प्रदीप द्विवेदी. बलदेव कृष्ण शर्मा, स्टेट एडिटर, दैनिक भास्कर, पंजाब और हरियाणा, उन पत्रकारों में से हैं जिन्होंने पत्रकारिता का सफर हिसार में शून्य से शुरू किया और अपनी योग्यता के साथ-साथ हरियाणा, राजस्थान आदि राज्यों के प्रायोगिक अनुभव के दम पर एक ही संस्थान में रह कर शिखर तक पहुंचे हैं.

हाल ही पंजाब में जो चुनाव हुए हैं, उनके नतीजों ने सबको चौंकाया है, लेकिन ऐसे परिणाम क्यों आए, इसका सही और संतुलित विश्लेषण बलदेव कृष्ण शर्मा ने किया है.

पंजाब निकाय चुनाव पर भास्कर विश्लेषण- पांच सवालों से समझिए... कांग्रेस की जीत और अकाली, भाजपा, आप की हार के मायने, में उन्होंने लिखा है- कांग्रेस के खुश होने के कारण भी हैं. उसने अकालियों के परंपरागत गढ़ बठिंडा में अप्रत्याशित जीत दर्ज की है.

उन्होंने यह भी बताया है कि कांग्रेस की जीत में किसानों के मुद्दे ने भावनात्मक तौर पर ज्यादा असर दिखाया है.

लेकिन, उनका मानना है कि कांग्रेस के लिए यह जीत संभावित एंटीइंकम्बेंसी को कम करने का काम तो कर सकती है, लेकिन विधानसभा में जीत निश्चित मान लेना जल्दबाजी होगा. दरअसल, अकाली दल और भाजपा 22 साल बाद अलग-अलग चुनाव लड़े, इनके वोट बंट गए.

उनका सोचना है कि पंजाब में कांग्रेस कैप्टन पर आश्रित है, यह जगजाहिर है. नतीजों से तय हो गया है कि आगामी विस चुनाव से पहले या चुनाव के दौरान आलाकमान उनसे मनचाहा नेगोसिएशन नहीं कर पाएगा!

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