नई दिल्ली. देश की कृषि व्यवस्था को मजबूती देने में भारतीय रेलवे की भूमिका एक बार फिर निर्णायक साबित होती दिख रही है. बीते एक साल के भीतर रेलवे ने उर्वरकों की ढुलाई में लगभग 12 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जिससे किसानों को बुआई और कटाई के अहम दौर में समय पर खाद की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकी है. यह बढ़ोतरी न सिर्फ आंकड़ों तक सीमित है, बल्कि इसका सीधा असर खेतों, फसलों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर साफ दिखाई दे रहा है.
रेलवे से जुड़े ताज़ा आंकड़ों के अनुसार 30 नवंबर तक उर्वरक ढुलाई के लिए कुल 17,168 रेक्स लोड किए गए, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह संख्या 15,369 थी. यानी एक साल में 11.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि यह इजाफा ऐसे समय पर हुआ है, जब देश के कई हिस्सों में बुआई और कटाई का चक्र बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रहा है. खाद की समय पर उपलब्धता फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों के लिए निर्णायक होती है, और इसमें किसी भी तरह की देरी किसानों के लिए भारी नुकसान का कारण बन सकती है.
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि उर्वरक और खाद्यान्न ट्रेनों को लगातार प्राथमिकता दी जा रही है. यही वजह है कि व्यस्त सीजन और लॉजिस्टिक दबाव के बावजूद राज्यों तक खाद की आपूर्ति बिना किसी बड़े व्यवधान के जारी रही. कई राज्यों में जहां पहले उर्वरक की कमी को लेकर आशंकाएं जताई जा रही थीं, वहां रेलवे की इस सक्रियता ने हालात संभाल लिए. ट्रेनों के ज़रिए बड़े पैमाने पर खाद पहुंचने से न केवल आपूर्ति स्थिर रही, बल्कि जमाखोरी और अनावश्यक कालाबाज़ारी की संभावनाओं पर भी अंकुश लगा.
अधिकारियों का मानना है कि उर्वरक ढुलाई में यह तेज़ी सीधे तौर पर किसानों की आजीविका और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा से जुड़ी है. समय पर खाद मिलने से किसान खेत की तैयारी, बुआई और फसल प्रबंधन से जुड़े काम तय समय पर कर पा रहे हैं. इससे फसल उत्पादन स्थिर रहने की संभावना बढ़ी है, जिसका असर आने वाले महीनों में अनाज और अन्य कृषि उत्पादों की उपलब्धता पर भी पड़ेगा. रेलवे का यह योगदान ऐसे समय में और अहम हो जाता है, जब मौसम की अनिश्चितता और लागत बढऩे जैसी चुनौतियां पहले से ही किसानों के सामने मौजूद हैं.
रेल के ज़रिए उर्वरक परिवहन का एक बड़ा फायदा यह भी है कि यह सड़क परिवहन की तुलना में अधिक किफायती और भरोसेमंद है. भारी मात्रा में खाद को ट्रकों के बजाय ट्रेनों से भेजने पर न केवल समय की बचत होती है, बल्कि ईंधन की खपत और प्रदूषण भी कम होता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि रेल आधारित परिवहन से कार्बन उत्सर्जन घटता है और राष्ट्रीय राजमार्गों पर ट्रैफिक का दबाव भी कम पड़ता है. इस लिहाज़ से यह व्यवस्था पर्यावरण के लिहाज़ से भी ज्यादा टिकाऊ मानी जा रही है.
कृषि आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करने के साथ-साथ रेलवे ने सुरक्षा के मोर्चे पर भी बड़े सुधार का दावा किया है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में लोकसभा को जानकारी दी कि ट्रेनों से जुड़े गंभीर हादसों की संख्या में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है. जहां 2004 से 2014 के बीच औसतन हर साल 171 गंभीर रेल हादसे होते थे, वहीं 2025-26 में अब तक यह संख्या घटकर महज 11 रह गई है. इसे रेलवे की अब तक की सबसे बड़ी सुरक्षा उपलब्धियों में से एक बताया जा रहा है.
रेल मंत्री के अनुसार यात्री सुरक्षा रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी असामान्य घटना की विस्तृत जांच की जाती है. तकनीकी कारणों से जुड़े मामलों की जांच रेलवे प्रशासन करता है, जबकि जहां गैर-तकनीकी कारणों की आशंका होती है, वहां राज्य पुलिस की मदद ली जाती है. कुछ विशेष मामलों में केंद्रीय एजेंसियां जैसे सीबीआई या एनआईए भी जांच में शामिल होती हैं, हालांकि अधिकांश जांच राज्य स्तर पर ही पूरी की जाती है. अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा मानकों में लगातार सुधार और निगरानी के चलते हादसों में कमी आई है.
उर्वरक ढुलाई में बढ़ोतरी और रेल सुरक्षा में सुधार—ये दोनों पहलू मिलकर यह संकेत देते हैं कि भारतीय रेलवे केवल यात्रियों की सेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और कृषि व्यवस्था का भी एक मजबूत आधार बन चुका है. खेत से लेकर बाजार तक की पूरी श्रृंखला में रेलवे की सक्रियता किसानों के लिए भरोसे का बड़ा कारण बन रही है. आने वाले समय में अगर इसी तरह उर्वरक, खाद्यान्न और अन्य जरूरी कृषि उत्पादों की ढुलाई को प्राथमिकता मिलती रही, तो इसका सीधा फायदा देश के करोड़ों किसानों और उपभोक्ताओं को मिलेगा.
उर्वरक ढुलाई में करीब 12 प्रतिशत की यह बढ़ोतरी सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि यह उस रणनीतिक सोच का परिणाम है, जिसमें रेलवे को खेती और ग्रामीण भारत का मजबूत साझेदार बनाया जा रहा है. बदलते दौर में जब कृषि को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, तब भारतीय रेलवे की यह भूमिका खेती के लिए एक मजबूत सहारा बनकर उभर रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

