जबलपुर. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के जरिये झोपड़ पट्टी वासियों की बेदखली पर रोक लगा दी. साथ ही राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया. इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है. न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी कालका चौधरी सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता सुबोध कठर ने पक्ष रखा.
उन्होंने दलील दी कि पूर्व में भी इसी सिलसिले में एक याचिका भूपेंद्र सिंह सहित ने दायर की थी, जिसमें याचिकाकर्ता को पक्षकार बनाया गया था. उस पर सुनवाई के बाद राजस्व मंडल का आदेश निरस्त कर दिया गया था, जबकि कलेक्टर नरसिंहपुर के आदेश पर मुहर लगा दी. इस तरह झोपड़ पट्टी वासियों का पट्टा निरस्त करने का रास्ता साफ हो गया. हाई पावर कमेटी को झोपड़ पट्टी हटाने के लिए तीन माह का समय दिया गया. साथ ही विस्थापितों के अनयत्र पुनर्वास की व्यवस्था दी गई.
हाई कोर्ट ने सार्वजनिक सड़क पर अतिक्रमण पाते हुए यह आदेश पारित किया. इसके खिलाफ अपील दायर की गई, जो कि खारिज हो गई. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई, जिस पर नोटिस जारी करने के साथ यथास्थिति के निर्देश जारी किए गए. इसके बावजूद तहसीलदार ने शोकॉज नोटिस जारी कर झोपड़ पट्टी से बेदखली की प्रक्रिया जारी रखी. इसी रवैये के खिलाफ नए सिरे से हाई कोर्ट की शरण ली गई है. सवाल उठता है कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, तो फिर स्थानीय प्रशासन बेदखली की कार्रवाई कैसे जारी रख सकता है?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्य प्रदेश में एस्सार पावर 300 करोड़ रुपये के निवेश से लगाएगी सौर ऊर्जा संयंत्र, दतिया जिले का चयन
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