प्रदीप द्विवेदी. पेट्रोल-डीजल के रेट लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसे लेकर जहां विपक्ष आक्रामक है वहीं सत्तापक्ष या तो खामोश है या फिर किन्तु-परन्तु की भाषा में जवाब दे रहा है.

फिलहाल पेट्रोल-डीजल की मूल कीमत पर दो गुने टैक्स में कोई कटौती नहीं होगी, लिहाजा वैकल्पिक ईधन अपनाने की सलाह दी जा रही है.

सोशल मीडिया पर जहां केन्द्र सरकार समर्थक इसके लिए राज्य सरकारों को दोषी करार दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस समर्थक तथ्यों के साथ मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं.

पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ने के साथ ही बाबा रामदेव भी निशाने पर आ जाते हैं, क्योंकि 2014 से पहले बाबा रामदेव ने ही कहा था कि- मोदी सरकार आई, तो पेट्रोल-डीजल 35-40 रुपए लीटर मिलेगा.

इसी के मद्देनज़र कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने योग गुरु बाबा रामदेव पर बनेे एक कार्टून के जरिए मोदी सरकार पर शब्दबाण चलाए हैं. उन्होंने कार्टून, जिसमें बाबा रामदेव को पेट्रोल पंप पर शीर्षासन करते हुए दिखाया गया है और सामने रखे प्लेकार्ड पर लिखा है- 90 रुपये लीटर, इस कार्टून के नीचे दक्षिण भारतीय भाषा में एक कैप्शन भी है, जिसके अनुवाद के साथ थरूर ने अपना ट्वीट पोस्ट किया है- अगर आपने बाबा रामदेव से योग सीख लिया, तो आप भी पेट्रोल की कीमतें 06 रुपये लीटर देख सकते हैं.

दिल्ली में जब पेट्रोल करीब 90 रुपए है, तब केन्द्र और राज्य सरकार का हिस्सा कुछ इस तरह से है-

1, उपभोक्ता दे रहा है- 89.29 रुपए प्रति लीटर

2, वास्तविक मूल्य- 31.82 रुपए प्रति लीटर

3, डीलर का हिस्सा- 3.68 रुपए प्रति लीटर

4, केन्द्र सरकार का हिस्सा- 32.90 रुपए प्रति लीटर

5, राज्य सरकार का हिस्सा- 20.61 रुपए प्रति लीटर

यही वजह है कि राजस्थान विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई बहस का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना था कि पेट्रोल-डीजल की ज्यादा कीमतों के लिए केंद्र जिम्मेदार है.

उन्होंने कहा कि सदन में बीजेपी शासित राज्य- मध्य प्रदेश, कर्नाटक और मणिपुर की रेट की भी तुलना होनी चाहिए. हमने दो प्रतिशत वैट कम किया तो 1000 करोड़ का भार पड़ा.

उन्होंने यह भी कहा कि- यूपीए राज में कच्चे तेल की रेट 135 डॉलर प्रति बैरल थी, जबकि आज 40 डॉलर प्रति बैरल है, फिर भी रेट बढ़ती जा रही है. हम कम करेंगे तो हमारा रेवेन्यू कम हो जाएगा. हमने कोविड के बावजूद जनभावनाओं को देखते हुए वैट 2 प्रतिशत कम किया, लेकिन केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर वे सब ड्यूटी बढ़ा दी हैं, जिनका राज्यों को हिस्सा नहीं मिलता. जीएसटी पर लिखित समझौता होने के बावजूद 10 हजार करोड़ काट लिए.

सीएम गहलोत का कहना था कि राज्य को जो हिस्सा मिलता है, केंद्र सरकार उसकी दर कम कर रही है, जबकि केंद्र को जो हिस्सा मिलता है उसकी दर लगातार बढ़ रही है!

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