चंडीगढ़. पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के प्राइवेट ग्रांट सेल में गरीब मरीजों के सरकारी पैसे का बड़ा घोटाला सामने आया है. सीबीआई एसीबी चंडीगढ़ ने करीब 1.14 करोड़ रुपये की रकम के गबन के आरोप में रेगुलर केस दर्ज किया है. इसमें रिटायर्ड एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंट धर्म चंद और पांच अनस्किल्ड कर्मचारियों समेत करीब 9 आरोपियों को नामजद किया गया है.
सीबीआई के मुताबिक, साल 2020 से 2024 के बीच पीजीआई के कुछ अधिकारियों और कॉन्ट्रैक्टर कर्मचारियों ने प्राइवेट लोगों और फार्मास्युटिकल फर्मों के साथ मिलकर फ्रॉड किया. जांच में पता चला कि मरीजों की फाइलें डिलीट कर दी गईं, नकली डिपेंडेंट दिखाकर पैसे पर्सनल अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए गए और मौत के बाद भी दवाओं के बिल पास कर दिए गए.
इस केस में पीजीआई के पुराने और मौजूदा कर्मचारियों, एक फोटोकॉपी दुकान के मालिक और कुछ दवा सप्लायर के नाम शामिल हैं. सीबीआई ने आईपीसी और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. घोटाले का खुलासा तब हुआ जब लाभार्थी मरीज कमलेश देवी (फाइल नंबर 18796) के पति ढाई लाख रुपये की स्वीकृत ग्रांट से दवा लेने प्राइवेट ग्रांट सेल पहुंचे. वहां उन्हें बताया गया कि फाइल नष्ट कर दी गई है और डिजिटल रिकॉर्ड भी डिलीट है.
जांच में सामने आया कि 22,01,839 रुपये आरटीजीएस के जरिए निवास यादव नामक निजी व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए थे, जिसका मरीज से कोई संबंध नहीं था. इसके बाद पीजीआई प्रशासन ने विस्तृत जांच करवाई, जिसमें और भी मामले सामने आए. एक अन्य मरीज अरविंद कुमार (फाइल नंबर 20404) की ग्रांट राशि में से 90 हजार रुपये हॉस्पिटल अटेंडेंट नेहा के खाते में ट्रांसफर किए गए थे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

