पलपल संवाददाता, जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट में ओबीसी वर्ग का आरक्षण 27 फीसदी किये जाने तथा ईडब्ल्यूएस आरक्षण के संबंध में दायर दो दर्जन से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई बढ़ गई. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस संजय द्धिवेदी की युगलपीठ के समक्ष सरकार की ओर से दो दर्जन से अधिक याचिकाओं में जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने याचिका पर 15 मार्च से डे-टू-डे अंतिम सुनवाई के निर्देश देते हुए मामलों की सुनवाई 15 मार्च को निर्धारित की है.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढाकर 27 प्रतिशत किये जाने के संबंध में अशिता दुबे सहित 2 दर्जन से अधिक याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गयी थी. याचिकाकर्ता अशिता दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के अंतरिम आदेश हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2019 को जारी किये थे. युगलपीठ ने पीएससी द्वारा विभिन्न पदों की परीक्षाओं की चयन सूची में भी ओबीसी वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिए जाने का अंतरिम आदेश पारित किये थे. वहीं मामलों की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किये गये जवाब में कहा गया था कि प्रदेश में 51 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की है. ओबीसी, एसटी, एससी वर्ग की आबादी कुल 87 प्रतिशत है. याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि सर्वोच्च न्यायालय की 9 सदस्यीय पीठ ने इंदिरा साहनी मामले में स्पष्ट आदेश दिए हैं कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. दायर याचिकाओं में ईडब्ल्यूएस आरक्षण तथा न्यायिक सेवा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षणए महिला आरक्षण दिए जाने की मांग की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने से प्रदेश में 60 प्रतिशत आरक्षण प्रभावी हो जाएगा. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने उक्त आदेश जारी किये. युगलपीठ ने पूर्व में ओबीसी वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के आदेश पर रोक बरकरार रखी है.

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