मुंबई. भारतीय सिनेमा की धमक सरहदों की जंजीरें तोड़कर किस कदर पड़ोसी मुल्क तक पहुंचती है, इसका ताजा और सबसे हैरान कर देने वाला उदाहरण अक्षय खन्ना की फिल्म 'धुरंधर' बन गई है. 18 दिसंबर 2025 को मुंबई और इस्लामाबाद के बीच की चर्चाओं का सबसे बड़ा केंद्र यह फिल्म है, जिसे पाकिस्तान सरकार ने आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित कर दिया है, लेकिन इसकी लोकप्रियता का आलम यह है कि इसने देश के अब तक के सारे पायरेसी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं. एक तरफ जहां पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में इस फिल्म के प्रदर्शन पर सख्त पाबंदी है, वहीं दूसरी तरफ इंटरनेट की दुनिया में इसे कम से कम 20 लाख से ज्यादा बार अवैध रूप से डाउनलोड किया जा चुका है. यह विरोधाभास तब और भी ज्यादा चर्चा का विषय बन गया जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ जिसने पाकिस्तान की सियासत में हलचल मचा दी. इस वीडियो में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी एक निजी कार्यक्रम में उसी फिल्म के मशहूर गाने 'FA9LA' की धुन पर एंट्री करते नजर आ रहे हैं, जिस फिल्म को उनके अपने ही दल के लोग अदालती कटघरे में खड़ा कर रहे हैं.
अक्षय खन्ना के इलेक्ट्रिक डांस मूव्स और इस गाने की ऊर्जा ने पाकिस्तान के युवाओं को इस कदर दीवाना बना दिया है कि वहां हर पार्टी और सोशल मीडिया रील में यही धुन गूंज रही है. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बिलावल भुट्टो का मंच पर स्वागत हो रहा है और बैकग्राउंड में 'धुरंधर' फिल्म का वही प्रतिबंधित गाना बज रहा है. यह दृश्य न केवल मनोरंजन जगत बल्कि कूटनीतिक और राजनीतिक गलियारों में भी जिज्ञासा का विषय बन गया है, क्योंकि एक तरफ बिलावल की पार्टी ने कराची की एक अदालत में इस फिल्म के खिलाफ कानूनी मोर्चा खोल रखा है. पीपीपी ने फिल्म में दिवंगत बेनजीर भुट्टो की तस्वीरों के इस्तेमाल पर गंभीर आपत्ति जताई है और फिल्म के कलाकारों व क्रू के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका दायर की है. इस विरोधाभास ने पाकिस्तानी जनता के बीच एक बड़ी बहस छेड़ दी है कि क्या वहां के हुक्मरान और नेता केवल आम जनता के लिए प्रतिबंधों की बात करते हैं, जबकि खुद वे उसी प्रतिबंधित कला का आनंद ले रहे हैं.
फिल्म 'धुरंधर' का पाकिस्तान में सबसे ज्यादा पायरेटेड फिल्म बनना इस बात का संकेत है कि वहां के दर्शकों में बॉलीवुड के लिए किस कदर भूख है, जिसे सरकारी तंत्र दबाने में नाकाम रहा है. लोग इस बात को लेकर बेहद उत्सुक हैं कि आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या दिखाया गया है जिसे लेकर पीपीपी इतनी आक्रामक है, फिर भी उनके शीर्ष नेता की मौजूदगी में उसी फिल्म का जश्न मनाया जा रहा है. फिल्म विशेषज्ञों का मानना है कि 'FA9LA' गाने की वायरल प्रकृति और अक्षय खन्ना के अभिनय ने फिल्म को एक कल्ट स्टेटस दे दिया है, जो किसी भी सरकारी रोक-टोक से ऊपर निकल चुका है. कराची कोर्ट में चल रहे मामले और बिलावल भुट्टो के इस वायरल वीडियो ने फिल्म को वह मुफ्त प्रचार दे दिया है जिसकी कल्पना इसके निर्माताओं ने भी नहीं की होगी.
जैसे-जैसे यह खबर फैल रही है, पाकिस्तान में सेंसर बोर्ड और सरकार की नीतियों पर सवाल उठ रहे हैं कि जब तकनीक के दौर में किसी कंटेंट को पूरी तरह रोकना मुमकिन नहीं है, तो प्रतिबंधों का अर्थ क्या रह जाता है. जनता के बीच यह जिज्ञासा भी चरम पर है कि क्या इस कानूनी लड़ाई के बाद फिल्म के कुछ दृश्यों को हटाया जाएगा या फिर यह विवाद फिल्म की पायरेसी के आंकड़ों को करोड़ों तक पहुंचा देगा. फिलहाल, 'धुरंधर' और अक्षय खन्ना का वह वायरल गीत सरहद पार एक ऐसी सांस्कृतिक लहर बन चुका है, जिसने वहां के राजनीतिक एजेंडे और कानूनी दांव-पेंचों को पीछे छोड़ दिया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि बिलावल भुट्टो के इस वीडियो पर उनकी पार्टी क्या सफाई देती है या फिर इस फिल्मी खुमार के आगे राजनीति अपनी हार स्वीकार कर लेती है.
फिल्म 'धुरंधर' को लेकर कराची की अदालत में चल रही कानूनी जंग और उन दृश्यों के पीछे की असल कहानी अब पूरी तरह से बेपर्दा हो चुकी है, जिसने पाकिस्तान की राजनीति में भूचाल ला दिया है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की याचिका के अनुसार, फिल्म के एक महत्वपूर्ण हिस्से में राजनीतिक रैलियों और ऐतिहासिक घटनाक्रमों को दिखाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत बेनजीर भुट्टो की वास्तविक फुटेज और तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है. पार्टी का आरोप है कि इन दृश्यों को फिल्म की कहानी के साथ इस तरह बुना गया है जिससे न केवल उनकी छवि धूमिल होती है, बल्कि यह उनके परिवार की निजता का भी उल्लंघन है. विशेष रूप से एक दृश्य में, जहां फिल्म का नायक यानी अक्षय खन्ना का किरदार व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह करता है, वहां पृष्ठभूमि में बेनजीर भुट्टो के दौर की कुछ विवादित घटनाओं को दिखाया गया है. पीपीपी के वकीलों का तर्क है कि बिना अनुमति के एक विदेशी फिल्म में देश की पूर्व प्रधानमंत्री की छवियों का व्यावसायिक उपयोग करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है, और इसीलिए वे फिल्म की पूरी कास्ट और क्रू के खिलाफ गैर-जमानती वारंट और एफआईआर की मांग कर रहे हैं.
अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई है कि फिल्म के कुछ संवाद कथित तौर पर पाकिस्तान की शासन व्यवस्था और वहां की खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर तीखा कटाक्ष करते हैं. यही कारण है कि इस्लामाबाद के सूचना मंत्रालय ने इसे 'राष्ट्र विरोधी' और 'राजनयिक संबंधों के लिए हानिकारक' बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया था. हालांकि, जनता के बीच जिज्ञासा इस बात को लेकर सबसे अधिक है कि जब पार्टी कानूनी लड़ाई लड़ रही है, तब बिलावल भुट्टो के कार्यक्रम में उसी फिल्म के गाने का बजना क्या केवल एक 'कोऑर्डिनेशन की चूक' थी या फिर यह उनके उदारवादी चेहरे को दिखाने की एक कोशिश थी. कराची कोर्ट ने फिलहाल फिल्म के निर्माताओं को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि फिल्म भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले ही रिलीज हो चुकी है, इसलिए पाकिस्तान में इसके दृश्यों को हटाने या न हटाने का व्यावहारिक रूप से कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा.
पायरेसी के बाजार में फिल्म की बढ़ती मांग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जनता इस विवादित कंटेंट को देखने के लिए बेचैन है. पाकिस्तान के साइबर सेल के लिए भी 20 लाख से ज्यादा अवैध डाउनलोड को रोकना एक बड़ी चुनौती बन गया है. इस बीच, फिल्म के निर्माताओं की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन फिल्म की टीम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उन्होंने केवल ऐतिहासिक संदर्भ के लिए सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध तस्वीरों का उपयोग किया है. अब सबकी निगाहें कोर्ट के अगले आदेश पर टिकी हैं कि क्या वह इस फिल्म के डिजिटल प्रसार पर भी कोई सख्त रोक लगाने का निर्देश देती है या फिर यह मामला बिलावल भुट्टो के वायरल वीडियो की तरह महज एक सियासी शोर बनकर रह जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

