नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी के साथ मारपीट करने वाले पति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि पत्नी को लगी किसी भी तरह की चोट के लिए खुद पति ही जिम्मेदार होगा. प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि ससुराल में महिला पर भले ही किसी अन्य रिश्तेदार ने हमला किया हो, लेकिन उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी उसके पति पर होगी.
सुप्रीम कोर्ट जिस मामले की सुनवाई कर रहा है, उसमें पुरुष की यह तीसरी शादी है और महिला की दूसरी. शादी के एक साल बाद, 2018 में दंपति के एक बच्चे का जन्म हुआ. पिछले साल जून में खुद पर कथित हमले के बाद महिला ने लुधियाना पुलिस में अपने पति, ससुर और सास के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. महिला ने आरोप लगाया कि उसके ससुराल वाले और दहेज मांग रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबड़े की पीठ के समक्ष महिला के पति के वकील कुशाग्र महाजन अग्रिम जमानत अड़े रहे. इस पर सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आप किस तरह के आदमी हैं? महिला ने आरोप लगाया कि आप उसकी गला दबाकर हत्या करने वाले थे. उसने आरोप लगाया कि आपने गर्भपात के लिए मजबूर किया. आप किस तरह के आदमी हैं कि अपनी पत्नी को पीटने के लिए क्रिकेट बैट का इस्तेमाल करते हैं?
इस पर महाजन ने कहा कि महिला ने पिता के पति पर आरोप लगाया है कि उसने बैट का इस्तेमाल किया. इस पर सीजेआई ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह आप (पति) या आपके पिता ने कथित तौर पर मारपीट करने के लिए बल्ले का इस्तेमाल किया. जब किसी महिला के ससुराल में चोटे लगी हो तो प्राथमिक दायित्व पति का है. इसके बाद बेंच ने पति की याचिका खारिज कर दी. इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी पति को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- किन्नर क्यों नहीं कर सकते रक्तदान? बैन पर उठाया सवाल, मांगा केंद्र से जवाब
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