शकील अख्तरः फालोअप और घर की सफाई के बिना कांग्रेस का भविष्य नहीं!

शकील अख्तरः फालोअप और घर की सफाई के बिना कांग्रेस का भविष्य नहीं!

प्रेषित समय :19:33:45 PM / Thu, Feb 25th, 2021

पल-पल इंडिया. कांग्रेस इस वक्त अजीब सियासी समस्या का सामना कर रही है. कांग्रेस की बड़ी कामयाबी को भी नजरअंदाज किया जा रहा है और छोटी असफलताओं को भी बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है. इस वक्त कांग्रेस को बाहर से भी ज्यादा भीतर से सियासी खतरा है, ठीक वैसा ही जैसा सत्तर के दशक के आखिर में कांग्रेस को था. कांग्रेस के आज के हालात का बेहतर विश्लेषण किया है वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर ने, वे लिखते हैं.... फालोअप एक ऐसी चीज है जो पूरा नक्शा पलट सकती है, मगर कांग्रेस में इन्दिरा जी के बाद से चीजों का फालोअप बंद हो गया था, मगर अब शायद प्रियंका उसे फिर शुरु कर रही हैं.

प्रयागराज में सुजीत निषाद की और दूसरे नाविकों की नाव तोड़ी जाने और फिर प्रियंका के आने की खबर मिलने के बाद जिस तरह जिला प्रशासन ने उन तोड़ी

गई नावों को तुरत फुरत ठीक कराया उसे देखकर तो यही लगता है कि प्रियंका का असर हो रहा है और इसलिए ज्यादा हो रहा है कि वे चीजों का फालोअप कर

रही हैं. प्रियंका गांधी मौनी अमावस्या पर संगम स्नान करने प्रयागराज गईं थीं. वहां जिस नाव पर बैठकर वे संगम गईं थी, उस नाव और अन्य नावों में बाद में तोड़फोड़ की गई. कहीं खबर नहीं आई. केवट सुजीत ने प्रियंका को यह खबर पहुंचाई और प्रियंका ने 21 फरवरी को वहां वापस जाने का फिर कार्यक्रम बना डाला. इस खबर के मिलते ही प्रशासन ने आनन फानन में टूटी नावों की मरम्मत का काम शुरू करवा दिया, ताकि प्रियंका के पहुंचने से पहले नावें ठीक हो सकें.

यह प्रियंका का बड़ा इम्पेक्ट है. गंगा के किनारे बांसवार गांव जहां का सुजीत रहने वाला है प्रियंका से मिलने महिलाओं और निषाद, मछुआरे समुदाय के लोगों की भीड़ जमा थी. प्रियंका लगभग तीन किलोमीटर उड़ती धूल के बीच, कच्चे रास्तों पर पैदल चलकर उनसे मिलने पहुंची. महिलाओं ने कहा कि हमें विश्वास था कि दीदी आएंगी. यह नेता में भरोसे का प्रतीक है कि अगर उन पर मुसीबत आई तो नेता सुनते ही फौरन मदद को दौड़ेगा!

इन्दिरा गांधी की यही खूबी थी, चाहे वे सत्ता में रहीं हों या सत्ता के बाहर आम लोगों की एक पुकार पर वे हमेशा उपलब्ध रहती थीं. बेलछी अपने आप में एक ऐतिहासिक मिसाल है कि कैसे वहां हुए नरसंहार की खबर सुनकर इन्दिरा जी वहां बारिश, कीचड़ में हाथी पर बैठकर पहुंची थीं. उसी घटना के बाद से उन्होंने वापसी की और 1980 में जबर्दस्त जीत हासिल की. इन्दिरा जी का जीवन ऐसी कहानियों से भरा पड़ा है. यह अलग बात है कि खुद कांग्रेसी उन बाजी पलट घटनाओं को याद नहीं करते और न ही जनता में उन्हें प्रचारित करते हैं. जनता में तो नेहरू, इन्दिरा और पूरे परिवार, मोतीलाल नेहरु तक के खिलाफ झूठे चरित्र हनन अभियान चलते रहते हैं, जिनका काउन्टर करने के बदले कांग्रेस के कुछ बड़े नेता तो इन्हें हवा भी देते रहते हैं. राहुल गांधी के खिलाफ तो आज भी इतना सुनियोजित चरित्र हनन अभियान चल रहा है और उसमें बड़े कांग्रेसी नेताओं की शिरकत कोई छुपा हुआ रहस्य नहीं है. ऐसे ही प्रियंका की सक्रियता और इम्पैक्ट बढ़ने के साथ उनके खिलाफ भी मुहिम शुरु हो गई है. लेकिन लगता नहीं है कि प्रियंका इससे विचलित होगीं.....

पूरा विश्लेषण पढ़ें- https://www.facebook.com/profile.php?id=100008152788533

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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