भोपाल. मध्य प्रदेश की पहचान देश-विदेश मेें प्रचारित करने के लिए सरकार का एक विज्ञापन काफी चर्चित है, जिसमें कहा जाता है कि एमपी अजब है, एमपी गजब है. इस बार उसके एक निर्णय ने सही में इस बात को चरितार्थ कर दिया है, लेकिन यह इसलिए कि यहां पर इंसानों की बीमारियों का लेखा-जोखा रखेंगे जानवरों के डॉक्टर रखेेंगे. यह व्यवस्था शिवराज सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने की है.
दरअसल, पूरे भारत में वायरल बीमारियों की ट्रैकिंग करने के लिए जो इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफार्म बनाया जा रहा है उसकी सूचनाएं सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय जाती हैं. हालांकि मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री स्वयं एमबीबीएस डॉक्टर हैं, इसके बावजूद इस प्लेटफार्म के नोडल ऑफिसर के रूप में उन्होंने एक जानवरों (एनीमल) के डॉक्टर डॉ शैलेश साकल्ले को बनाया है. यह राष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं का मजाक बनाने के लिए काफी है.
प्रदेश कांग्रेस मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता के सवाल, क्या योग्य डाक्टर्स नहीं हैं.?
प्रदेश कांग्रेस मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने शिवराज सिंह से आग्रह किया है कि वह पता लगाएं कि क्या मध्यप्रदेश में इन बीमारियों को ट्रैक करने के लिए मनुष्यों के डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं? क्या यही मध्य प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था की वास्तविक सूरत है? सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या वेटरनरी डिपार्टमेंट विभाग भी प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के अंतर्गत आता है? अगर नहीं तो क्या उन्होंने वेटेनरी डॉक्टर को प्रतिनियुक्ति पर लाकर उचित काम किया है?
श्री गुप्ता ने मांग की सरकार तत्काल कार्यवाही कर नोडल ऑफिसर के रूप में इंसानों के डॉक्टर को पदस्थ करें और प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर लोक-लज्जा के इस निर्णय से बचाए. श्री गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार जांच करे कि इस नियुक्ति का कारण लेन-देन तो नहीं है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बिना किसी कार्यवाही के बुधवार 11 बजे तक के लिये स्थगित हुई मध्य प्रदेश विधानसभा
गिरीश गौतम बने मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष, निर्विरोध हुआ निर्वाचन
मध्य प्रदेश: सीधी बस हादसे में मृतकों की संख्या 53 हुई, दो शव और मिले
मध्य प्रदेश में अभी नहीं खुलेंगे मिडिल तक के स्कूल: इंदर सिंह परमार
Leave a Reply