जबलपुर. शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी ए क्यू आई की रविवार 14 दिसंबर 2025 को स्थिति “खराब” श्रेणी में दर्ज की गई है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक लगभग 114 दर्ज किया गया है, जिसे वायु प्रदूषण मापन प्रणाली में “खराब” श्रेणी माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि हवा पूरी तरह स्वच्छ नहीं है और सामान्य से नीचे की गुणवत्ता की ओर बढ़ रही है, हालांकि इसे न तो “अत्यंत खराब” और न ही “गंभीर” स्तर में रखा गया है।
पर्यावरण विज्ञान के मानकों के अनुसार ए क्यू आई यदि 101 से 200 के बीच रहता है तो उसे “खराब” माना जाता है। जबलपुर का ए क्यू आई इसी दायरे में होने के कारण विशेषज्ञ इसे चेतावनी की स्थिति मान रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस स्तर की वायु गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रही तो श्वसन तंत्र, आंखों और त्वचा से जुड़ी समस्याएं सामने आ सकती हैं, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि ए क्यू आई 114 होने का अर्थ यह है कि हवा में सूक्ष्म प्रदूषक कणों की मात्रा बढ़ गई है। ये कण सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और खांसी, सांस फूलना, सिरदर्द और थकान जैसी शिकायतें पैदा कर सकते हैं। डॉक्टरों की सलाह है कि इस स्थिति में सुबह के समय खुली हवा में टहलने से बचें और मास्क का उपयोग करें, खासकर वे लोग जिन्हें दमा या फेफड़ों से जुड़ी समस्या है।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार जबलपुर में ए क्यू आई के खराब होने के पीछे मौसमी और मानवीय दोनों कारण जिम्मेदार हैं। सर्दियों में हवा की गति कम होने से प्रदूषक तत्व वातावरण में ही जमा हो जाते हैं। इसके साथ ही वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण स्थलों से उड़ती धूल, कचरा जलाने और औद्योगिक गतिविधियों का असर भी ए क्यू आई को ऊपर ले जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इन कारणों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में ए क्यू आई और बिगड़ सकता है।
प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल जबलपुर का ए क्यू आई आपात स्थिति के स्तर पर नहीं पहुंचा है। यही कारण है कि अभी सख्त आपात उपाय लागू नहीं किए गए हैं। वैज्ञानिक आधार पर यह स्पष्ट किया गया है कि जब तक ए क्यू आई गंभीर स्तर को पार नहीं करता, तब तक अत्यधिक कठोर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता नहीं होती। वर्तमान में शहर में स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
विशेषज्ञों की राय है कि मौजूदा ए क्यू आई स्तर को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह समय है जब नागरिक और प्रशासन मिलकर हवा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में कदम उठाएं। सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग, निजी वाहनों का सीमित प्रयोग, पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाना और खुले में कचरा न जलाना जैसे उपाय ए क्यू आई को नियंत्रित करने में प्रभावी साबित हो सकते हैं। पर्यावरण से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययनों में भी यह बात सामने आई है कि सामूहिक प्रयासों से वायु गुणवत्ता में सुधार संभव है।
जबलपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 114 के साथ “खराब” श्रेणी में दर्ज किया गया है। विशेषज्ञों और आधिकारिक निगरानी संस्थानों के अनुसार यह स्थिति गंभीर तो नहीं है, लेकिन चेतावनी जरूर है। यदि समय रहते सावधानी और नियंत्रण के उपाय अपनाए गए, तो ए क्यू आई को और बिगड़ने से रोका जा सकता है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

