अनिल मिश्र/रांची
झारखंड की राजधानी रांची से सटे रामगढ़ की सड़कों पर आज उस वक्त भारी आक्रोश देखने को मिला, जब पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में हिंदू टाइगर फोर्स के कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया. रविवार की दोपहर रामगढ़ के प्रमुख चौक-चौराहों पर जुटे युवाओं और संगठन के कार्यकर्ताओं ने उग्र इस्लामिक कट्टरता के प्रतीकात्मक पुतले को आग के हवाले कर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया. यह प्रदर्शन महज एक विरोध नहीं, बल्कि उन रूह कंपा देने वाली घटनाओं के खिलाफ एक सामूहिक गर्जना थी, जो इन दिनों बांग्लादेश की धरती पर घटित हो रही हैं. संगठन ने इस प्रदर्शन के जरिए न केवल बांग्लादेश सरकार बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
आक्रोश प्रदर्शन के दौरान हिंदू टाइगर फोर्स के प्रमुख दीपक सिसोदिया ने बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले में हुई दीपु चंद्र दास की नृशंस हत्या का जिक्र करते हुए पूरी घटना को मानवता पर कलंक बताया. उन्होंने रोंगटे खड़े कर देने वाला विवरण साझा करते हुए बताया कि किस तरह ईशनिंदा के झूठे और मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाले साधारण युवक दीपु को उग्र भीड़ ने शिकार बनाया. भीड़ ने न केवल उसके घर में घुसकर उसे बेरहमी से पीटा, बल्कि हत्या करने के बाद उसके शव को पेड़ से बांधकर आग लगा दी. सिसोदिया ने सवाल उठाया कि जब दुनिया के अन्य हिस्सों में छोटी घटनाएं होती हैं तो वैश्विक एजेंसियां सक्रिय हो जाती हैं, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं के योजनाबद्ध नरसंहार पर 'सेक्युलर' जमात और मानवाधिकार संगठन मौन क्यों साधे हुए हैं?
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं के नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा. रामगढ़ जिला अध्यक्ष मनीष पासवान और जिला प्रभारी पंकज भारती ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह प्रदर्शन किसी धर्म विशेष के विरुद्ध नहीं, बल्कि उस खूंखार कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ है जो मासूमों के खून से होली खेल रही है. उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों और कूटनीतिक चैनलों के जरिए बांग्लादेश पर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाए. नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर ये अत्याचार नहीं रुके, तो हिंदू टाइगर फोर्स पीड़ितों की आवाज बनकर इस आंदोलन को और भी उग्र रूप देने को बाध्य होगी.
प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच आयोजित यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना रहा. जिस तरह से रामगढ़ की सड़कों पर युवाओं का हुजूम उमड़ा, उसने यह साफ संदेश दे दिया है कि सीमाओं के पार हो रही प्रताड़ना की गूंज अब भारतीय समाज के भीतर गहरी संवेदना और गुस्से के रूप में समाहित हो रही है. पुतला दहन की उठती लपटों के बीच कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया कि वे इस संघर्ष को तब तक जारी रखेंगे जब तक कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन का अधिकार नहीं मिल जाता.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

