कुंडली में कालसर्प योग से भी ज्यादा खतरनाक होता चांडाल योग

कुंडली में कालसर्प योग से भी ज्यादा खतरनाक होता चांडाल योग

प्रेषित समय :20:00:52 PM / Sun, Mar 3rd, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु-राहु की युति से बना योग चाडांल योग कहलाता है, इस तरह का ये अशुभ योग कालसर्प योग से भी ज्यादा खतरनाक होता है, जो व्यक्ति के पूरे जीवन को बर्बाद कर देता है.

कब और कैसे बनता गुरु चांडाल दोष:--
गुरु चांडाल योग को ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही विनाशकारी योग माना जाता है, गुरु चांडाल योग बृहस्पति ग्रह और राहु ग्रह की युति से बनता है. जब ये दोनों ग्रह किसी एक राशि में मौजूद होते हैं, तब यह विनाशकारी और अशुभ योग बनता है. कुंडली के अशुभ दोषों में से गुरु चांडाल दोष को भी बहुत नुकसानदायक माना जाता है. 
जन्म कुंडली में राहु और बृहस्पति के एक साथ होने से गुरु चांडाल दोष का निर्माण होता है. 
ज्योतिष के अनुसार, इस दोष के कारण कुंडली के अन्य शुभ योग नष्ट हो जाते हैं, जिसके कारण व्यक्ति के अपने जीवन में अत्यंत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, गुरु चांडाल दोष के कारण व्यक्ति का धन व्यर्थ के कार्यों में खर्च होता है, साथ ही ऐसे व्यक्ति को पाचनतंत्र से जुड़ी गंभीर समस्याएं एवं मृत्यु दर कष्ट देने वाले रोग होने की आशंका रहती है. 

कुंडली में गुरु चांडाल योग के संकेत:--
- जब भी किसी जातक की कुंडली में गुरु चांडाल योग बनता है तो, व्यक्ति के मान-सम्मान में गिरावट देखने को मिलती है. 
- अचानक से व्यापार और नौकरी में व्यक्तियों के हाथों से गलतियां होने लगती है, जिससे व्यक्ति को काफी नुकसान होता है.
- गुरु- राहु की युति से बनने वाला गुरु चांडाल योग में अगर राहु का पक्ष बलवान है तो, व्यक्ति गलत संगत में पड़ जाता है, ऐसे लोग जुआ और नशा करने लगते हैं.
- कुंडली में गुरु-चांडाल योग होने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति धीरे-धीरे खत्म हो जाती है.
- गुरु चांडाल योग से व्यक्ति को धन हानि और मानसिक परेशानियां बढ़ने लगती हैं. 

गुरु चांडाल दोष के प्रभाव से बचने के उपाय:---
यदि किसी की कुंडली में गुरु चांडाल दोष लगा हो तो, उसे प्रत्येक गुरुवार के दिन बृहस्पतिदेव और भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन करना चाहिए, बृहस्पतिवार के दिन पीली चीजों से गुड़, चने की दाल आदि का दान करना चाहिए. गाय को पीला भोजन करवाना चाहिए. इसके अलावा प्रतिदिन गायंत्री मंत्र या ऊं गुरुवे नमः मंत्र का जाप करना चाहिए. मान्यता है कि, इससे गुरु चांडाल योग के अशुभ प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है.
चांडाल योग शुभ गुणों को घटा देता है और नकारात्मक गुण बढ़ा देता है.
अक्सर यह योग होने से व्यक्ति का चरित्र कमजोर होता है. इस योग के होने से व्यक्ति को गंभीर रोग होने की संभावना बनती है. साथ ही, व्यक्ति धर्म भ्रष्ट हो जाता है.
गुरु चांडाल योग की शांति कैसे करते हैं ?
ऐसा माना जाता है कि गुरू चांडल योग से बचाव के लिए गले में पीला पुखराज धारण करने से बहुत बचाव होता है. जिन जातकों पर ये योग चल रहा हो, उन्हें बरगद के पेड़ की पूजा करनी चाहिए, साथ ही बरगड़ के पेड़ की जड़ पर कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए. ऐसे समय में आपको राहु को खुश रखना चाहिए और राहु की शांति के लिए मंत्रों का जाप करना चाहिए.
गुरु चांडाल योग में कौन सा पाठ करना चाहिए ?
गुरु चांडाल योग बनने पर राहु को शांत रखना बेहद जरूरी है, इसलिए राहु संबंधी मंत्रों का जाप करना लाभकारी सिद्ध होता है, ऐसे में आप चाहे, तो ॐ रां राहवे नम: मंत्र का जाप, राहु कवच, राहु स्तोत्र, राहु के मंत्रों का नियमित जाप तथा ॐ बृं बृहस्पतय नमः या ॐ गुं गुरुवे नमः, बृहस्पति कवच, बृहस्पति स्तोत्र, बृहस्पति मंत्रों का जाप करना चाहिए, या भगवान दत्तात्रेय का ध्यान पूजन और मंत्रों का जाप करना चाहिए , एवं चांडाल योग के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए नियमित रूप से केले का पूजन करें, गाय को गुड़, चना, हल्दी रखकर रोटी खिलाएं और बृहस्पतिवार को पीपल की जड़ में, एक मुट्ठी चने की दाल और मीठा जल चढ़ाएं.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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