भारतीय रेलवे ने रचा इतिहास देश का 99 प्रतिशत रेल नेटवर्क पूरी तरह इलेक्ट्रिफाइड

भारतीय रेलवे ने रचा इतिहास देश का 99 प्रतिशत रेल नेटवर्क पूरी तरह इलेक्ट्रिफाइड

प्रेषित समय :20:12:47 PM / Mon, Dec 15th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर
नई दिल्ली। 15 दिसंबर 2025 का दिन भारतीय रेलवे के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है, जब देश की जीवनरेखा कहे जाने वाले इस विशाल नेटवर्क ने एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। भारतीय रेलवे का लगभग 99 प्रतिशत हिस्सा अब पूरी तरह से विद्युतीकृत ( इलेक्ट्रिफाइड ) हो चुका है। यह मील का पत्थर न केवल रेलवे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह प्रधानमंत्री के 'हरित भारत' और 'नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन' के लक्ष्य की ओर बढ़ाया गया एक निर्णायक कदम भी है। इस ऐतिहासिक बदलाव से अब ट्रेन परिचालन की गति में वृद्धि होगी, परिचालन लागत में भारी कमी आएगी और देश के पर्यावरण को एक बड़ी सुरक्षा मिलेगी। पिछले कुछ वर्षों में, रेलवे बोर्ड ने विद्युतीकरण के काम को मिशन मोड में लिया था, जिसके तहत हर दिन रिकॉर्ड तोड़ किलोमीटर रेल मार्गों को इलेक्ट्रिक लाइन से जोड़ा जा रहा था। यह कार्य, जो दशकों से धीमा पड़ा था, अब लगभग पूरा हो चुका है। इस व्यापक विद्युतीकरण के पीछे की सबसे बड़ी प्रेरणा पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम करना और कार्बन पदचिह्न (Carbon Footprint) को शून्य के करीब लाना है। डीजल इंजनों के मुकाबले, इलेक्ट्रिक इंजन न केवल शून्य प्रदूषण करते हैं, बल्कि उनकी परिचालन क्षमता (Operational Efficiency) भी कहीं बेहतर होती है। यह परिवर्तन अब सीधे-सीधे देश की हवा की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा, खासकर उन सघन आबादी वाले क्षेत्रों में जहाँ से रेलमार्ग गुजरते हैं। यात्रियों के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो इस विद्युतीकरण का सीधा मतलब है तेज और स्मूथ यात्रा। इलेक्ट्रिक इंजन डीजल इंजन की तुलना में अधिक शक्तिशाली होते हैं, जिससे वे अधिक भार खींच सकते हैं और ढलान वाले क्षेत्रों में भी बेहतर गति बनाए रख सकते हैं। इससे ट्रेनें गंतव्य तक पहुँचने में कम समय लेंगी। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन के कारण ट्रेनों के रखरखाव की लागत भी कम हो जाती है, जिसका दीर्घकालिक लाभ अंततः उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा और संभावित रूप से स्थिर किराए के रूप में मिल सकता है। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि अब प्रमुख माल ढुलाई गलियारों (Freight Corridors) पर ट्रेनों की औसत गति में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी, जिससे देश की रसद (Logistics) लागत में भी कमी आएगी। इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए, भारतीय रेलवे ने कई जटिल भौगोलिक क्षेत्रों और कठिन मार्गों पर इंजीनियरिंग के शानदार प्रदर्शन किए हैं। पर्वतीय क्षेत्रों और दूरदराज के इलाकों में बिजली के तार बिछाना और सब-स्टेशनों की स्थापना करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, जिसे इंजीनियर्स की समर्पित टीमों ने सफलतापूर्वक पूरा किया। अब सिर्फ कुछ ही किलोमीटर के ट्रैक बचे हैं, जो जल्द ही विद्युतीकृत हो जाएंगे, जिसके बाद भारतीय रेलवे, विश्व के उन चुनिंदा बड़े रेल नेटवर्कों में शामिल हो जाएगा जो शत प्रतिशत इलेक्ट्रिक हैं। यह उपलब्धि देश की तकनीकी क्षमता और बुनियादी ढांचे में निवेश की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह केवल पर्यावरण या गति का मामला नहीं है, यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा प्रोत्साहन है। डीजल की खपत में कमी आने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी, जो पेट्रोलियम आयात पर खर्च होती थी। यह बचत अब रेलवे के आधुनिकीकरण और यात्री सुविधाओं में सुधार के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। इसके अलावा, बिजली का उपयोग करने से, रेलवे अब देश के नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) स्रोतों, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, से सीधे जुड़ने की दिशा में आगे बढ़ सकता है, जिससे भविष्य में रेलवे का संचालन पूरी तरह से स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित हो जाएगा। यह बड़ी सफलता भारतीय रेलवे के कर्मचारियों और नीति निर्माताओं के सामूहिक प्रयास का परिणाम है। अब जब नेटवर्क लगभग पूरी तरह से इलेक्ट्रिक है, तो रेलवे का अगला फोकस इलेक्ट्रिक इंजनों के उन्नत बेड़े का तेजी से निर्माण करना और उन्हें पुराने डीजल इंजनों की जगह तैनात करना होगा। आम जनता के बीच इस खबर को लेकर उत्साह है, क्योंकि यात्री अब समझते हैं कि यह बदलाव न केवल उनकी यात्रा को तेज कर रहा है, बल्कि भारत को एक हरित और टिकाऊ भविष्य की ओर भी ले जा रहा है। भारतीय रेलवे की यह उपलब्धि 'नए भारत' की उस आकांक्षा को दर्शाती है जहाँ विकास और पर्यावरण संरक्षण एक दूसरे के पूरक हैं। Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-