राजस्थान के बाड़मेर में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ शुरू हुआ छात्र आंदोलन अब प्रशासन और छात्रों के बीच टकराव का रूप ले चुका है। इस विवाद के केंद्र में हैं ज़िले की कलेक्टर और चर्चित IAS अधिकारी टीना डाबी, जिनके खिलाफ छात्रों ने खुलकर नाराज़गी जताई और उन्हें ‘रील स्टार’ तक कह डाला। यह मामला सिर्फ फीस बढ़ोतरी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता, संवाद की कमी और सोशल मीडिया की राजनीति तक जा पहुंचा है।
दरअसल, बाड़मेर के महाराणा भूपाल कॉलेज में परीक्षा शुल्क बढ़ाए जाने के फैसले के खिलाफ छात्र लंबे समय से विरोध कर रहे थे। छात्रों का कहना है कि बढ़ी हुई फीस उनकी आर्थिक स्थिति पर सीधा असर डालती है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। इसी मांग को लेकर छात्र धरने पर बैठे और जिला प्रशासन से मिलने की कोशिश की। आरोप है कि इस दौरान कलेक्टर टीना डाबी ने छात्रों से मिलने से इनकार कर दिया, जिससे आक्रोश और बढ़ गया।
छात्रों का दावा है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन कलेक्टर की ओर से कोई संवाद नहीं हुआ। उल्टा, कुछ छात्रों को पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया गया। इसी बात को लेकर छात्रों में भारी नाराज़गी फैल गई। प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्रों ने टीना डाबी पर यह आरोप लगाया कि वे सिर्फ उन्हीं कार्यक्रमों में जाती हैं, जहां मीडिया कवरेज मिलती है, जबकि जमीनी समस्याओं से उनका कोई सरोकार नहीं है। इसी गुस्से में उन्हें ‘रील स्टार’ कहा गया, जो अब इस पूरे विवाद की सबसे चर्चित पंक्ति बन चुकी है।
वहीं, कलेक्टर टीना डाबी ने छात्रों के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि इस पूरे मामले में कलेक्टर के हस्तक्षेप की कोई ज़रूरत ही नहीं थी। उनके अनुसार, तहसीलदार और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट पहले ही छात्रों से बातचीत कर चुके थे और विश्वविद्यालय प्रशासन ने फीस बढ़ोतरी वापस लेने का आश्वासन भी दिया था। टीना डाबी ने स्पष्ट किया कि घटना के समय वे एक मेडिकल कॉलेज के कार्यक्रम में व्यस्त थीं।
कलेक्टर ने यह भी कहा कि कुछ छात्रों द्वारा सड़क जाम करने की वजह से यातायात बाधित हुआ था। ऐसी स्थिति में पुलिस द्वारा छात्रों को थाने ले जाकर स्थिति को नियंत्रित करना एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है। उन्होंने साफ कहा कि किसी भी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया गया। टीना डाबी ने सवाल उठाया कि अगर वाकई गिरफ्तारी या बदसलूकी हुई है, तो उसका कोई वीडियो या ठोस सबूत क्यों सामने नहीं आया।
टीना डाबी ने छात्रों पर यह आरोप भी लगाया कि वे कुछ पलों की सोशल मीडिया प्रसिद्धि के लिए बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन छात्रों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है, लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखना भी ज़रूरी है। इस बयान के बाद मामला और गरमा गया, क्योंकि छात्र इसे अपनी आवाज़ को दबाने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं।
यह विवाद इसलिए भी ज्यादा सुर्खियों में है क्योंकि टीना डाबी कोई साधारण अधिकारी नहीं हैं। वह राजस्थान कैडर की 2015 बैच की IAS अधिकारी हैं और UPSC परीक्षा में टॉप रैंक हासिल कर चुकी हैं। उनकी पोस्टिंग, कार्यशैली और निजी जीवन अक्सर सोशल मीडिया और मीडिया में चर्चा का विषय रहते हैं। ऐसे में छात्रों द्वारा उन्हें ‘रील स्टार’ कहना सीधे तौर पर उनकी सार्वजनिक छवि पर सवाल उठाने जैसा माना जा रहा है।
राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला प्रशासन और युवाओं के बीच बढ़ती दूरी का संकेत देता है। एक तरफ छात्र अपनी समस्याओं के लिए सीधे शीर्ष अधिकारी से संवाद चाहते हैं, वहीं प्रशासनिक ढांचा प्रक्रिया और नियमों के तहत काम करने की बात करता है। जब संवाद नहीं हो पाता, तो असंतोष सड़कों पर उतर आता है और बयानबाज़ी तेज हो जाती है।
फिलहाल, फीस बढ़ोतरी को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के आश्वासन के बाद मामला कुछ हद तक शांत होता दिख रहा है, लेकिन कलेक्टर और छात्रों के बीच पैदा हुई तल्खी अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि क्या प्रशासन और छात्रों के बीच संवाद की व्यवस्था और बेहतर हो सकती है, ताकि ऐसे टकराव सार्वजनिक आरोप-प्रत्यारोप तक न पहुंचें। बाड़मेर का यह मामला अब सिर्फ एक कॉलेज की फीस का मुद्दा नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता और युवाओं की अपेक्षाओं का प्रतीक बन चुका है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

