वर्तमान में कोरोना संकट वैश्विक महामारी का रूप लेकर हम सभी को भयाक्रांत कर रहा है. यह सर्वविदित है कि कोई भी संक्रामक विषाणु उस शरीर को बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं, जो शारीरिक व्याधियों से ग्रसित होते हैं. यही व्याधियां शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को हानि पहुंचाती हैं. हालांकि सनातन काल से यह सर्वसिद्ध है कि व्यवस्थित योग क्रिया के माध्यम से शरीर को पुष्ट किया जा सकता है. इसमें आहार भी बहुत हद तक इस प्रक्रिया में सहायक होता है. हम योग और उचित आहार के माध्यम से भी कोरोना पर विजय प्राप्त कर सकते हैं. भारत के बारे में विश्व के अनेक देश यह स्वीकार करने लगे हैं कि भारत के व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी है. इसके पीछे का एक मात्र कारण योग और भारतीय खानपान ही है. वर्तमान में विश्व में जितनी भी ज्ञान और विज्ञान की बातें की जाती हैं, वह भारत में युगों पूर्व की जा चुकी हैं. इससे कहा जा सकता है कि भारत में ज्ञान और विज्ञान की पराकाष्ठा थी, लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि हम विदेशी चमक के मोहजाल में फंसकर अपने ज्ञान को संरक्षित नहीं कर सके. जिसके कारण हम स्वयं ही यह भुला बैठे कि हम क्या थे. भारत की भूमि से विश्व को एक परिवार मानने का संदेश प्रवाहित होता रहा है, आज भी हो रहा है. यह अकाट्य सत्य है कि विश्व को शांति के मार्ग पर ले जाने का ज्ञान और दर्शन भारत के पास है. योग विधा एक ऐसी शक्ति है, जिसके माध्यम से दुनिया को स्वस्थ और मजबूती प्रदान की जा सकती है. 21 जून को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से आज विश्व के कई देश भारत के साथ खड़े हुए हैं. यह विश्व को निरोग रखने की भारत की सकारात्मक वैश्विक पहल है. देव भूमि भारत में वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को आत्मसात करने वाले मनीषियों ने बहुत पहले ही विश्व को स्वस्थ और मजबूत बनाने का संदेश दिया है. लेकिन योग की महत्ता को कम आंकने वाले लोगों के बारे में यही कहना तर्कसंगत होगा कि यह संकुचित मानसिकता का परिचायक है. पिछले तीन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पूरे विश्व में योग का जो स्वरूप दिखाई दिया, वह अपने आप में एक करिश्मा है. करिश्मा इसलिए क्योंकि ऐसा न तो पहले कभी हुआ है और न ही योग के अलावा दूसरा कार्यक्रम हो सकता है. इतनी बड़ी संख्या में भाग लेने वाले लोगों के मन में योग के बारे में अनुराग पैदा होना वास्तव में यह तो प्रमाणित करता ही है कि अब विश्व एक ऐसे मार्ग पर कदम बढ़ा चुका है, जिसका संबंध सीधे तौर पर व्यक्तिगत स्वस्थता से है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को लेकर भले ही संकुचित मानसिकता वाले लोगों ने विरोध किया हो, लेकिन इसके बावजूद भी योग दिवस पर भाग लेने वालों ने एक कीर्तिमान बनाया है और संकुचित मानसिकता वालों के मुंह पर करारा प्रहार किया है. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के योग साधकों के साथ मिलकर योग विद्या को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की जो पहल की थी, आज उसके सार्थक परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं. पिछले दो योग दिवस की सफलता यह प्रमाणित करने के लिए काफी है कि अब विश्व के कई देशों ने स्वस्थ और मजबूती की राह पर अपने कदम बढ़ा दिए हैं. अब विश्व को निरोग बनाने से कोई ताकत नहीं रोक सकती. वर्तमान में विश्व के अनेक देश इस सत्य से भली भांति परिचित हो चुके हैं कि योग जीवन संचालन की एक ऐसी शक्ति है, जिसके सहारे तनाव मुक्त जीवन की कल्पना की जा सकती है. हम जानते हैं कि विश्व के कई देशों में जिस प्रकार का विचार प्रवाह है, उससे जीवन की अशांति का वातावरण तैयार हो रहा है और अनेक लोग इसकी गिरफ्त में आते जा रहे हैं. विश्व के कई देश इस बात को जान चुके हैं कि योग के सहारे ही मानसिक शांति को प्राप्त किया जा सकता है. हम यह भी जानते हैं कि वर्तमान में हमारी जीवनशैली में व्यापक परिवर्तन आया है, जो मानसिक अशांति का कारण बन रहा है. इसके चलते व्यक्ति अवसाद के घेरे में आ रहा है. कोरोना के संक्रमण को भी जीवनशैली में आए बदलाव को ही प्रदर्शित कर रहा है. कुछ भी खाना भोजन का पर्याय नहीं माना जा सकता. रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के लिए सात्विक आहार प्राथमिक है. भारतीय भोजन एक प्रकार से योग का ही एक हिस्सा है. जिसे आज विश्व स्वीकार कर रहा है. वर्तमान में कोरोना के दौर के चलते योग के प्रति कई लोगों का दृष्टिकोण बदला है. योग से प्रतिदिन लाखों लोग निरंतर जुड़ रहे हैं. इसे वैश्विक समर्थन भी मिल रहा है. गत योग दिवस को मिले भारी वैश्विक समर्थन के बाद यह तो तय हो गया है कि विश्व को सुख और समृद्धि के मार्ग पर ले जाने के लिए भारत के दर्शन को विश्व के कई देश खुले रूप में स्वीकार करने लगे हैं. इससे पहले जो भारत विश्व के सामने अपना मुंह खोलने से कतराता था, आज वही भारत एक नए स्वरूप में विश्व के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है. विश्व को भारत की विराट शक्ति का अहसास हो चुका है. कोरोना की लड़ाई भारत जिस तरीके से लड़ रहा है, वह शक्ति संपन्न देशों को अचंभित कर रहा है. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब से देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से हमारे देश के बारे में वैश्विक दृष्टिकोण में गजब का बदलाव दिखाई दे रहा है. सवाल यह है कि क्या यह बदलाव नरेन्द्र मोदी को देखकर आया है, नहीं. इसका जवाब यह है कि भारत के पास पूर्व से ही ऐसी विराट शक्ति थी, जिसका भारत की पूर्व सरकारों को भारतीय जनता को बोध नहीं था. हर भारतवासी के अंदर शक्ति का संचय है, हम शक्ति को प्रदर्शित नहीं कर पा रहे थे, इतना ही नहीं हम यह भूल भी गए थे कि हमारे अंदर भी शक्ति है. नरेन्द्र मोदी ने जामवंत की भूमिका अपनाकर देशवासियों के मन में इस भाव को जाग्रत किया कि आप महाशक्ति हैं. भारत के दर्शन में एक ठोस बात यह भी है कि भारत में हमेशा सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया वाला भाव ही रहा है. जो भी देश भारत के इस दर्शन से तालमेल रखता हुआ दिखाई देता है, वह कभी दूसरे का अहित सोच भी नहीं सकता. जबकि विश्व के अनेक देश केवल स्वयं का ही हित सबसे ऊपर रखकर दूसरों के हितों पर चोट करते हैं. आतंक फैलाकर अपना वर्चस्व स्थापित करने वाला समाज मारकाट करने की मानसिकता के साथ जी रहा है. ऐसे लोगों का न तो कोई अपना है, और न ही कोई परिवार. कई मुस्लिम देशों के नागरिक आज मुसलमानों के ही दुश्मन बनकर मारकाट का खेल खेल रहे हैं. ऐसे लोगों से शांति का बातें करना भी बेमानी है. हमारी सलाह है कि ऐसे लोग भी योग की क्रियाएं अपनाकर शांति के मार्ग पर चल सकते हैं. योग जहां स्वस्थ मानािकता का निर्माण करने में सहायक है वहीं शांति स्थापना का उचित मार्ग है. सवाल यह आता है कि वर्तमान के मोहजाल में फंसे विश्व के अनेक देश आज किसी भी चीज में शांति नहीं देख रहा है. पैसे के पीछे भाग रहा पूरा विश्व तनाव भरा जीवन जी रहा है. इस तनाव से मुक्ति पाने का एक ही मार्ग है योग को अपनाया जाए. जिसने अपने जीवन में योग को महत्व दिया है, वह इस तनाव से छुटकारा पाने में सफल रहा है. हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि आध्यात्मिकता और ध्यान योग के मामले में हम विश्व के सभी देशों से बहुत आगे हैं. इस बारे में दुनिया का ज्ञान भारत के समक्ष अधूरा ही है. भारत को जब तक इस बात का बोध था, तब तक विश्व का कोई भी देश भारत का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं रखता था. हम योग के माध्यम से एक बार फिर से आदर्श स्थापित कर सकते हैं. जिसके लिए यह समय अनुकूल है. भारत की इस शक्ति का प्रस्फुटन हो चुका है. अब जरूरत इस बात की है कि हम सभी सरकार के कदम के साथ सहयोग का भाव अपनाकर अपना कार्य संपादित करें. आने वाले समय में भारत का भविष्य उज्जवल है.