नेपिता। देश की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को बेदखल करने वाली म्यांमार सेना के खिलाफ प्रदर्शन चौथे हफ्ते में प्रवेश कर गया है। सुरक्षा बलों ने देश भर के कस्बों और शहरों में प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई शुरू कर दी है। हालांकि इसके बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों से हटने को तैयार नहीं हैं। लोगों पर स्नाइपरों का इस्तेमाल किए जाने से नाराज अपदस्थ नागरिक सरकार के सदस्यों ने सोमवार को सेना को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। काउंटर टेररिज्म लॉ के उल्लंघन और आतंकवादियों जैसे कृत्यों के लिए राज्य प्रशासन परिषद ने सेना को आतंकवादी समूह घोषित किया।
स्पुतनिक की एक रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने आरोप में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे नागरिकों को गोली मारने, पीटने, छात्र और सिविल सेवकों को गिरफ्तार करने जैसे अत्याचारों को शिामिल किया है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने एक बयान में कहा कि म्यांमार में रविवार को पुलिस और सैन्य बलों की कार्रवाई में 18 लोग मारे गए और 30 से अधिक घायल हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 फरवरी को देश में तख्तापलट के बाद रविवार का दिन सबसे घातक रहा।
बता दें कि सोमवार को एक बार फिर देश के सबसे बड़े शहर यंगून में लोकतंत्र समर्थक सड़कों पर उतरे। पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए स्टेन ग्रेनेड और आंसू गैस के गोले दागे। अभी तक किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की जानकारी नहीं है। वहीं, रविवार को पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई पर अब तक सेना की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गई है। इस मुद्दे पर पुलिस और सैन्य प्रवक्ता से कई बार संपर्क किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मलेशियाई अदालत ने 1,200 म्यांमार प्रवासियों के निर्वासन पर लगायी रोक
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