अगर कोई व्यक्ति इन निम्नलिखित 5 यज्ञ को प्रतिदिन करें तो रोग, सन्ताप एवं बुरे कर्म ऐसे नष्ट होने लगते हैं, जैसे अग्नि लकड़ी को जलाकर राख कर देते हैं. ऐसे ही अपने रोग, संघर्ष, बुरे कर्म आदि को मिटाने के लिए प्रतिदिन पाँच यज्ञ करते रहने चाहिए, जो कि निम्नलिखित प्रकार से समझे जा सकते हैं-
1. इस पहले यज्ञ में जब भोजन बनाए, तो पहली रोटी में से एक टुकड़ा तोड़कर उसमें चीनी मिलाकर अग्नि में डाल दें अथवा चूल्हे में ही जल रही अग्नि में डाल दें और हो सके, तो डालते हुए कहें 'अग्नये स्वाहा.' ध्यान यह भी रखें कि उस टुकड़े पर थोड़ा-सा घी और चीनी डालकर अग्नि में डालें, तो यह अधिक बेहतर होगा.
2. दूसरे यज्ञ में अग्नि में रोटी डालने के बाद शेष रोटी अथवा एक रोटी या रोटी के टुकड़े और उस पर थोड़ी-सी चीनी या गुड़ रखकर गाय को खिलाएँ.
3. तीसरे यज्ञ में आटे की एक लोई अथवा लगभग 10 ग्राम आटा अपने आस-पास किसी वृक्ष की जड़ के पास रख दें. इस यज्ञ को करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि वहाँ पर चींटियों की आवाजाही अधिकाधिक हो.
4. चौथे यज्ञ में आप एक मुट्ठी बाजरा अथवा एक अन्य कोई अनाज प्रातःकाल पक्षियों को डालें अथवा अपने घर की छत पर डाल दें.
5. पाँचवें यज्ञ में आप आटे की गोली बनाकर आस-पास के जलाशय अथवा नदी में मछलियों के लिए पानी में डाल दें.
उपर्युक्त पांचों यज्ञ लगातार 41 दिनों तक करने से मनोरथ सिद्ध होकर पाप नष्ट हो जाता है. धर्म बढ़ता हुआ सुफल प्रदान करता है और घर की सुख-शान्ति में बढ़ोतरी होती है. जातक अपयश से यश की ओर बढ़ने लगता है.
इन पाँच यज्ञों के अलावा कुछ अन्य उपाय भी आप कर सकते हैं
1.यदि व्यवसाय या नौकरी में अवरोध उत्पन्न हो रहे हैं, तो 27 दिनों तक किसी गाय अथवा कौए एवं कुत्ते को प्रातःकाल रोटी डालें.
2. कान में सीटी बजने की आवाज आ रही हो अथवा अन्य कोई परेशानी हो, तो 21 ग्राम सफेद तिलों का सफेद कपड़े में और 21 ग्राम काले तिल किसी काले कपड़े में बाँधकर चौराहे अथवा सुनसान स्थान पर रख दें. यह प्रयोग सात शनिवार तक करने चाहिए.
3. यदि किसी व्यक्ति को नौकरी नहीं मिल रही है अथवा धन की दिक्कत आ रही है, विवाह में बाधा आ रही है, तो 41 दिन तक लगातार रात को सोते समय अपने सिरहाने पाँच रुपए का सिक्का रखकर सोना चाहिए और फिर अगले दिन किसी सफाईकर्मी अथवा 12 वर्ष से कम आयु की कन्या को दे देंवे.
4. 10 ग्राम पीली सरसों, 10 ग्राम काली सरसों तथा 10 ग्राम नमक लेकर सूर्यास्त के बाद मुट्ठी में रखकर सात बार पीड़ित व्यक्ति के ऊपर उसारकर गर्म तवे पर डाल दें और उठने वाली सुगंध/बदबू को 20 सेकंड तक महसूस करते रहें. फिर समस्त सामग्रियों को गर्म अवस्था में ही नाली में फेंक दें. ऐसा करने से सभी तरह के नजर दोष एवं तन्त्र दोष दूर हो जाते हैं. यदि किसी जातक को कोई मानसिक अवसाद है, तो वह भी इस प्रयोग के द्वारा कम हो जाता है. पूर्ण लाभ के लिए इस प्रयोग को मंगलवार से आरम्भ करते हुए शनिवार तक प्रतिदिन करें.
Astro nirmal
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जन्म कुंडली में यदि चंद्रमा दूसरे या आठवे भाव में हो, तो पसीना अधिक आता
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