गौरैया के लिए लाखों घोंसले बना चुका शख्स, जिसे PM ने कहा स्पैरो-मैन

गौरैया के लिए लाखों घोंसले बना चुका शख्स, जिसे PM ने कहा स्पैरो-मैन

प्रेषित समय :10:50:34 AM / Sat, Mar 20th, 2021

हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाते हैं. तेजी से कम होती जा रही इस नन्ही चिड़िया को बचाए रखने के लिए नेचर फॉरेवर सोसायटी फॉर इंडिया ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की, जो 50 से ज्यादा देशों में मनाया जा रहा है. देश की राजधानी में तो इसे स्टेट बर्ड घोषित किया जा चुका है. वैसे इन सारी कोशिशों के बीच कई निजी कोशिशें भी हैं, जो गौरेया को सहेज रही हैं. जगत किंखाबवाला ऐसा ही एक नाम हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्पैरो मैन' कहा था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में इस 'स्पैरो मैन' का जिक्र किया था. 65 बरस का ये स्पैरो मैन कहता है- गौरैया को ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस खुली खिड़कियां, मिट्टी के सकोरे में पानी और चावल के टूटे दाने. आटे की लोइयां रख दें तो दावत समझिए. वे अपनी कहानी कुछ यूं सुनाते हैं-

हम बाहर जा रहे थे. कार आधा रास्ता तय कर चुकी, तभी मुझे खुटका-सा हुआ. बिटिया से पूछा- 'तुमने खिड़की बंद तो नहीं कर दी!' 'हां'. ये बोलने के साथ ही उसका चेहरा कुम्हला गया था. हम तुरंत वापस लौटे. घर पहुंचे तो देखा- गौरैया का जोड़ा खिड़की के बाहर इंतजार में था. एक चिड़िया रह-रहकर खिड़की के कांच पर चोंच मारती. अंदर पहुंचकर मैंने तमाम खिड़कियां खोल दीं.

गर्मियों में नानी के घर जाते तो रात में आंगन में सोते. खूब अच्छी तरह से लिपा हुआ लंबा-चौड़ा आंगन, जहां कई पेड़ होते. उन्हीं के इर्द-गिर्द चारपाई बिछती. सुबह एक साथ कई आवाजों से नींद खुलती. बड़ों की बातों, मां-मौसियों की हंसी, रसोई की खटर-पटर और गौरैया की आवाज. किसी पंक्षी को सबसे पहले और सबसे करीब से जाना तो वो है गौरैया. दिनभर आंगन में उनकी चहचहाहट गूंजती.

साल 2008 से स्कूलों में जाकर वर्कशॉप लेने लगा. बच्चों को गत्ते के बेकार डिब्बों को तोड़-मोड़कर घोंसला बनाना सिखाता. सब मिलकर उन्हें रंग-रोगन करते. उन्हें बताता कि गौरैया का होना हमारे लिए कितना जरूरी है. धीरे-धीरे बच्चे और फिर बड़े भी जुड़ने लगे. स्कूल- कॉलेज से होता हुआ ये सिलसिला बढ़ता चला गया. अब तो ऑनलाइन भी घोंसले मंगाए जा सकते हैं. हालांकि मेरा मानना है कि घर पर ही घोंसला तैयार करना सबसे बढ़िया है.

अबतक 1 लाख, 10 हजार से ज्यादा घोंसले बनवा-बंटवा चुके जगत गौरैया के बारे में उतनी ही रवानगी से बात करते हैं जैसे अपने बच्चों की बात हो.

'ये पंक्षी मानव बसाहट के साथ ही जी सकता है. जब हम मच्छर-मक्खी का दखल बर्दाश्त कर पाते हैं तो गौरैया तो निहायत नेक पंक्षी है. आपके स्मार्टफोन पर सबसे बढ़िया अलार्मक्लॉक से कहीं प्यारी है इसकी चहचहाहट.'

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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