डिजिटल इंडिया के दौर में दिल्ली पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम की खामोशी से थमेगी रेल टिकटों की रफ्तार

डिजिटल इंडिया के दौर में दिल्ली पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम की खामोशी से थमेगी रेल टिकटों की रफ्तार

प्रेषित समय :19:10:15 PM / Tue, Dec 23rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली.देश की धड़कन कही जाने वाली भारतीय रेलवे की सेवाओं पर आज रात एक बड़ा डिजिटल विराम लगने जा रहा है जिसने राजधानी दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत के रेल यात्रियों के बीच बेचैनी और कौतूहल पैदा कर दिया है। जैसे-जैसे सूरज ढल रहा है वैसे-वैसे उन लाखों यात्रियों की धड़कनें तेज हो रही हैं जो देर रात अपनी यात्रा की योजना बनाने या टिकट बुक करने की तैयारी में थे क्योंकि दिल्ली पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम यानी पीआरएस आज रात तकनीकी रखरखाव के नाम पर पूरी तरह खामोश होने जा रहा है। रेल प्रशासन द्वारा अचानक दी गई इस जानकारी ने न केवल आम आदमी को चौंका दिया है बल्कि डिजिटल निर्भरता के इस दौर में एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया है कि आखिर चार घंटों तक चलने वाला यह 'मेंटेनेंस शटडाउन' यात्रियों के लिए कितनी बड़ी मुसीबत लेकर आएगा। कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच जब ट्रेनों की आवाजाही पहले से ही अनिश्चित बनी हुई है, ऐसे में ऑनलाइन सेवाओं और पूछताछ खिड़कियों का बंद होना किसी बड़े संकट से कम नहीं नजर आता।

सर्द रातों में दिल्ली के रेलवे स्टेशनों पर उमड़ने वाली भीड़ अब इस बात को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित है कि यदि रात के सन्नाटे में उन्हें अपनी ट्रेन की लोकेशन जाननी हुई या किसी आपात स्थिति में टिकट कैंसिल कराना पड़ा तो उनका सहारा कौन बनेगा। रेलवे के तकनीकी गलियारों से छनकर आ रही खबरें बताती हैं कि यह शटडाउन सिस्टम को अपग्रेड करने और भविष्य में आने वाली तकनीकी खामियों को रोकने के लिए अनिवार्य है लेकिन जनता के बीच जिज्ञासा इस बात को लेकर है कि क्या ये चार घंटे सिर्फ एक सामान्य प्रक्रिया हैं या इसके पीछे रेलवे का कोई नया बड़ा डिजिटल बदलाव छिपा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यात्रियों के बीच इस बात की चर्चा गरम है कि क्या इस मेंटेनेंस के बाद आईआरसीटीसी की सुस्त पड़ती वेबसाइट की रफ्तार में कोई क्रांतिकारी सुधार देखने को मिलेगा या फिर यह केवल एक रूटीन प्रक्रिया बनकर रह जाएगी जो यात्रियों की रातों की नींद उड़ाने वाली है।

आज रात 23 दिसंबर की तारीख उन हजारों प्रवासियों और पर्यटकों के लिए परीक्षा की घड़ी साबित होने वाली है जो क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के लिए घर जाने की जुगत में लगे हैं। इस अवधि के दौरान न केवल इंटरनेट के माध्यम से होने वाली बुकिंग ठप रहेगी बल्कि रेलवे की आधिकारिक पूछताछ सेवा 139 और स्टेशनों पर स्थित कंप्यूटरीकृत पूछताछ काउंटर भी मौन धारण कर लेंगे। कल्पना कीजिए उस मुसाफिर की जो कोहरे के कारण घंटों देरी से चल रही अपनी ट्रेन का स्टेटस जानने के लिए मोबाइल ऐप खोलता है और उसे वहां केवल 'सर्वर नॉट रीचेबल' का संदेश मिलता है। यह स्थिति उन लोगों के लिए किसी डरावने सपने जैसी है जिन्हें देर रात अपनी मंजिल की ओर प्रस्थान करना है। जिज्ञासा इस बात को लेकर भी है कि क्या रेलवे ने इस दौरान किसी वैकल्पिक व्यवस्था का प्रबंध किया है या फिर यात्रियों को पूरी तरह भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।

रेलवे के इस कदम ने उन दलालों और एजेंटों के बीच भी खलबली मचा दी है जो रातों-रात टिकटों की हेराफेरी के जुगाड़ में रहते हैं लेकिन सबसे ज्यादा मार उस ईमानदार यात्री पर पड़ने वाली है जो तत्काल प्रभाव से अपनी यात्रा की जानकारी चाहता है। जानकार बताते हैं कि तकनीकी रखरखाव की यह प्रक्रिया इतनी जटिल है कि इसमें दिल्ली मुख्यालय से जुड़े सभी डेटा सेंटरों को कुछ समय के लिए सुप्त अवस्था में ले जाया जाता है ताकि सिस्टम की 'क्लीनिंग' और 'अपडेशन' की जा सके। जनता के मन में यह सवाल बार-बार कौंध रहा है कि क्या डिजिटल इंडिया के इस दौर में हमारे पास ऐसी कोई तकनीक नहीं है जो बिना सेवाओं को पूरी तरह बंद किए अपडेट हो सके। जब पूरी दुनिया रीयल-टाइम डेटा और क्लाउड कंप्यूटिंग पर चल रही है तब भारतीय रेलवे का यह चार घंटे का पूर्ण विराम आधुनिकता की दौड़ में एक छोटी सी रुकावट की तरह महसूस होता है।

जैसे-जैसे घड़ी की सुइयां उस निर्धारित समय की ओर बढ़ रही हैं जब यह शटडाउन शुरू होगा, दिल्ली के सराय रोहिल्ला, हजरत निजामुद्दीन, पुरानी दिल्ली और नई दिल्ली रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की आंखों में एक अजीब सी दुविधा दिखाई दे रही है। लोगों को डर है कि कहीं यह चार घंटे का समय तकनीकी कारणों से बढ़ न जाए जैसा कि पहले भी कई बार देखा गया है। यदि ऐसा होता है तो सुबह होने वाली तत्काल टिकटों की बुकिंग पर भी इसका सीधा असर पड़ सकता है जिससे आम आदमी की जेब और योजना दोनों प्रभावित होंगी। यह खबर अब केवल एक सूचना नहीं रह गई है बल्कि एक चर्चा का विषय बन गई है कि कैसे हमारा पूरा जीवन एक सर्वर और कुछ केबल्स के जाल में फंसा हुआ है। आज की रात रेल यात्रियों के लिए धैर्य की रात है क्योंकि उन्हें अपनी स्क्रीन पर दिखने वाले 'वेटिंग' और 'कन्फर्म' के अंकों के बजाय केवल एक ब्लैकआउट का सामना करना होगा जो उन्हें यह याद दिलाएगा कि तकनीक चाहे कितनी भी उन्नत क्यों न हो, वह भी आराम मांगती है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-