्होंने दो महत्वपूर्ण विकेट लेकर पाकिस्तान की वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कनिष्क की सटीक गेंदबाजी ने रन गति पर ब्रेक लगाया और पाकिस्तानी बल्लेबाजों को साझेदारी बनाने का मौका नहीं दिया।
भारतीय क्षेत्ररक्षण भी इस मुकाबले में काबिले तारीफ रहा। खिलाड़ियों ने चुस्ती-फुर्ती दिखाते हुए कैच लपके और रन रोकने में कोई ढिलाई नहीं बरती। हर विभाग में भारतीय टीम की एकजुटता साफ दिखाई दी। पाकिस्तान की टीम 241 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 41.2 ओवर में 150 रन पर सिमट गई और भारत ने मुकाबला 90 रन से अपने नाम कर लिया।
हालांकि मैच खत्म होने के बाद भी चर्चा का सिलसिला थमा नहीं। खेल समाप्त होते ही भारतीय खिलाड़ियों ने अंपायरों से हाथ मिलाया और बिना पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाए सीधे ड्रेसिंग रूम की ओर चले गए। यह दृश्य साफ तौर पर भारत की पहले से चली आ रही नीति को दर्शाता है। इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया और क्रिकेट गलियारों में बहस जरूर हुई, लेकिन भारतीय टीम ने अपने रुख में कोई बदलाव नहीं किया।
इस जीत का महत्व केवल अंक तालिका तक सीमित नहीं है। यह जीत भारतीय अंडर-19 टीम की गहराई और मजबूती को दर्शाती है। जहां अक्सर कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों पर नजरें टिकी रहती हैं, वहीं इस मुकाबले में सहायक भूमिका में माने जाने वाले खिलाड़ियों ने आगे बढ़कर जिम्मेदारी संभाली। एरॉन जॉर्ज की संयमित बल्लेबाजी, कनिष्क चौहान का हरफनमौला प्रदर्शन और दीपेश देवेंद्रन की घातक गेंदबाजी ने यह साबित कर दिया कि भारतीय टीम किसी एक-दो खिलाड़ियों पर निर्भर नहीं है।
आगामी अंडर-19 विश्व कप से पहले यह जीत भारतीय टीम के आत्मविश्वास को और मजबूत करने वाली है। जिम्बाब्वे और नामीबिया की संयुक्त मेजबानी में होने वाले इस बड़े टूर्नामेंट के लिए भारत को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। पाकिस्तान जैसी मजबूत टीम के खिलाफ इस तरह की जीत न केवल खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाती है, बल्कि टीम प्रबंधन को भी यह भरोसा दिलाती है कि बेंच स्ट्रेंथ और टीम संतुलन पूरी तरह मजबूत है।
कुल मिलाकर, भारत-पाकिस्तान अंडर-19 एशिया कप मुकाबला भारतीय टीम के लिए हर मायने में यादगार रहा। 90 रनों की करारी जीत, सहायक खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन और मैदान के बाहर अपने फैसले पर कायम रहना—इन सबने इस मैच को खास बना दिया। यह मुकाबला केवल एक जीत नहीं, बल्कि भारतीय युवा क्रिकेट की मजबूती और भविष्य की झलक भी पेश करता है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

