न्यूज-व्यूज. अब विभिन्न न्यूज चैनल पर सियासी बहस स्थाई जरूरत बन चुकी हैं, लेकिन इनमें जहां चिल्ला-चिल्ला कर बहस को आसमान पर पहुंचा दिया गया है, वहीं प्रमुख राजनेताओं को लेकर जिन उपमाओं का उपयोग किया जा रहा है, उसने भाषाई मर्यादा को पाताल में पहुंचा दिया है.
पप्पू से शुरू हुई नेताओं के अपमान की यह शब्द-यात्रा गप्पू से होते हुए फेकू तक तो पहले ही पहुंच गई थी, अब जोकर, तड़ीपार, आसाराम, मूर्खाधिराज जैसी उपमाएं भी बेशर्मी से दी जा रही हैं.
सोशल मीडिया पर तो खैर भाषाई मर्यादा कभी की तार-तार हो चुकी है और गाली-गलौज होती रहती है, लेकिन प्रतिष्ठित मीडिया में और प्रमुख नेताओं, विभिन्न राष्ट्रीय दलों के प्रवक्ताओं द्वारा जिस अमर्यादित भाषा का उपयोग किया जा रहा है, यह चिंता की बात है. क्या कोई दल इस ओर ध्यान देगा?
कुछ दिनों पहले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को लेकर टिप्पणियां की गई थी, तो पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न राजीव गांधी को लेकर भी अमर्यादित टिप्पणियां की गई थी. क्योंकि, भारत रत्न देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है, इसलिए महत्वपूर्ण सवाल यह है कि इस सर्वोच्च सम्मान की रक्षा कौन करेगा?
यही नहीं, देश के प्रमुख नेताओं पर अमर्यादित टिप्पणियां करने का अधिकार और संरक्षण इन्हें किसने दिया है?
अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर सोशल मीडिया सहित अन्य कई प्लेटफार्म पर अमर्यादित टिप्पणियां की जा रही हैं. यही वजह है कि पप्पू से शुरू हुई अभिव्यक्ति की अराजकता फेकू के पार गाली-गलौज से भी आगे निकल गई है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जाहिर तौर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन गांधीजी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणियां करनेवालों पर मौन धारण किए हैं, बहुत हुआ तो मन से माफ नहीं करूंगा, कह कर अपना विरोध दर्ज करवा देते हैं.
किसी भी प्रमुख व्यक्ति का विरोध करने की आजादी है, लेकिन यह विरोध अमर्यादित नहीं होना चाहिए, खासकर दिवंगत महान नेताओं पर अमर्यादित टिप्पणियां करना तो पूर्णरूप से प्रतिबंधित होना चाहिए.
अपने सियासी लाभ के लिए पप्पू से शुरू हुई अमर्यादित टिप्पणियों का ही नतीजा है कि अब फेकू जैसी टिप्पणियां भी बेखौफ होने लगी हैं.
केन्द्र की सत्ता में बैठे नेताओं को इन अमर्यादित टिप्पणियों पर इसलिए खुश नहीं होना चाहिए कि इनमें से अधिकतर टिप्पणियां विरोधियों के खिलाफ हैं और इनसे सियासी लाभ मिल रहा है, प्रमुख प्रश्न यह है कि जब वे सत्ता में नहीं रहेंगे, तब उनके सम्मान की रक्षा कौन करेगा.
जो लोग आज सोशल मीडिया पर अमर्यादित टिप्पणियां करके इतरा रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि तकनीकी क्रांति में राजीव गांधी सरकार का बहुत बड़ा योगदान है, जिसकी बदौलत ऐसा प्लेटफॉर्म मिल पाया है!
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