वानखेड़े स्टेडियम में इतिहास का नया सुनहरा पल, मेसी और तेंदुलकर एक मंच पर आए

वानखेड़े स्टेडियम में इतिहास का नया सुनहरा पल, मेसी और तेंदुलकर एक मंच पर आए

प्रेषित समय :21:48:32 PM / Sun, Dec 14th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम, जो दशकों से भारतीय खेल इतिहास के सबसे यादगार पलों का साक्षी रहा है, ने रविवार को एक और स्वर्णिम अध्याय अपने नाम कर लिया। 14 दिसंबर 2025 की शाम उस समय खास बन गई, जब फुटबॉल के महानायक लियोनेल मेसी और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर एक ही मंच पर नजर आए। यह दृश्य न केवल खेल प्रेमियों के लिए भावुक कर देने वाला था, बल्कि भारत के खेल इतिहास में भी लंबे समय तक याद रखा जाएगा। दो अलग-अलग खेलों के ये दो महापुरुष, जिनकी उपलब्धियों ने दुनिया भर के करोड़ों प्रशंसकों को प्रेरित किया है, जब वानखेड़े की पवित्र धरती पर साथ आए, तो माहौल खुद-ब-खुद ऐतिहासिक बन गया।

चार शहरों के ‘गोट इंडिया टूर’ के तहत मेसी का यह तीसरा पड़ाव था। तय कार्यक्रम के अनुसार, उन्होंने वानखेड़े स्टेडियम में ठीक एक घंटे का समय बिताया, लेकिन यह एक घंटा खेल प्रेमियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था। स्टेडियम परिसर में जैसे ही मेसी पहुंचे, उत्साह अपने चरम पर था। हर तरफ कैमरे, तालियां और रोमांच से भरी निगाहें थीं। मेसी ने न सिर्फ युवा फुटबॉल खिलाड़ियों से मुलाकात की, बल्कि भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े प्रतीक सचिन तेंदुलकर और भारतीय फुटबॉल के दिग्गज सुनील छेत्री के साथ भी समय बिताया।

वानखेड़े की वही धरती, जहां सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर की कई ऐतिहासिक पारियां खेलीं और जहां 2011 में भारत ने विश्व कप जीतकर इतिहास रचा, उस पर मेसी की मौजूदगी ने एक नई ऊर्जा भर दी। जब मेसी और तेंदुलकर आमने-सामने आए, तो वह पल खेल की सीमाओं से ऊपर उठ गया। यह दो पीढ़ियों, दो खेलों और दो संस्कृतियों के महानायकों का मिलन था। दोनों ने एक-दूसरे का गर्मजोशी से स्वागत किया, मुस्कान और सम्मान के साथ बातचीत की और कैमरों के सामने वह दृश्य रचा, जिसे देखकर खेल प्रेमियों की आंखें चमक उठीं।

मेसी का यह दौरा सिर्फ औपचारिक मुलाकात तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने युवा फुटबॉल खिलाड़ियों के साथ संवाद किया, उनकी ट्रेनिंग देखी और उन्हें प्रेरित किया। इन युवाओं के लिए यह अनुभव किसी सपने के सच होने जैसा था। जिन खिलाड़ियों ने बचपन से मेसी को टीवी और मोबाइल स्क्रीन पर देखा था, उनके सामने वही महान खिलाड़ी खड़ा था, उनसे बात कर रहा था, उन्हें आगे बढ़ने की सीख दे रहा था। मेसी ने भी सहजता और विनम्रता के साथ युवाओं का उत्साह बढ़ाया, जो उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी पहचान मानी जाती है।

इस ऐतिहासिक शाम में सुनील छेत्री की मौजूदगी ने भारतीय फुटबॉल को एक अलग ही पहचान दी। छेत्री, जिन्हें भारत में फुटबॉल का चेहरा कहा जाता है, मेसी के साथ मंच साझा करते नजर आए। यह दृश्य भारतीय फुटबॉल प्रेमियों के लिए भी बेहद खास था। एक तरफ विश्व फुटबॉल का सबसे बड़ा नाम और दूसरी तरफ भारतीय फुटबॉल का सबसे भरोसेमंद चेहरा—दोनों का एक साथ होना आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया।

कार्यक्रम के दौरान मनोरंजन जगत की कई नामचीन हस्तियां भी मौजूद रहीं, जिससे माहौल और भी रंगीन हो गया। हालांकि सारी निगाहें बार-बार मेसी और तेंदुलकर पर ही टिक जाती थीं। जब दोनों महान खिलाड़ी वानखेड़े के बीचों-बीच खड़े हुए, तो ऐसा लगा मानो समय कुछ पल के लिए ठहर गया हो। यह केवल एक फोटो सेशन नहीं था, बल्कि दो युगों की कहानी एक ही फ्रेम में सिमट आई थी।

वानखेड़े स्टेडियम के लिए यह मौका इसलिए भी खास रहा, क्योंकि इस मैदान ने हमेशा बड़े पलों को जन्म दिया है। सुनील गावस्कर से लेकर सचिन तेंदुलकर तक, और 2011 के विश्व कप फाइनल से लेकर आईपीएल के अनगिनत रोमांचक मुकाबलों तक—वानखेड़े का इतिहास गौरवशाली रहा है। अब इस सूची में मेसी और तेंदुलकर का एक साथ आना भी दर्ज हो गया है। खेल इतिहास में कुछ पल ऐसे होते हैं, जो आंकड़ों से परे होते हैं, और यह भी उन्हीं में से एक था।

मेसी के भारत दौरे को लेकर पहले से ही जबरदस्त उत्साह था। उनके हर शहर में पहुंचने पर प्रशंसकों की भीड़ और मीडिया की दिलचस्पी साफ देखी जा रही है। वानखेड़े में उनका यह एक घंटे का ठहराव भले ही समय के लिहाज से छोटा रहा हो, लेकिन प्रभाव के मामले में यह पल बेहद बड़ा साबित हुआ। सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो गए, और खेल प्रेमियों ने इसे ‘दो महान आत्माओं का मिलन’ बताया।

सचिन तेंदुलकर के लिए भी यह मौका खास रहा। क्रिकेट के मैदान पर अनगिनत रिकॉर्ड बनाने वाले तेंदुलकर ने हमेशा दूसरे खेलों और खिलाड़ियों का सम्मान किया है। मेसी के साथ उनकी बातचीत और मुस्कान यह दिखाती है कि महानता सिर्फ अपने खेल तक सीमित नहीं रहती, बल्कि दूसरों की उपलब्धियों को सराहने में भी नजर आती है। दोनों खिलाड़ियों के बीच आपसी सम्मान साफ झलक रहा था।

यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह संदेश भी दे गया कि खेल सीमाओं में बंधा नहीं होता। फुटबॉल और क्रिकेट, अर्जेंटीना और भारत, दो अलग-अलग संस्कृतियां—इन सबके बावजूद खेल का जज्बा सबको एक सूत्र में बांध देता है। वानखेड़े में यह दृश्य उसी भावना का प्रतीक बन गया।

जब मेसी वानखेड़े से विदा हुए, तो पीछे छोड़ गए यादों का एक ऐसा खजाना, जिसे खेल प्रेमी लंबे समय तक संजोकर रखेंगे। यह शाम साबित कर गई कि महान खिलाड़ी सिर्फ अपने खेल से नहीं, बल्कि अपनी मौजूदगी से भी इतिहास रचते हैं। वानखेड़े स्टेडियम ने एक बार फिर दिखा दिया कि क्यों इसे भारतीय खेलों का पवित्र तीर्थ कहा जाता है, जहां हर नई पीढ़ी को प्रेरणा देने वाले पल जन्म लेते हैं।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-